Paddy Cultivation In UP: गिरता जलस्तर भारत में केवल एक राज्य की ही समस्या नहीं है. अधिकांश राज्यों में वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है. विशेषज्ञ बताते हैं कि गिरते जल स्तर के पीछे का कारण लोगों का अंधाधुंध पानी का उपयोग करना है. उत्तर प्रदेश में गिरता जल स्तर विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बना हुआ हैं. प्रदेश में 75 जिले हैं और यहां कई जिलों में जल दोहन पर रोक लगाई हुई हैं. उन्हें डार्क जोन में शामिल कर दिया गया है. लेकिन अब उत्तर प्रदेश से ही ऐसी खबर सामने आई है, जहां धान की एक प्रजाति जलस्तर के लिए खतरा बन गई है.
रामपुर में साठा धान बना भूजल के लिए संकट
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूपी भूगर्भ जल प्रबंधन एवं नियामक प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश के तराई एवं पश्चिमी जिलों का भूजल स्तर बहुत तेजी से नीचे होने के लेकर रिपोर्ट पेश की है. प्राधिकरण ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किसान गर्मियों में धान की प्रजाति साठा की बुवाई करते हैं. यह बहुत तेजी से धरती के पानी को सोख रही है. पीलीभीत के डीएम ने रामपुर जिला प्रशासन को पत्र लिखकर साठा धान से होने वाली समस्याओं के संबंध में अवगत कराया. तमाम फैक्ट देखते हुए रामपुर जिला प्रशासन ने साठा धान की बुवाई पर प्रतिबंध लगा दिया है.
लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर में पहले से ही था बैन
धान की प्रजाति साठा को लेकर उत्तर प्रदेश में लगातार कार्रवाई हो रही है. इससे पहले उत्तर प्रदेश के दो जिले लखीमपुर खीरी और शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने साठा धान की बुवाई बैन कर दी थी. साठा धान को लेकर तमाम तथ्य रामपुर जिला प्रशासन के सामने आए. इसके बाद जिले में उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कार्रवाई की जानकारी शीर्ष अधिकारियों को भी दे दी है.
एक किलो चावल, उपज में लगता 4800 लीटर पानी
साठा धान को कितनी पानी की जरूरत होती है और उस धरती का हाल क्या होता होगा? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रामपुर जिला प्रशासन ने एक स्टडी रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि तराई क्षेत्र में साठा धान के एक किलो चावल को उपजाने में ही लगभग 4800 लीटर पानी की खपत हो जाती है. साफ है कि ये चावल जिस लिहाज से पानी पी रहा है. उससे आसपास के एरिया में भी जमीन के सूखे होने का संकट गहरा गया है. इसी को देखते हुए जिला प्रशासन ने कम पानी की मांग वाली दलहन, तिलहन और अन्य सब्जियों को उगाने की अपील किसानों से की है.
डार्क जोन में चला गया था रामपुर
रामपुर डार्क जोन में चला गया था. डार्क जोन से आश्य होता है कि भूजल को लेकर जो निश्चित मानक तय किए गए हैं. उससे बेहद तेजी से जमीन के पानी में गिरावट दर्ज की जाती है. जिला प्रशासन ने रामपुर को डार्क जोन से बाहर लाने के लिए जल बचाओ अभियान चलाया. लोगों को बेवजह पानी यूज नहीं करने की अपील की. किसानों को भी सिंचाई के लिए अन्य फसलो पर फोकस करने के लिए कहा. इसका नतीजा रहा कि रामपुर डार्क जोन से बाहर आ गया.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.