Hi-tech Dairy Farm of Desi Cow: शहरों की भाग-दौड़ भरी जिंदगी और लैपटॉप के इर्द-गिर्द घूमती जिंदगी हर इंसान का सपना नहीं होती. कुछ लोग पढ़ाई-लिखाई के बाद वापस अपने गांव और अपनी मिट्टी के लिये भी कुछ बेहतर करने का जुनून रखते हैं. यही जुनून आज लाखों युवाओं को गांव की मिट्टी की तरफ खींच रहा है और ये युवा खेती-किसानी में भविष्य तलाशकर गांव में ही रोजगार के अवसर पैदा रहे हैं. जाहिर है कि पढ़ाई-लिखाई का मतलब सिर्फ नौकरी करना ही नहीं होता, बल्कि अपनी मिट्टी के लिये कुछ कर गुजरना भी बड़ी बात होती है.


खेती-किसानी के क्षेत्र में कुछ ऐसे ही सफलतम प्रयास कर रहे हैं सॉफ्टवेर इंजीनियर असीम रावत, जिन्होंने 4 लाख की नौकरी ठुकराकर देसी गाय का हाइटैक डेयरी फार्म शुरू किया. आज इनके डेयरी फार्म में गिर, साहीवाल और नंदी जैसे 400 से भी ज्यादा गौवंश हैं, जिनका दूध दिल्ली, गुड़गांव और गाजियाबाद में खूब मशहूर हो चुका है. इनके हाइटैक डेयरी फार्मिंग से करीब 80 लोगों को रोजगार मिल चुका है और खुद असीम रावत भी A2 मिल्क बेचकर करोडों का टर्नओवर बना चुके हैं.


गाय को खिलाते हैं हाइड्रोपॉनिक चारा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, असीम रावत ने अपने हाइटैक डेयरी फार्म का नाम हेथा ऑर्गेनिक्स रखा है, जिसकी ऑनलाइन वेबसाइट भी है. ये नाम असीम रावत ने अपने दादा के नाम पर रखा है, जहां पारंपरिक मूल्यों के साथ-साथ नवाचारों के जरिये गायों की देखभाल की जाती है. गौवशों की अच्छी सेहत और बेहतर दूध उत्पादन के लिये फार्म के मजदूर साफ-सफाई से लेकर खान-पान का खास ख्याल रखते हैं.


जहां सर्दियों में गौवशों को चारे के साथ-साथ दलिया और बाजरा खिलाया जाता है तो वहीं साधारण दिनों में गन्ने की खोई खिलाई जाती है. इनके फार्म में कभी पशु चारे का संकट पैदा नहीं होता, क्योंकि यहां हाईड्रोपोनिक मशीन की मदद से रोजाना 200 किलोग्राम तक पौष्टिक पशु चारा उगाया जाता है. 


देसी गायों के प्रति सोच बदली
जाहिर है कि भारत में देसी गाय का पशुपालन और डेयरी फार्मिंग के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है, लेकिन लोगों ने इसे अब राजनीति से भी जोड़ दिया है. एक दिन टीवी चैनल पर गायों की अस्तित्व पर सवाल खड़े हुये तो असीम रावत ने भी गायों को सम्मान दिलवाने का संकल्प ले लिया. इसी संकल्प के साथ आज असीम रावत अपने फार्म के गाय का A2 दूध और गौमूत्र लोगों को उपलब्ध करवाते हैं.


हेथा डेयरी फार्म में सिर्फ देसी गाय पालन के साथ-साथ उनके संरक्षण और संवर्धन का काम किया है. असीम रावत के फार्म ने आज समाज में गौशालाओं की पुरानी तस्वीर को पलट के रख दिया है. उनके फार्म में सिर्फ गिर, साहीवाल और थरपारकर जैसी देसी गाय ही नहीं, बल्कि नंदी गाय के साथ-साथ बूढ़ी गौवंश और नवजात बछड़ों का भी संरक्षण किया जा रहा है. 


डेयरी फार्म से आमदनी
असीम रावत के हेथा डेयरी फार्म में आज 90 से ज्यादा उत्पाद बनाये और निर्यात किये जा रहे हैं, जिससे किसान और ग्रामीणों को भी रोजगार मिल रहा है. आज हेथा हेयरी फार्म का टर्नओवर 5 करोड़ को पार कर चुका है. यहां काम करने वाले ग्रामीणों को करीब 8 लाख रुपये का मेहनताना दिया जाता है. जहां कोरोना महामारी के दौर में दुनियाभर के बिजनेस बंद हो गये थे. वहीं असीम रावत का डेयरी फार्म में चहल-पहल बनी रहती थी.


बता दें कि आज असीम रावत के हेथा फार्म में 90 मादा और 10 नर गौवंश मौजूद है, जिनकी देखभाल का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है. इनके डेयरी फार्म से रोजाना 600 से 700 लीटर गाय का दूध उत्पादन होता है, जिसे दिल्ली-एमसीआर में डिलीवर किया जाता है. असीम बताते हैं कि गायों का रहन-सहन साफ-सुथरा होना चाहिए. इस बीच उन्हें खाने के लिये भी हरा चारा देना चाहिये. इस तरह ये कभी-भी किसान की जेब खाली नहीं होने देंगी. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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