Sharbati Wheat: अकसर हमारे किसान गेंहू की खेती में पूरी मेहनत और खर्च करने के बावजूद सही उत्पादन नहीं ले पाते. इसके पीछे गेहूं की किस्में भी जिम्मेदार हो सकती है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि गेहूं की उन्नत किस्म से कम लागत में साधारण से कहीं बेहतर पैदावार ले सकते हैं. गेहूं की खेती में जितनी अच्छी किस्म का इस्तेमाल करेंगे, उत्पादन और आमदनी भी उतनी ही बढ़िया होगी, इसलिए आज हम आपको दुनियाभर में मशहूर एमपी के शरबती गेहूं के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसे गोल्डन ग्रेन भी कहते हैं. मध्य प्रदेश के सिहोर में इस गोल्डन ग्रेन की खेती की जाती है, जिसके भाव बाजार में साधारण गेहूं से कहीं अधिक है. इतना ही नहीं, दिल्ली जैसे बड़े-बड़े शहरों में इसका आटा भी महंगा बिकता है, लेकिन तब भी लोग आगे से आगे शरबती गेहूं या इसका आटा खरीदते हैं. इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि शरबती गेहूं क्यों दुनियाभर में मशहूर है और इसे खाने से क्या-क्या फायदे हैं.
क्यों खास है शरबती गेहूं
शरबती गेहूं, वो प्रीमियम वैरायटी है, जो रंग, रूप और गुण में बाकी गेहूं से कहीं ज्यादा बलवान है. शरबती गेहूं में सबसे ज्यादा पोषक तत्व मौजूद होते हैं. हर 30 ग्राम शरबती गेहूं में 113 कैलोरी, 1 ग्राम वसा, आहार फाइबर समेत 21 ग्राम कार्बोहाइड्रेट , 5 ग्राम प्रोटीन, 40 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.9 मिलीग्राम आयरन मौजूद होता है. इस गेहूं में मैग्नीशियम, सेलेनियम, कैल्शियम, जिंक और मल्टी विटामिन जैसे पौष्टिक तत्व भी होते हैं, जो किसी साधारण वैरायटी के गेहूं से मिलना मुश्किल है. तभी तो शरबती गेहूं से बनने वाले व्यंजनों का स्वाद भी अलग होता है. शरबती गेहूं के हेल्थ बेनेफिट्स की वजह से ही इसे प्रीमियम गेहूं भी कहते हैं.
इस तरह उगता है शरबती गेहूं
शरबती गेहूं की खेती के लिए मध्य प्रदेश की मिट्टी और जलवायु ही सबसे अनुकूल मानी जाती है, हालांकि शरबती गेहूं की C-306 किस्म वैरायटी भी इजाद की गई है, जिसे देश के किसी भी इलाके में उगा सकते हैं. मध्य प्रदेश में सीहोर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद , हरदा, अशोकनगर, भोपाल और मालवा जिले शरबती गेहूं के प्रमुख उत्पादक हैं. यहां का एक बड़ा रकबा शरबती गेहूं से कवर किया जाता है.
सिर्फ मध्य प्रदेश में शरबती गेहूं उगाने के पीछे एक अहम कारण भी है. राज्य में ज्यादातर काली और जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है. यहां ज्यादातर इलाकों में ज्यादातर बारिश के पानी से सिंचाई होती है, जिससे मिट्टी में पोटाश और ह्यूमिडिटी भी बढ़ जाती है. इसका सीधा फायदा शरबती गेहूं की फसल को मिलता है.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शरबती गेहूं की ज्यादातर किस्में कीट और रोग प्रतिरोधी होती है, जिसके चलते कीटनाशकों का खर्चा भी बच जाता है और अच्छी गुणवत्ता वाली कैमिकलमुक्त उपज मिलती है. यही वजह है कि बाद में शरबती गेहूं से बनने वाले आटे में 2 प्रतिशत अधिक प्रोटीन मौजूद होता है, जो साधारण आटे से मिल पाना लगभग मुश्किल ही होता है.
हर साल मिलता है लाखों टन उत्पादन
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य प्रदेश के सिहोर जिले का करीब 40,390 हेक्टेयर रकबा अकेले शरबती गेहूं से कवर होता है. यहां से सालाना 1,09,053 मिलियन टन प्रोडक्शन मिल रहा है. एक हेक्टेयर में 30 से 35 किलोग्राम शरबती गेहूं का बीज डालकर 40-45 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.
शरबती गेहूं की फसल सिर्फ 2 सिंचाई के साथ 135 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिसके बाद चमकदार, सुनहरे और मोटे गेहूं की उपज मिलती है. इससे बना आटा बाजार में 50 से 100 रुपये किलोग्राम तक बिकता है. मंडियों में शरबती गेहूं का भाव भी साधारण गेहूं से कहीं ज्यादा है. एक अनुमान के मुताबिक, शरबती गेहूं 2800 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक के दाम पर बिकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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