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Crop Loss: बेमौसम बारिश से फसल को नुकसान के बावजूद सोयाबीन की कीमतों में क्यों आ रही है गिरावट?

Soyabean Prices 2022: कृषि विशेषज्ञों ने प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान में बेमौसम बारिश के चलते सोयाबीन की करीब 0.34 मिलियन मीट्रिक टन फसल बर्बाद होने का अनुमान लगया है.

Soybean Prices Fall: मौजूदा समय में हो रही बेमौसम बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल (Soybean Crop) को नुकसान के बावजूद कीमतों में कमजोरी देखने को मिल रही है. उत्पादन और पिछला बकाया स्टॉक ज्यादा होने की वजह से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट (Soybean Price Fall) जारी रहने की आशंका है. जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में हाजिर बाजार में सोयाबीन का भाव लुढ़ककर 4,500 रुपये प्रति क्विंटल (Soybean Price 2022) के निचले स्तर तक भी पहुंच सकता है. जानकारों ने प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान में बेमौसम बारिश के चलते सोयाबीन की करीब 0.34 मिलियन मीट्रिक टन फसल बर्बाद (Soybean Crop Loss) होने का अनुमान लगया है. 

मध्य प्रदेश में फसल नुकसान
ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण सत्संगी के मुताबिक देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में बेमौसम बारिश की वजह से 1,92,000 मीट्रिक टन सोयाबीन की फसल खराब हो चुकी है. उनका कहना है कि प्रदेश में इंदौर, सागर, मंदसौर, नीमच और रायसेन जिलों के कुछ इलाकों में सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचने की सूचना है.

तरुण सत्संगी कहते हैं कि मध्य प्रदेश की कुल फसल का करीब 4 फीसदी जो कि 1,92,000 मीट्रिक टन के आस-पास बनता है, नष्ट हो चुका है. इंदौर में किशनगंज, नीमच में कवाई, रायसेन में शाहबाद और सकटपुर, मंदसौर में नाहरगढ़ और सागर में बारा और करबाना में सोयाबीन की फसल को सबसे ज्यादा क्षति पहुंची है. 
 
राजस्थान में भी खराब हुई फसल
वहीं राजस्थान की बात करें तो तरुण सत्संगी का कहना है कि राजस्थान में बेमौसम बारिश के चलते 1,50,000 मीट्रिक टन सोयाबीन की फसल खराब हो चुकी है. उनका कहना है कि राजस्थान में मुख्य रूप से हाड़ौती क्षेत्र- बूंदी, बारां, झालावाड़ और कोटा में सोयाबीन की बुआई की जाती है. राजस्थान में इन चार जिलों की सोयाबीन उत्पादन में 75 फीसदी हिस्सेदारी है. तरुण कहते हैं कि हमारे शुरुआती आकलन के मुताबिक इन इलाकों में 1,50,000 मीट्रिक टन या 675 करोड़ रुपये के सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचा है और कोटा जिले में सोयाबीन की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान करीब 20 से 25 फीसदी तक हुआ है.
 
तरुण सत्संगी के मुताबिक जून 2022 के बाद से सोयाबीन में जारी गिरावट के रुख में फिलहाल कोई भी बदलाव होता हुआ नहीं दिखाई पड़ रहा है. उनका कहना है कि करीब 0.34 मिलियन मीट्रिक टन फसल बर्बाद होने के बावजूद फसल वर्ष 2022-23 में सोयाबीन का उत्पादन 12.14 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले साल के 11.95 मिलियन मीट्रिक टन के उत्पादन से 1.6 फीसदी ज्यादा है. तरुण कहते हैं कि हमने पूर्व में फसल वर्ष 2022-23 के लिए अपने प्रारंभिक उत्पादन अनुमान में सोयाबीन का उत्पादन 12.48 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान जारी किया था, जिसमें मौजूदा हालात को देखते हुए कटौती कर दी है.

सोयाबीन का उत्पादन
तरुण सत्संगी कहते हैं कि फिलहाल देश में सोयाबीन का 3.25 मिलियन मीट्रिक टन से ज्यादा का पिछला बकाया स्टॉक है जो कि फसल वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) की शुरुआत में सामान्य स्टॉक से 4 गुना अधिक के स्तर पर है. उनका कहना है कि किसानों ने ज्यादा मुनाफे की उम्मीद ना सिर्फ सोयाबीन का स्टॉक अपने पास रखा था, बल्कि सरसों का स्टॉक भी रखा हुआ था, लेकिन दुर्भाग्य से किसानों की यह रणनीति उनके पक्ष में काम नहीं आई. वहीं दूसरी ओर सरसों के उत्पादन (Mustard Production) का आधा हिस्सा जो कि किसानों और स्टॉकिस्ट के पास है, अभी भी बाजार में नहीं आया है और सरसों की बुआई अक्टूबर के आखिर या नवंबर 2022 की शुरुआत तक गति पकड़ लेगी.

ऐसे में अगर इस रबी सीजन में सरसों की बुआई (Mustard Farming) ज्यादा होती है तो पुराने स्टॉक के साथ-साथ ज्यादा बुआई भी बाजार के आउटलुक को नकारात्मक करने का अहम कारण बन जाएगी. तरुण सत्संगी के मुताबिक जब तक सोयाबीन का भाव 5,390 रुपये प्रति क्विंटल के नीचे कारोबार कर रहा है तब तक इंदौर हाजिर बाजार में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट (Soybean price Fall) का रुख बना रहेगा. उनका कहना है कि धीरे-धीरे सोयाबीन का भाव (Soybean Price 2022) लुढ़ककर 4,500 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर तक भी पहुंच सकता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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