Sandalwood Cultivation Technique: भारत के चंदन की दुनियाभर में काफी ज्यादा मांग है, जिसको पूरा करना किसानों के लिये चुनौतीपूर्ण काम है. चंदन की बढ़ती मांग के कारण इसकी लकड़ी के दाम काफी हद तक बढ़ जाते हैं. यही कारण है कि भारत सरकार भी अब किसानों को चंदन की खेती करने के लिये प्रोत्साहित कर रही है.


चंदन के चमत्कारों का जिक्र वेदों और पुराणों में भी किया जाता है. इसका इस्तेमाल सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी किया जाता है. वैसे तो चंदन की खेती सिर्फ दक्षिणवर्ती इलाकों में ही की जाती थी, लेकिन आज भारत के बर्फीले इलाकों को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में उगाया जा रहा है.


चंदन की खेती 
बाजार में चंदन की कीमत जितनी ज्यादा होती है, चंदन को उगाने में भी उतनी ही जद्दोजहद करनी पड़ती है. भारत में चंदन की खेती दो तरीके से की जाती है, जिसमें जैविक तरीका और पारंपरिक तरीका शामिल है. जैविक तरीके से उगाया गया चंदन 10-15 साल में लकड़ी का बन जाता है. लेकिन परंपरागत रूप से चंदन की खेती करने पर 20-25 साल बाद ही लाभ लिया जा सकता है.यही कारण है कि चंदन की खेती किसानों के लिये धैर्य का सौदा साबित होती है. बता दें कि एक चंदन के पेड़ से करीब 15-20 किलो लकड़ी मिल जाती है, जिसको बाजार में 2 लाख रुपये तक की कीमत पर बेचा जाता है. हालांकि चंदन की लकड़ी बाजार में 3-7 हजार रुपये किलो के भाव पर बिकती है, लेकिन बढ़ती मांग के कारण इसे 10,000 रुपये तक की कीमत पर भी बेचा जाता है.


लागत और आमदनी
बात करें इसकी नर्सरी लगाने की तो इसका एक पौधा 100-150 रुपये तक की कीमत पर मिलता है. किसान चाहें तो एक हेक्टेयर भूमि पर 600 पौधे लगा सकते हैं. ये ही पौधे अगले 12 साल में पेड़ बनकर 30 करोड़ रुपये तक का शुद्ध लाभ दे सकते हैं. चंदन के एक पेड़ से ही लगभग 6 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है.


सरकार करेगी मदद
कुछ सालों पहले तक चंदन की खेती प्रतिबंधित थी यानी सरकार की अनुमति लेकर ही किसान चंदन की खेती किया करते थे. लेकिन अब सरकार इसकी अनुमति के साथ इसकी खेती के लिये 28-30 हजार रुपये तक का अनुदान दे रही है. इतना ही नहीं, सरकार ने चंदन की खरीद पर भी प्रतिबंध लगाया हुआ है. यानी सरकार ही किसानों से चंदन खरीद सकती  है. 


इन बातों का रखें ध्यान



  • चंदन के पेड़ को कभी-भी अकेले न लगायें, क्योंकि यह एक परजीवी किस्म है जो दूसरे पेड़ों से पोषण खींचती है.

  • चंदन के पेड़ नमी वाले इलाकों में नहीं चाहिये, क्योंकि इसकी खेती के लिये अधिक पानी की जरूरत नहीं होती.

  • चंदन एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है इसलिये दूसरी किस्म के पौधों को 4-5 फीट की दूरी पर ही लगायें

  • चंदन के पेड़ में ज्यादा सिंचाई करने से ये गलने लगता है, इसलिये इसके पास जलभराव न होने दें.

  • इसकी खेती के लिये कम से कम 2 से 2.5 साल का पौधा लगायें.

  • चंदन के पेडों के आस-पास साफ-सफाई  बनाये रखें क्योंकि प्रदूषण से इसकी ग्रोथ रुक जाती है.


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