Palash Flower Cultivation: आधुनिक दौर में रासायनिक रंगों (Chemical Colors of Holi)की बढ़ती खपत के कारण टेसू यानी पलाश के फूल (Palash Flower) अपनी पहचान खोने लगे हैं. एक समय वो भी था, जब होली के रंगों की शान सिर्फ टेसू के फूल से जमती थी, लेकिन कभी हजारों एकड़ में पैदा होने वाले पलाश के फूल आज सिर्फ कुछ ही इलाकों तक सिमट कर रहे हैं, इसलिये किसान चाहें तो विलुप्त होती इस प्रजाति को अपनी आमदनी का जरिया बना सकते हैं. बता दें कि कई कंपनियां कांट्रेक्ट देकर पलाश के फूलों की खेती (Contract Farming of palash) करवाती हैं. इसके अलावा देश-दुनिया में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के बीच पलाश की खेती (Palash Flower Farming) फायदे का सौदा साबित हो सकती है.


पलाश के फूल
पलाश के फूल को परसा, ढाक, टेसू, किशक, सुपका, ब्रह्मवृक्ष और फ्लेम ऑफ फोरेस्ट आदि नामों से भी जानते हैं, जो चित्रकूट, मानिकपुर, बाँदा, महोबा और मध्य प्रदेश से जुड़े बुंदेलखंड में पाया जाता है. ये उत्तर प्रदेश का राजकीय फूल है, जो अपने रंग और औषधीय गुणों के साथ लाख या लाह की खेती के लिये मशहूर हैं. इस फूल में कोई खूशबू नहीं होती, लेकिन इसकी गोंद, पत्ता, पुष्प, जड़ समेत पेड़ का हर हिस्सा काफी फायदेमंद होता है.


इन राज्यों में करें पलाश की खेती
दुनियाभर में जैविक रंगों के लिये मशहूर इन फूलों की खेती झारखंड के अलावा दक्षिण भारत में भी हो रही है. इसके लिये पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से सटे बुंदेलखंडी इलाके सबसे उपयुक्त रहते हैं.



  • किसान चाहें तो प्रति एकड़ खेत में 50,000 रुपये की लागत से पलाश की बागवानी कर सकते हैं, जिसके बाद अगले 40 सालों तक ये पेड़ जैविक उत्पादों की मिसाल पेश करेंगे.

  • जैविक उत्पादों की सूची में पलाश के बीज, फूल, पत्ते, छाल, जड़ और लकड़ी  के अलावा पलाश का आयुर्वेदिक चूर्ण और तेल भी काफी अच्छे दामों पर बिकते हैं.

  • बता दें कि पुराने समय से ही लाख की खेती में भी पलाश का पेड़ काफी मददगार साबित होता है.




इस तरह करें पलाश की खेती
किसान चाहें तो छोटे स्तर पर पलाश के पेड़ लगाकर भी 40 साल तक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. साथ में सब्जियों की अंतवर्तीय खेती करके अतिरिक्त आमदनी का इंतजाम भी हो जायेगा.



  • एक एकड़ में पलाश के 3200 पौधे लगा सकते हैं, जो 3 से 4 साल में फूल देने काबिल हो जाते हैं. इसके पौधों को किसी प्रमाणित नर्सरी से भी खरीद सकते हैं.

  • पलाश की खेती के लिये जमीन को जैविक विधि से तैयार करके रोपाई के समय दो पौधों के बीच 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिये.

  • इसकी व्यावसायिक खेती करने के लिये रोपाई के बाद पौधों की सिंचाई, अच्छी देखभाल और बाकी प्रबंधन कार्यों में सावधानी बरतनी होती है.

  • इसके बाद अगले चार सालों में पलाश के पेड़ का विकास हो जाता है. इस दौरान बागवानी फसलों की खेती करके खाली स्थान में भी अच्छा मुनाफा ले सकते हैं. 


कहां बेचें पलाश के उत्पाद
पलाश के पेड़ से समय-समय पर फूल, गोंद, पत्ता और जड़ों का उत्पादन (Palash Flower Production) मिलता रहता है, जिनकी ऑनलाइन बाजार में काफी मांग रहती है, इसलिये किसान चाहें तो खुद का जीएसटी नंबर लेकर ऑनलाइन मार्केटिंग भी कर सकते हैं. इसके अलावा दिल्ली, जयपुर, मुंबई, देहरादून, कोलकाता, बैंगलोर, चंडीगढ़, रांची,  लखनऊ, गाज़ियाबाद, भोपाल, नेपाल की मंडियों (Agriculture Markets in India) में संपर्क करके भी पलाश के उत्पादों (Palash Products) को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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