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Herbal Farming: जहरीले दंश को चुटकियों में खत्म कर देगा सर्पगंधा, इसकी जैविक खेती से होगा लाखों का मुनाफा

Sarpagandha Cultivation: भारत में कई सदियों से सर्पगंधा की खेती और इस्तेमाल किया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसके फूल, पत्ते, बीज, और जड़ों की बिक्री भी ऊंचे दामों पर होती है.

Commercial Farming of Sarpagandha: आयुर्वेद (Ayurveda) की जननी भारत की धरती पर औषधीय पौधों का खेती (Herbal Farming) बड़े पैमाने पर की जाती है, जिससे बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज संभव है. यहां उगाई गई औषधियों का निर्यात (Herbs Export) कई देशों में होता है, जिससे किसानों को अच्छा पैसा मिल जाता है. यही कारण है कि पांरपरिक फसलों के साथ-साथ किसान अब कम लागत वाली औषधीय फसलों की खेती पर भी जोर दे रहे हैं.

आमतौर पर औषधीय पौधों का इस्तेमाल इत्र, साबुन, दवायें और कीटनाशक बनाने के काम आती हैं, लेकिन भारत में ऐसी औषधी उगाई जा रही है, जिससे खतरनाक से खतरनाक सांप के जहर का तोड़ (Natural Remedies for Snakebite) है. हम बात कर रहे हैं सर्पगंधा (Sarpagandha Cultivation) के बारे में. 

सर्पदंश में लाभकारी (Benefits of Sarpagandha)
सर्पगंधा एक प्राकृतिक औषधी है, जिसका स्वाद तो कडुआ, तीखा, कसैला होता है. इसका इस्तेमाल प्राकृतिक चिकित्सा में भी किया जाता है. इतना ही नहीं, जहरीले कीट, सांपों और नेवलों के काटने पर इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटी के तौर पर किया जाता है. यही कारण है कि देवभूमि उत्तराखंड के किसान इसके फायदों और आमदनी को देखते हुये सर्पगंधा की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं.


Herbal Farming: जहरीले दंश को चुटकियों में खत्म कर देगा सर्पगंधा, इसकी जैविक खेती से होगा लाखों का मुनाफा

इन राज्यों में करें सर्पगंधा की खेती (Sarpagandha Cultivation in India)
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उडीसा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्य में सर्पगंधा की व्यावसायिक खेती की जा रही है. इसकी खेती के लिये अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन अधिक पानी वाली रेतीली मिट्टी और काली कपासिया मिट्टी में भी सर्पगंधा का बेहतर उत्पादन ले सकते हैं.

  • इसकी खेती के लिये उपजाऊ मिट्टी में ही बुवाई का काम करना चाहिये. खेत में गहरी जुताई करके गोबर की खाद डालकर जमीन तैयार की जाती है. 
  • सर्पगंधा के बीजों को बुवाई से 12 घंटे पहले पानी में भिगोया जाता है. जिससे बीजों का अंकुरण और पौधों का विकास तेजी से होता है.
  • सर्पगंधा की बुवाई बीजों, जड़ों और कलम के जरिये भी की जाती है. इन तीनों ही तरीकों से किसानों को अच्छी आमदनी का इंतजाम हो जाता है.


Herbal Farming: जहरीले दंश को चुटकियों में खत्म कर देगा सर्पगंधा, इसकी जैविक खेती से होगा लाखों का मुनाफा

सर्पगंधा की खेती  में सावधानी (Precautions in Sarpagandha Farming) 
वैसे तो सर्पगंधा की खेती करना बेहद आसान है, लेकिन कृषि कार्य करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिये, जिससे सर्पगंधा से अच्छा उत्पादन ले सकें.

  • सर्पगंधा के पौधों से पहली बार फूल निकलने पर उन्हें तोड़ लेना चाहिये, ताकि दूसरी बार फूल निकलने पर बीज बनने के लिये छोड़ सकें.
  • इसका पौधा बुवाई या रोपाई के अगले 4 साल तक फूल और बीज देता है, लेकिन ज्यादा समय तक इसके पौधों से उपज नहीं लेनी चाहिये.
  • कृषि विशेषज्ञ 30 महीने तक ही इससे पैदावार लेने की सलाह देते हैं, जिससे बीज, फूल और पत्तियों की औषधीय गुणों से भरपूर क्वालिटी की उपज ले सकें.


Herbal Farming: जहरीले दंश को चुटकियों में खत्म कर देगा सर्पगंधा, इसकी जैविक खेती से होगा लाखों का मुनाफा

सर्पगंधा से आमदनी (Income from Herbal Farming of Sarpagandha)
भारत में कई सदियों से सर्पगंधा की खेती (Sarpagandha Faming) और इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके पौधे का हर हिस्सा संजीवनी के समान काम करता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसके फूल, पत्ते, बीज, और जड़ों की बिक्री भी ऊंचे दामों पर होती है. 

  • सर्पगंधा के बीजों (Sarpagandha Seeds) को बाजार में 3000 रुपये किलो के भाव पर बेचा जाता है, जो पांरपरिक फसलों के मुकाबले काफी ज्यादा है.
  • इसके पौधों को भी बेचने से पहले जड़ से उखाड़कर सुखाया जाता है. जहां इसकी जड़ें (Sarpagandha Roots) दोबारा बुवाई के काम आती हैं तो बाकी हिस्सों का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है.


Herbal Farming: जहरीले दंश को चुटकियों में खत्म कर देगा सर्पगंधा, इसकी जैविक खेती से होगा लाखों का मुनाफा

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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