Farming Technique: किसानों को मालामाल बना सकती है साधारण सी तोरई, मुनाफे के पीछे छिपी है खास तकनीक
Ridge Gourd Farming: मचान विधि से तोरई की खेती करने पर अलग से मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिये छोटे किसानों के लिये यह तरीका फायदेमंद साबित हो सकता है.
Staking Method of Ridge Gourd Farming: भारत में खरीफ फसलों (Kharif Vegetable) की खेती का काम तेजी से चल रहा है. मानसून के मजबूत होते ही उत्तर प्रदेश के किसानों ने भी सब्जी फसलों की खेती (Vegetable Farming) करने का निर्णय लिया है. इस बीच कई किसान तोरई की खेती कर रहे हैं. ये इसलिये खास है क्योंकि साधारण सी तरोई की खेती के लिये एक खास तकनीक अपनाई जा रही है.
इसे मचान विधि यानी स्टेकिंग मैथड (Staking Method) कहते हैं. इस विधि से खेती करने पर तोरई की फसल (Redge Gourd Farming) से प्रति हैक्टेयर ज्यादा उत्पादन मिलता ही है, साथ ही कीड़े बीमारियां और खरपतवार (Weed Management) जैसे जोखिमों की संभावना भी कम हो जाती है.
कैसे करें मचान विधि से खेती (Process of Staking Farming)
मचान विधि से तोरई उगाना बेहद आसान है. इसका ढांचा तैयार करने के लिये बांस की बल्लियां या जालियों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. जब तोरई की बेलें बड़ी होने लगती हैं, तो उन्हें जमीन पर छोड़ने के बजाय जाली या बांस का सहारा देकर ऊपर की ओर बढ़ाया जाता है. बांस के ढांचे पर तोरई की बेल को बांधने के लिये जूट या नाइलोन के तार का प्रयोग किया जाता है. इस तरह बेलों को सीधा जड़ों से पानी मिलता है.
मचान विधि से तोरई उगाने के फायदे (Benefits of Staking Method)
इस तरीके से उगाई गई फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना काफी कम होती है, फिर भी थोड़ी बहुत समस्या दिखने पर जैविक कीटनाशकों (Organic Pest Control) का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- इस तरह से खेती करने पर निराई-गुड़ाई में आसानी हो जाती है और खरपतवारों को समय रहते नष्ट कर सकते हैं.
- मचान विधि से तोरई की खेती करने पर फलों को हवा, धूप और बारिश का पानी ठीक प्रकार से मिल जाता है.
- इस तरह पौधे न ही गलते हैं और न ही सड़ते हैं, बल्कि समय से ही सब्जियों का उत्पादन मिल जाता है.
- किसान चाहें तो नजदीकी उत्पादन उद्यान विभाग के कार्यालय में जाकर इसकी जानकारी ले सकते हैं.
लागत और आमदनी
मचान विधि से तोरई की फसल (Ridge Gourd Crop) लगाने पर अलग से मजदूरों की जरूरत न हीं पड़ती, इसलिये छोटे किसानों के लिये मचान विधि (Staking Technique) मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है. करीब एक बीघा जमीन पर मचान विधि से तोरई की खेती करने पर करीब 15,000 रुपये का खर्च आ जाता है, लेकिन पकने के बाद यही फसल बाजार में दोगुना दाम पर बिकती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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