Skin Disease in Cow: पशुओं का बेहतर स्वास्थ्य ही पशुपालकों की सफलता की कुंजी है. पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य से ही डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) में चार चांद लग जाते हैं, लेकिन कभी-कभी पशुओं की खराब सेहत के कारण पशुपालकों को नुकसान भी झेलना पड़ जाता है. खासकर गाय पालन (Cow Farming)करने वाले किसानों को ज्यादा सावधानियां बरनी चाहिये, क्योंकि लंपी त्वचा रोग जैसा ही एक चर्म रोग गाय (Skin Disease in Cow) को काफी बीमार बना सकता है. इस बीमारी के कारण गायों में तनाव (Stress in Cow) की स्थिति बढ़ जाती है और दूध उत्पादन (Milk Production) भी एक दम गिर जाता है.


गायों में चर्म रोग के लक्षण
गायों की चर्म रोग की शुरुआती लक्षण काफी तनावपूर्ण होते हैं, क्योंकि इन मूक पशुओं को संक्रमण के कारण शरीर पर खुजली होने लगती है, जिससे ये पशु पेड़, दीवार या किसी चीज से अपने शरीर को सहलाते हुये नजर आते हैं. 



  • इस रोग के लक्षण त्वचा पर जल्दी दिखाई नहीं देते. यही कारण है कि पशुपालकों को गायों के व्यवहार के आधार पर ही अंदाजा लगाना पड़ता है. 

  • इस चर्म रोग के कारण गायों की त्वचा से बाल झड़ने लगते हैं और खुजली के कारण त्वचा सख्त भी हो जाती है. 

  • इसके कारण गायों की त्वचा से मवाद और पस भी निकलने लगता है. 

  • इस बीमारी के कारण गायों के शरीर का तापमान गर्म और त्वचा का रंग लाल पड़ने लगता है. 

  • इस बीमारी का कारण गाय अचानक से ही कमजोर पड़ने लगती है और उनमें दूध उत्पादन भी काफी हद तक कम हो जाता है. 


क्या कहते हैं पशु चिकित्सक
पशु चिकित्सकों के मुताबिक, मौसम के बदलाव और पशुओं की साफ-सफाई ना होने के कारण चर्म रोग की संभावनायें काफी बढ़ जाती है. खासकर गायों में जीवाणु और कृमि त्वचा रोगों के कारण ये बीमारी दस्तक देती है. ये चर्म रोग मक्खी, मच्छर, कीडे, पशु या खान-पान के जरिये भी एक पशु से दूसरे पशु में भी फैल सकता है. आमतौर पर चर्म रोगों के लक्षण जल्द दिखाई नहीं देते, इसलिये गायों का खान-पान और रहन-सहन में साफ-सफाई बरतनी चाहिये. मौसम बदलते समय में पशुओं की आवाजाही में सावधानियां बरतनी चाहिये.


बरतें ये सावधानियां
गायों में चर्म रोग के लक्षण (Symptoms of Skin Disease in Cow) दिखते ही पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये, ताकि दवा या टीका लगाकर बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके. पशुपालक चाहें तो शुरुआत से ही सावधानियां (Precaution in Cow Farming) बरतकर इस बीमारी की संभावनाओं को कम कर सकते हैं.



  • पशुओं को रोजाना साफ पानी से नहलायें और गायों को पीने के लिये भी ताजा पानी देना चाहिये.

  • खासकर गर्मियों में पशुओं की और पशु बाड़े की साफ-सफाई करते रहे, ताकि बैक्टीरिया और कीट-पतंग ना भिनकें.

  • बारिश के मौसम में पशुओं की आवाजाही में सावधानी रखें, जितना हो सके पशुओं को साफ-सुथरा चारा ही खिलायें.

  • पशुओं के रहने के स्थान पर पानी ना भरने दें और पानी भरने पर पशुओं की सैर को टाल दें.

  • पशु चिकित्सकों की सलाह पर गायों को हर 3 महीने के अंतराल डीवार्मिंग दवा पिलानी चाहिये.

  • पशुओं को हरा (Green Feed) और सूखे चारे के अलावा दलिया, तूडी, तेल के बीज की खलियां, विटामिन और खनिज लवण से भरपूर पशु आहार (Animal Fodder)खिलाना चाहिये.  

  • गायों में किसी भी तरह से कमजोरी ना पनपने दें, क्योंकि कमजोर गायों में रोगों (Disease in Cow) के कारण बड़ा नुकसान हो सकता है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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