Sesame Cultivation: बंपर उत्पादन के साथ बढ़िया क्वालिटी वाला तेल देगी तिल की ये वैरायटी, जानें खासियत
Til Ki Kheti: कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक तिल की कांके किस्म को अधिक उत्पादन क्षमता वाला बीज कहते हैं, जिससे बेहतर मात्रा में तेल की उपज मिल जाती है.
Kanke Variety of Sesame for Bumper Production: भारत में खरीफ सीजन (Kharif Season) की ज्यादातर फसलों की बुवाई का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन वर्षा आधारित (Rain Based Farming) कुछ फसलों की बुवाई का काम जोरों शोरों से चल रहा है. तिल (Sesame) भी वर्षा आधारित फसलों में से एक है, जिसकी खेती के लिये अच्छी बारिश और उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है.
तिल की खेती (Sesame Farming) के जरिये अच्छा उत्पादन लेने के लिये इसकी उन्नत किस्मों वाले प्रमाणित बीजों का चयन करना चाहिये. इससे किसान कम मेहनत में अच्छा उत्पादन भी ले सकते हैं और बीज को विकास करने के लिये ज्यादा खाद-उर्वरकों की जरूरत नहीं पड़ती. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक तिल की कांके किस्म को अधिक उत्पादन क्षमता वाला बीज कहते हैं, जिससे बेहतर मात्रा में तेल की उपज (Oil Production) मिल जाती है.
कांके किस्म का तिल (Kanke Variety of Seasame)
जाहिर है कि तिल की खेती को मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक तेल का उत्पादन लेना है, जिसके लिये कृषि अनुसंधान संस्थान फसलों की उन्नत किस्मों का विकास-विस्तार करते हैं. इसी क्रम में झारखंड के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने तिल की खेती से बेहतर उत्पादन लेने के लिये बीजों की उन्नत वैरायटी विकसित की है. तिल की कांके किस्म भी इन्हीं उन्नत वैरायटी में से एक है.
- कांके किस्म का तिल सफेद रंग का होता है, जिसकी खेती खरीफ सीजन में की जाती है.
- इसकी खेती बारिश और धूप के बीच की जाती है, जिसमें सावधानियां बरतकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं.
- ये तिल की लंबी अवधि वाली किस्म है, जो बुवाई के 75 से 80 दिनों में पककर कटाई के लिये तैयार हो जाती है.
- कांके किस्म की खेती के लिये अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, कम पानी वाले इलाकों में भी ये बंपर उत्पादन देती है.
- रिपोर्ट्स की मानें तो एक हेक्टेयर जमीन पर कांके किस्म की खेती से 4 से 7 क्विंटल तक तिल का उत्पादन ले सकते हैं, जिससे 42 से 45 फीसदी तेल निष्कासित कर सकते हैं.
- ऑइल फार्मिंग के लिहाज से कांके किस्म की खेती करना किसानों के लिये मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है.
ये हैं तिल की खेती करने वाले राज्य
वैसे तो तिल की खेती (Seasame Cultivation) साल में तीन बार की जाती है, लेकिन खरीफ सीजन में इसकी खेती करने से बेहतर क्वालिटी का उत्पादन मिलता है.
- कम उपजाऊ जमीन और पानी की कमी वाले राज्यों में भी तिल की खेती करके अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
- जाहिर है कि तिल एक लंबी अवधि वाली फसल है, इसलिये दोगुना लाभ के लिये इसके साथ बागवानी फसलों की अंतरवर्तीय खेती (Co-Cropping of Seasame) भी कर सकते हैं.
- भारत में तिल की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलंगाना आदि के नाम शामिल हैं.
- रिसर्च की मानें तो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बुंदेलखंड (Bundelkhand)रीजन को बेहतर तेल उत्पादन वाली तिल की खेती के लिये नंबर 1 उत्पादक मानते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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