Sugarcane Production: नई आईटी तकनीक से यूपी में बढ़ गया गन्ने का प्रोडक्शन, पेराई में भी हुई ग्रोथ, किसानों के पेमेंट ने भी तोड़ पुराना रिकॉर्ड
Smart Ganna Kisan: यूपी सरकार ने गन्ना के पहले से लंबित बड़े पेमेंट के साथ पेराई स्तर 2017 से लेकर 2022-23 तक की 1,82,627.58 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो 10 साल में हुए पेमेंट से ज्यादा है.
Sugarcane Farming: जब भी गन्ना के उत्पादन की बात आती है तो हमेशा टॉप पर यूपी का नाम रहता है. यहां गन्ना की पैदावार से लेकर पेराई और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार की पूरा प्रोत्साहन मिल रहा है. एक तरफ अधिक पैदावार के लिए गन्ना उत्पादन के लिए नई आईटी तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. वहीं सरकार भी गन्ना किसानों के भुगतान से लेकर पेराई के लिए चीनी मिलों के संचालन पर फोकस कर रही है. इसी का परिणाम है कि गन्ना पेराई सत्र 2021-22 में 210 चीनी मिलों का संचालन किया गया.
पैदावार के साथ बढ़ गई पेराई
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तर प्रदेश में पिछले 5 साल में गन्ना की उत्पादकता में 9.93 टन की ग्रोथ दर्ज की गई है. आंकड़ों की मानें तो साल 2021-22 में गन्ना का रकबा 27.60 लाख हेक्टेयर और उत्पादकता भी 83.31 टन प्रति हेक्टेयर पर पहुंच गई है. वहीं गन्ना पेराई सत्र 2021-22 में भी अच्छी खासी बढ़त देखी गई है. इस बीच बी-हैवी शीरा और गन्ना रस के इथेनॉल उत्पादन में 10.03% और बी-हैवी शीरा और गन्ना रस के बिना बिना इथेनॉल उत्पादन का आंकड़ा 11.47 दर्ज किया गया. पिछले कुछ सालों में हुई ग्रोथ का श्रेय सरकार की अनुदान योजनाओं के साथ किसानों की मेहनत को भी जाता है.
गन्ना विकास कार्यक्रम से मिली आर्थिक मदद
यूपी सरकार ने जिला स्तर पर गन्ना विकास योजना चलाई है, जिसमें बीज उत्पादन और वितरण कार्यक्रम के जरिए गन्ने की उन्नत किस्मों के बीज उत्पादन पर फोकस किया जा रहा है.
- इस बीच आधार पौधशाला धारकों को 50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनुदान और प्राथमिक पौधशाला धारकों को 25 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनुदान दिया जा रहा है.
- बीजों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी अनुदान की व्यवस्था है. इन बीजों को पौधशाला/नर्सरी से किसानों तक पहुंचाने के लिए भी 7 से 15 रुपये के अनुदान का प्रावधान है.
- गन्ना की फसल सुरक्षा, कीट-रोग नियंत्रण, पेड़ प्रबंधन और बीज-भूमि उपचार के लिए अलग-अलग से आर्थिक मदद दी जा रही है.
- इन सभी कामों में इस्तेमाल किए गए उर्वरकों के लिए 50 फीसदी सब्सिडी या अधिकतम 900 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जाता है.
- गन्ना के स्वस्थ और सुरक्षित उत्पादन के लिए बायो-फर्टिलाइजर और वर्मीकंपोस्ट की खरीद पर 50% सब्सिडी या अधिकतम 600 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान मिलता है.
पैदावार बढ़ाने में मददगार नई आईटी तकनीक
यूपी में गन्ना के किसानों को तकनीक से जोड़कर स्मार्ट बनाने की भी पहल की गई है. राज्य में गन्ने की खेती के लिए आईटी प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया गया है, जो किसानों को गन्ना सर्वे से लेकर, सट्टा, कैलेंडर और पर्ची से जुड़ी सभी जानकारियां फोन पर ही उपलब्ध करवा रहा है. अब गन्ना की पर्ची सीधा फोन पर एसएमएस के जरिए मिल जाती है, जिससे सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की दिक्कत नहीं रही. इसके अलावा, स्मार्ट गन्ना किसान एप की मदद से भुगतान की प्रक्रिया सरल हो गई है. पहले के लंबित बड़े भुगतानों के साथ 2017 से लेकर पेराई स्तर 2022-23 तक की गन्ना के लिए 1,82,627.58 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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