Green Manure: सनई की हरी खाद और फूलों को बेचकर होगी लाखों की कमाई, बेहतर उत्पादन के लिये इस तरह करें खेती
Sanai Cultivation: देश में सनई की खेती हरी खाद या पीले फूलों के उद्देश्य से की जाती है, लेकिन जैविक खेती के दौर में हरी खाद की बढ़ती डिमांड के बीच इसकी व्यावसायिक खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
Sanai Green Crop Farming : भारत के किसान अच्छा मुनाफा कमाने के लिये अब दोहरे उद्देश्य वाली फसलों की खेती पर जोर दे रहे हैं यानी कि फसल एक ही होगी, लेकिन उससे दो तरह का उत्पादन ले सकते हैं. इसी तरह की फसल में शामिल है सनई (Sanai Farming), जिसके फूलों का इस्तेमाल सब्जी के तौर पर, जूट के लिये और फसल के बाकी हिस्सों से हरी खाद (Sanai Green Manure) बनाई जाती है. इस तरह सनई की खेती (Sanai Cultivation) करके मिट्टी की उपजाई शक्ति बढ़ा सकते हैं, ताकि फसलों का अधिक उत्पादन ले सकें. दूसरी तरफ सनई के पीले फूलों (Yellow flowers of Sanai) की भी बाजार में काफी डिमांड रहती है, जिन्हें बेचकर अच्छी आमदनी ले सकते हैं.
इन राज्यों में उगायें सनई
नई फसल लगाने से पहले खेतों में हरी खाद के उद्देश्य से सनई की खेती करने की सलाह दी जाती है. वैसे तो भारत के हर कोने में सनई का उत्पादन ले सकते है, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और उड़ीसा के किसान इसे हरी खाद के अलावा इसे व्यावसायिक फसल के तौर पर उगाते हैं.
- सनई की खेती के लिये नमी वाली रेतीली मिट्टी या चिकनी मिट्टी को सबसे अच्छा मानते हैं.
- इसकी खेती के लिये खेत में गहरी जुताई लगातर मिट्टी को भुरभुरा बनाते हैं. फिर पाटा लगाकर खेतों को ढंक दिया जाता है.
- खरीफ सीजन की फसलों से पहले सनई की बिजाई की जाती है और अप्रैल से जुलाई तक बीजों को खेत में छिड़क दिया जाता है.
- वर्षा आधारित फसल होने के कारण सनई की खेती में ज्यादा सिंचाई नहीं करनी होती. बस फूल बनते समय खेत में नमी रखना जरूरी होता है.
सनई की कटाई
बीज उत्पादन के लिये सनई की खेती करने पर 150 दिन यानी 5 महीने के बाद कटाई की जाती है. वहीं हरी खाद के उद्देश्य से सनई की खेती करने पर 45 से 60 दिनों के अंदर इसकी कटाई की जाती है और पूरी फसल को हरी खाद बनाने के लिये खेत में फैला देते हैं.
सनई से आमदनी
देश के ज्यादातर इलाकों में इसकी खेती सिर्फ हरी खाद(Sanai Green Manure), पीले फूलों (Sanai Yellow Flower) या जूट (Sanai Jute) के उद्देश्य से की जाती है, लेकिन जैविक खेती (Organic Farming) के दौर में हरी खाद की बढ़ती डिमांड (Green Manure) के बीच इसकी व्यावसायिक खेती (Commercial Farming of Sanai) फायदे का सौदा साबित हो सकती है. बाजार में सनई के फूल भी 200 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेचे जाते हैं. इस प्रकार मिट्टी के लिये जरूरी खनिज और पोषक तत्वों से भरपूर सनई की खेती करके 10 फीसदी लागत में 100 फीसदी मुनाफा कमा सकते हैं.
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