Satellite Mapping In UP: भारत कृषि प्रधान देश है. देश के अधिकांश राज्यों में किसान खेती से जुड़े हैं. किसानों की आमदनी का बड़ा स़्त्रोत भी खेती है. प्रदेश सरकारें किसानों की खेती बाढ़ी का हिसाब किताब रखती हैं. आगामी वर्षों में खाद्यान्न की कमी होगी या नहीं. इसको लेकर भी राज्य सरकारें ब्यौरा जुटाती रहती हैं. लेकिन अभी तक अधिकांश राज्यों में शासन स्तर से किसानों की खेती का आंकलन अनुमान के आधार पर किया जाता है. कृषि विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी जिला स्तर पर ही अनुमान के आधार पर रिपोर्ट शासन को भज देते हैं. बता दें कि इस जिले में लगभग इस फसल का इतना रकबा है. लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार इसी पारंपरिक व्यवस्था को खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठा रही है.
यूपी में सेटेलाइट जुटाएगी फसल का ब्यौरा
उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं. अभी तक यह पता नहीं चल पाता है कि किस किसान के पास कितनी खेती है. रबी, खरीफ और जायद के मौसम में किस रकबे मे ंकौन सी और कितने बीघा फसल बोई गई है. जिला स्तरीय कृषि विभाग अनुमान के आधार पर फसल के रकबे संबंधी रिपोर्ट भेज देता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. उत्तर प्रदेश सरकार इस व्यवस्था को सेटेलाइट से जोड़ने जा रही है. सेटेलाइट मैपिंग से प्रदेश में जिलेवार, ब्लॉक वार, गांव वार किसानों के खेत के आकार, फसलों के उत्पादन की सही जानकारी मिल जाएगी.
क्या होगा फायदा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सैटेलाइट मैपिंग के मॉडल पर हामी भर दी है. इस मॉडल का लाभ यह होगा कि प्रदेश सरकार को यह जानकारी हो सकेगी कि किस जिले में किस किसान के पास कितनी खेती है. कितने बीघे मेें कौन सी पफसल बोई गई है. रबी, खरीफ और जायद में कितने रकबे में किस फसल की बुआई हो रही है. जिला स्तर पर अभी कृषि विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी भी भूमि के डाटा पर नजर रख सकेंगे. उसी के आधार पर प्रदेश सरकार किसानों को आवश्यक खाद, रसायन, बीज समेत अन्य खेती संबंधी चीजें उपलब्ध करा देगी. फसलों के चयन के बारे में भी किसानों को सटीक जानकारी दी जा सकेगी.
यूपी अपना रहा कर्नाटक मॉडल
उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, हाल में कर्नाटक राज्य के कृषि व राजस्व विभाग के अधिकारियों ने कर्नाटक का दौरा किया था. उन्होंने कर्नाटक में चल रहे पफसली मॉडल को लागू करने का प्रेजेंटेशन उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री व अन्य अधिकारियों के सामने दिया. कृषि मंत्री समेत अन्य अधिकारियों को यह मॉडल पसंद आया है. अब मॉडल को ही राज्य में लागू करने की तैयारी हो रही है. इससे किसानों को खासा लाभ मिलेगा.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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