Maize Farming in Kharif Season: आधुनिक खान-पान के चलते देसी-विदेशी लगभग ज्यादातर व्यंजनों में मक्का का इस्तेमाल आम बात हो गई है. हालांकि पहले मक्का को सिर्फ रोटी और कॉर्न सिरप बनाने में ही इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन आज भुट्टे से लेकर कॉर्न फ्लेक्स, पॉपकार्न और यहां तक कि पास्ता, पिज्जा और सेंडविच में मक्का का इस्तमाल किया जा रहा है. दुनियाभर में मक्का की बढ़ती खपत के चलते अब तीनों फसल चक्रों में मक्का की खेती की जा रही है. लेकिन खरीफ सीजन में मानसून के बीच मक्का करने के अलग ही फायदे हैं. 


खेत की तैयारी 



  • सबसे पहले खेत में 3-4 गहरी जुताईयां लगायें और पाटा चलाकर खेत में समतलीकरण का काम कर लें.

  • अंतिम जुताई से पहले खेत में गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट खाद को डालकर मिट्टी को पोषण प्रदान करें.

  • मक्का की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करें

  • मक्का की अधिक उपज देने वाली संकर किस्मों में गंगा-5, डेक्कन-101, गंगा सफेद-2, गंगा-11 और डेक्कन-103 शामिल हैं.

  • किसान चाहें तो इसकी सामान्य अवधि वाली किस्मों में चंदन मक्का-1 और जल्दी पकने वाली किस्में चंदन मक्का-3 और चंदन सफेद मक्का-2 के बीजों का प्रयोग कर सकते हैं.


मक्का की बुवाई



  • मक्का की बुवाई से पहले बीजोपचार कर लेना चाहिये. इससे फसलों में कीड़े और बीमारियां लगने की संभावना कम हो जाती है.

  • एक हैक्टेयर खेत में मक्का की संकर किस्मों की बुवाई के लिये 12-15 किग्रा. बीजदार का इस्तेमाल करें .

  • क्का की कम्पोजिट किस्मों की बुवाई के लिये प्रति हेक्टेयर 15-20 किलो बीजदार का प्रयोग करें.

  • मक्का की चारा फसल यानी हरे चारे के लिये 40-45 किग्रा प्रति हैक्टेयर के हिसाब से बिजाई करें.

  • मक्का की जल्दी पकने वाली किस्मों की बुवाई के समय लाइनों में 60 सेमी. का फासला और पौधों को 20 सेमी. की दूरी पर बोयें.

  • देर से पकने वाली मक्का की किस्मों के लिये कतारों की दूरी 75 सेमी. और पौधों को 25 सेमी. दूरी पर बुवाई करें

  • पशुओं की चारा फसल की बुवाई के लिये लाइनों में 40 सेमी. की दूरी और पौधों को 25 सेमी के फासले पर बोयें.

  • अच्छे उत्पादन के लिये मानसून की पहली बारिश पड़ने पर मक्का की बिजाई कर दें.

  • बारिश के मौसम में जलभराव से फसल को बचाने के लिये मक्का की बिजाई मेड़ों पर करें और बीजों को 3-5 सेमी. की गहराई में बोयें.

  • बुवाई के 15-20 दिन बाद फसल में मिट्टी चढ़ाने का काम कर देना चाहिये.


खरीफ सीजन में मक्का की बुवाई जून-जुलाई के बीच की जाती है. इस दौरान मानसून की बारिश के चलते ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती, बारिश के पानी से ही फसल को काफी नमी मिल जाती है. एक बार बोई गई मक्का की फसल से पशुओं के लिये भी पोषणयुक्त चारे का इंतजाम हो जाता है, लेकिन मक्का की फसल से अच्छी आमदनी लेने के लिये जरूरी है कि बुवाई से लेकर कटाई तक के सभी काम सावधानीपूर्वक किये जायें.


(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.)


इसे भी पढ़ें:-


Brinjal Farming: बाजार में दोगुना दाम पर बिकेगा बैंगन, मानसून में इन सावधानियों के साथ करें बुवाई और रोपाई


Alert! कहीं बारिश में खो न जाये अमरूद की मिठास, इस तरीके से करें अमरूद के बागों की देखभाल