GM Mustard: क्या सच में जहरीला शहद उगलती है जीएम सरसों, किसानों पर क्या होगा इसका असर?
Genetically Modified Crops: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि तय दिशा-निर्देशों के आधार पर 3 साल तक जीएम मस्टर्ड का फील्ड ट्राइल हुआ. इसमें साधारण सरसों से 30% अधिक उत्पादन के प्रमाण मिले हैं.
![GM Mustard: क्या सच में जहरीला शहद उगलती है जीएम सरसों, किसानों पर क्या होगा इसका असर? Science Minister Says on GM Mustard is Safe for Cultivation And consumption Helps to increase Oil Production GM Mustard: क्या सच में जहरीला शहद उगलती है जीएम सरसों, किसानों पर क्या होगा इसका असर?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/12/09/c3d021d5287b8072c982904ba9aae6821670580344985455_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Dhara Mustard Hybrid-11: देश को तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के कई प्रयास किए जा रहे हैं. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने भी जीएम सरसों के फील्ड ट्राइल को मंजूरी दे दी. सरकार के इस फैसला पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस पूरे मामले के बीच सरकार ने जीएम सरसों को धारा मस्टर्ड-11 के फील्ड ट्राइल पर बड़ा खुलासा किया है. राज्य सभी में भाजपा सांसद सुशील कमार मोदी ने पर्यावरण पर जीएम मस्टर्ड की खेती से पड़ने वाले प्रभावों पर सवाल किया था.
इस सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि तय दिशा-निर्देशों के आधार पर 3 साल तक जीएम मस्टर्ड का फील्ड ट्राइल हुआ है, जिसमें साधारण सरसों से 30 फीसदी अधिक बीज उत्पादन के प्रमाण मिले हैं. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि विषाक्त, एलर्जी और दूसरे परीक्षण करने के बाद पता चला है कि जीएम सरसों की धारा मस्टर्ड-11 से बना फूड और पशु आहार भी सुरक्षित है.
मधुमक्खी और शहद उत्पादन पर पड़ेगा इसका असर
राज्यसभा में जीएम सरसों धारा मस्टर्ड-11 की सुरक्षा पर तर्क प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि मधुमक्खी या शहद पर जीएम सरसों का कोई बुरा असर नहीं होगा. ये खबरें पूरी तरह से भ्रामक हैं कि ऐसी फसलों के परागकण नहीं होते तो मधुमक्खी पालन पर असर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि कई परीक्षणों में जीएम सरसों को मधुमक्खी पालन के लिए सुरक्षित पाया गया, क्योंकि अभी तक जीएम कपास से शहद उत्पादन में कोई कमी नहीं आई है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते 25 अक्टूबर तो जीएम सरसों की धारा मस्टर्ड-11 के फील्ड ट्राइल को मंजूरी दे दी है. सरकार का कहना है कि भारत जो खाद्य तेल आयात करता है या जो खाद्य तेल खाया जा रहा है वो ज्यादातर जीएम बीज से ही पैदा हो रहा है. खाद्य तेल के लिए अर्जेंटीना, अमेरिका, ब्राजील और कनाड़ा जैसे देश जीएम सोयाबीन की भी खेती कर रहे हैं. कुछ आधारहीनता के चलते भी जीएम सरसों पर विरोध चल रहे हैं, लेकिन तेलों की बढ़ती महंगाई को कम करने और तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में जीएम सरसों फायदेमंद साबित होगी.
जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल का क्यों हो रहा विरोध
जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी यानी जीईएसी ने जीएम सरसों के कमर्शियल रिलीज से पहले फील्ड ट्राइल को तो मंजूरी मिल गई है, लेकिन इस पर विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ इस फील्ड ट्राइल के खिलाफ मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. इस बीच मधुमक्खी पालन उद्योग की अगुवाई करने वाली कंफेडेरशन ऑफ ऐपीकल्चर इंडस्ट्री (CAI) ने जीएम सरसों की खेती को मीठी क्रांति के लिए घातक करार दिया है.
संगठन ने जीएम सरसों की खेती से मधुमक्खियों की संख्या कम होने और शहद की क्वालिटी प्रभावित होने का संभावना जताई है और इसका फील्ड ट्राइल रोकने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से भी गुहार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट में भी जीएम सरसों के विरोधी याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने अपने तर्क रखें, जो संसदीय समिति की रिपोर्ट पर आधारित थे. इस रिपोर्ट में वैज्ञानिक प्रोफेसर पीएम भार्गव ने जीएम फसलों को खतरनाक बताया है.याचिका में जीएम सरसों को कैंसर और एलर्जी का कारण भी बताया गया है.
किसान और मधुमक्खी पालकों पर प्रभाव
कंफेडेरशन ऑफ ऐपीकल्चर इंडस्ट्री (CAI) के अध्यक्ष देवव्रत शर्मा ने किसान तक के हवाले से बताया कि अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत कई देशों में आज भारत के नॉन जीएम-नेचुरल शहद की काफी डिमांड है, जिससे देश को अच्छी विदेशी मुद्रा मिल रही है, लेकिन जीएम सरसों के आने के बाद शहद उत्पादन की चुनौतियां बढ़ जाएंगी, क्योंकि जीएम सरसों से मिले शहद और नॉन जीएम सरसों से प्राप्त शहद का परीक्षण करवाना अनिवार्य हो जाएगा, जो काफी महंगा है. एक टेस्ट पर 25,000 रुपये खर्च करेंगे तो मधुमक्खी पालकों की लागत बढ़ जाएगी. इससे स्वीट रेवोल्यूशन पर असर पड़ेगा ही, नेचुरल शहद के व्यापार भी थप पड़ सकता है. इस मामले पर कंफेडेरशन ऑफ ऐपीकल्चर इंडस्ट्री (CAI) ने भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान केंद्र के निदेशक पीके राय के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन भी सौंपा है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें: जैविक खेती करने का मन बना रहे हैं तो नोट कर लें ये 5 योजनाएं, ट्रेनिंग-मार्केटिंग, फंड तक का हो जाएगा काम
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![अनिल चमड़िया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/4baddd0e52bfe72802d9f1be015c414b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)