भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां ज्यादातर लोग कृषि व उससे जुड़े कार्यों पर निर्भर हैं. देश के कई क्षेत्रों में अलग-अलग प्रजातियों के पशु पाले जाते हैं. जिनमें गाय, भैंस से लेकर बकरी और ऊंट शामिल हैं. ये पशु डेयरी फार्मिंग के मकसद से पाले जाते हैं. लेकिन एक ऐसा भी जानवर है जिसे दूध के लिए नहीं बल्कि ऊन प्राप्ति के लिए पाला जाता है. जी हां हम भेड़ की बात कर रहे हैं. देश के कई इलाकों में भेड़ का पालन किया जाता है जिससे एक पंत दो काज हो जाते हैं. भेड़ पालन से दूध के साथ-साथ ऊन भी मिलता है.


भारत के ज्यादातर भागों में भेड़ पालन होता है. जब आप भेड़ पालन शुरू करते हैं, तो आपको भेड़ की उन्नत प्रजातियों को ही चुनना चाहिए, ताकि आप अधिक दूध और ऊन पा सकें. भारत में आमदनी बढ़ाने वाली भेड़ की प्रजातियों में मालपुरा, जैसलमेरी, मंडिया, मारवाड़ी, बीकानेरी, मैरिनो, कोरिडायलरा मबुतु, छोटा नागपुरी और शहाबाबाद शामिल हैं.


भेड़ों का रखरखाव


भेड़ पालन से अच्छा पैसा कमाने के लिए उनकी स्वच्छता और सेहत के लिए भरपूर ध्यान देना चाहिए. जब बात उनके खाने पीने की बात की जाती है. खेतों में खराब खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. झुंड में भेड़ों को चराने और सैर-सपाटा के लिए ले जाना चाहिए. भेड़ों का जीवनकाल आमतौर पर 7 से 8 साल ही होता है, लेकिन वे पर्याप्त मात्रा में ऊन पैदा करके किसानों और पशुपालकों को पैसे वाला बनाते हैं.


कितनी आती है लागत और आमदनी


अगर आप 15 से 20 भेड़ों का पशुपालन करना चाहते हैं, तो एक भेड़ की कीमत प्रजातियों के हिसाब से तीन हजार से आठ हजार रुपये तक हो सकती है. 20 भेड़ों की खरीद करना लगभग 1 लाख से 1.5 लाख रुपये का खर्च है. 20 भेंड़ों के लिए 500 वर्ग फुट का तबेला पर्याप्त होगा, जो 30,000 से 40,000 रुपये की लागत पर बनाया जा सकता है.


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