Fish Farming Business: देश में पहले मछली पालन सिर्फ झील, नदी, और समंदर तक सीमित था, जहां मछली पालन और मछुआरे सिर्फ मछली पकड़कर रोजगार कमाते थे, लेकिन आज देश-दुनिया में मछली की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि गांव-गांव में खेती के साथ-साथ मछली पालन का चलन बढ़ता जा रहा है. इस काम में सरकार भी किसानों को भरपूर मदद दे रही है. कुछ राज्यों में मछली पालन के लिए अलग से भी सब्सिडी दी जाती है. वैसे तो मछली की कई वैरायटी पालने का चयन है, लेकिन बाजार में सबसे ज्यादा डिमांड झींगा मछली यानी प्रॉन्स की रहती है. ये मछली खारे पानी वाले इलाकों के लिए वरदान से कम नहीं है.


कभी इस मछली को पालने के लिए मछुआरे समुद्र के खारे पानी पर निर्भर थे, लेकिन आज गांव में खेतों के बीचोंबीच तालाब बनाकर या शेड़ डालकर हेचरी में भी झींगा पाल सकते हैं. आजकल ई-नाम पर झींगा की ऑनलाइन खरीद-फरोख्त चालू हो गई है, जिससे इसकी मार्केटिंग या सही दाम मिलने की चिंता भी नहीं रहती. आइए जानते हैं कैसे झींगा पालन करके किसान अपनी आमदनी को दो गुना नहीं 10 गुना तक बढ़ा सकते हैं.


इस तरह करें झींगा मछली पालन
झींगा मछली पालन सिर्फ एक बिजनेस नहीं है. इसमें मौजूद फैटी एसिड से दिल की सेहत भी बेहतर रहती है. झींगा मछली पालन के लिए 1,500 वर्गफुट क्षेत्रफल काफी रहता है. इतने क्षेत्र में 8 फीट लंबा और 8 फीट चौड़ाई वाला तालाब बना सकते हैं. इसकी गहराई 5 फीट होनी चाहिए. एक अनुमान के मुताबिक, इस तालाब को बनाने में 75,000 रुपये का खर्च आ सकता है, जिसमें करीब 8 से 9 महीने में झींगा मछली का पहला प्रोडक्शन मिल जाएगा.


उन्नत नस्लों का करें चयन
झींगा मछली से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए इसकी उन्नत किस्मों का ही चयन करें और अच्छी क्वालिटी के बीच तालाब में डालें. एक्सपर्ट्स की मानें तो झींगा की जलवायु प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करना चाहिए. वो नस्लें जो प्रकृति के बीच अच्छे से पनपती हैं, उन्हें कम देखभाल और प्रबंधन की कम ही आवश्यकता होती है. इस तरह झींगा पालन से कम खर्च में अच्छा रिटर्न लेने में भी खास मदद मिलेगी.


इन बातों का रखें खास ध्यान
झींगा मछली पालन के लिए सही जगह को चुनना बेहद जरूरी है.ध्यान रखें कि झींगा पालन के लिए दोमट मिट्टी में ही तालाब बनाएं और आसपान के इलाके को साफ-सुथरा रखें. 



  • तालाब के पानी का पीएम मान नियंत्रित करने के लिए चूना का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी जाती है. 

  • साथ ही समय-समय पर तालाब का पानी बदलने के लिए जल निकासी और रिफिल करने के लिए पानी की व्यवस्था अवश्य कर लें.

  • झींगा मछली को बीमारियों से दूर रखने और तमाम जोखिमों को कम करने के लिए तालाब के किनारे वाली सतह पर रोग प्रतिरोधी दवा का छिड़काव करें.

  • तालाब में चाहें तो जलीय वनस्पतिक पौधे भी लगा सकते हैं, क्योंकि झींगा मछलियों को छिपकर छायादार इलाके में आराम करने की आदत होती है.

  • झींगा को खाने में शाकाहार और मांसाहार दोनों ही पसंद होता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो इन्हें सरसों की खली, राईस ब्रान, फिशमील से लेकर मछलियों का चूरा, घोंघा, छोटे झींगे और बूचड़खाने का अवशेष भी दे सकते हैं.


झींगा पालन के लिए सब्सिडी
केंद्र सरकार ने झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई है. अगर झींगा पालन के लिए नया तालाब बनाने जा रहे हैं तो सरकार की तरफ से 20% सब्सिडी अधिकतम 3 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है. वहीं एससी-एसटी वर्ग के किसानों को 25% तक सब्सिडी का प्रावधान है. वहीं हेचरी में झींगा के बीजों का उत्पादन के लिए 40% सब्सिडी का भी प्रावधान है. नाबार्ड (NABARD) और सहकारी बैंक समेत कई वित्तीय संस्थाएं भी किसानों को सस्ती दरों पर लोन की सुविधा देती है. केंद्र सरकार ने भी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PM Matsya Sampada Yojana) चलाई है. इस योजना से जुड़कर झींगा पालन करने के लिए नजदीकी पशुपालन विभाग में संपर्क कर सकते हैं.


झींगा पालन से आमदनी
एक्सपर्ट्स की मानें तो तालाब में झींगा के लार्वा डालने के बाद कुल 50 से 70 फीसदी झींगा ही जिंदा रहता है, जिनकी 4 से 5 महीने तक सख्त देखभाल करनी होती है, जब इनका वजन 50 से 70 ग्राम बढ़ जाए तो हार्वेस्टिंग लेते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, एक एकड़ तालाब से 4,000 किलो झींगा का उत्पादन ले सकते हैं, जो बाजार में 250 से 350 रुपये किलोग्राम तक बिकता है. ये किसी और फसल के मुकाबले कहीं ज्यादा मुनाफा देता है. करीब एक एकड़ दायरे में झींगा पालन करके लागत वसूलने के बाद भी आराम से 4 से 5 लाख रुपये मुनाफा कमा सकते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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