Soil Health Card: एग्रीकल्चर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. केंद्र और राज्य सरकार इस रीढ़ को मजबूत करने के लिए किसानों की हर संभव मदद कर रही हैं. किसान भी मेहतन कर अपने पसीने से इस जमीन को सींचने का काम करते हैं. लेकिन काफी संख्या में किसान जमीन से अधिक उपज पाने के लिए अंधाधुंध कैमिकल फर्टिलाइजर और अन्य प्रयोग कर रहे हैं. पराली का जलाया जाना भी भूमि को नुकसान पहुंचाने के पीछे बड़े कारक के रूप में सामने आया है. अब एक ऐसी ही स्टडी देश के राज्य में मिट्टी को लेकर की गई. इसके नतीजे चिंताजनक और परेशान करने वाले हैं.
पोषक तत्वों के घटने से 20 प्रतिशत उत्पादन घटा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के सोलन के बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के विशेषज्ञों की मिट्टी की क्षमता को लेकर स्टडी की. स्टडी के नतीजे हैरान करने वाले रहे. राज्य की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी आने से लगभग 20 प्रतिशत प्रॉडक्शन घट गया है. एक्सपर्ट का कहना है कि मिट्टी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए 16 पोषक तत्व जरूरी होते हैं. इनमे से कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन वातावरण और पानी से मिल जाते हैं. शेष जमीन में ही होते हैं. इन्हीं का नुकसान मिट्टी को हुआ है.
फर्टिलाइर का प्रयोग बढ़ने से घटी क्षमता
वशेषज्ञों की जांच में सामने आया कि पिछले कई सालों में फर्टिलाइजर का प्रयोग तेजी से बढ़ा है. स्टेट में वष्र 1969 में जहां एक हेक्टेयर भूमि में 12.4 किलोग्राम खाद का प्रयोग होता था. अब यह बढ़कर 137 किलोग्राम हेक्टेयर तक पहुंच गया है. कीटनाशकों का प्रयोग भी किसान खेतों में अंधाधुंध कर रहा है. इससे मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन, पोटाश, सल्फर, जिंक, बोरान, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन, मैगनीज, कॉपर और क्लोरीन जैसे तत्वों की कमी हो गई है. स्टडी के अनुसार, लगभग 85 प्रतिशत मिट्टी में जैविक कार्बन (देसी खाद) की कमी है. मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भी देखी जा रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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पोषक तत्वों की कमी से पौधों को रोग भी लग रहे
यूनिवर्सिटी ने मिट्टी की जांच स्टेट के अलग अलग हिस्सों में कराई गई. परीक्षण में सामने आया कि हर साल मिट्टी में पोषक तत्वों का नुकसान हो रहा है. जिंक पौधों में कई रोगो ंसे बचाव करता है. अब मिट्टी में जिंक ही बेहद कम हो गया है. इसकी कमी से धान, गेहूं, आलू, मक्का, गोभी, सेब आदि फसलों को झुलसा और खैरा रोग लग रहा है. जिंक, आयरन, कॉपर, मैग्नीज, बोरान, क्लोरीन पौधों की ग्रोथ में काम आते हैं. इनकी कमी से पौधों की ग्रोथ सही ढंग से नहीं हो रही हैं. बोरान की कमी भी फसलों में देखी गई है. इससे बालियों में दाने तक नहीं पड़ रहे हैं.
किसान करवाएं मिट्टी की जांच
विशेषज्ञों का कहना है कि पोषक तत्वों की कमी होना मिट्टी की सेहत के लिए खतरे की घंटी है. किसानों को इससे बचाव के लिए मिट्टी में पोषक तत्वों की जांच करानी चाहिए. यदि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी देखने को मिली है तो किसानों को जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट, नाडेप कंपोस्ट का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा एग्रीकल्चर साइंटिस्ट या एक्सपर्ट की राय भी लेनी चाहिए.