Beneficial Earning by Cultivation Lemon: भारत में नींबू की खेती (Lemon Farming in India) बड़े पैमाने पर की जाती है, फिर भी इसके उत्पादन से अधिक उपयोगिता है. भारतीय रसोईयों से लेकर होटलों और प्रोसेसिंग यूनिट तक नींबू (Lemon Processing) का प्रयोग कई सालों से किया जा रहा है. सिर्फ व्यावसायिक दृष्टि से ही नहीं, इसके अपने औषधीय महत्व भी है. यही कारण है कि आयुर्वेद (Lemon in Ayurveda) में इलाज करके इससे कई बीमारियों को दूर किया जाता है. इन सभी उपयोगिताओं के कारण नींबू की खेती (Commercial Farming of Lemon) करके किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. जो किसान पांरपरिक फसलों की खेती करते हैं. वे चाहें तो खेत के किनारे-किनारे नींबू की बागवानी करके अतिरिक्त आमदनी ले सकते है.


इन राज्यों में हो रही है नींबू की खेती
बेहतर कमाई के लिहाज से भारत में नींबू की कई प्रजातियों की खेती की जा रही है, लेकिन एसिड लाइम नामक प्रजाति किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. खासकर आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, बिहार जैसे कई राज्यों के किसान नींबू की व्यावसायिक खेती करके अच्छा लाभ कमा रहे हैं.  




इस तरह करें नींबू की खेती
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो नींबू की खेती से पहले मिट्टी जांच करवानी चाहिये. मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) के अनुसार भी खेत में बीज, खाद और उर्वरकों की आपूर्ति करनी चाहिये. बात करें नींबू की खेती के बारे में तो अच्छी जल निकासी वाली हल्की मिट्टी में नींबू के पौधे तेजी से विकास  करते हैं. खासकर 4 से 9 तक के पीएच रेंज की मिट्टी में नींबू के बागों से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.


रोपाई का उचित समय 
नींबू की खेती के लिये उन्नत किस्म के बीजों (Advanced Varieties of Lemon)  से नर्सरी में पौधों को तैयार किया जाता है, जिसके बाद जून से अगस्त के बीच इनके पौधों की रोपाई की जाती है.



  • पौधों के जमाव और अच्छी बढ़वार के लिये प्रति गड्ढे में 10 किलो गोबर की खाद और 500 ग्राम सुपरफॉस्फेट के साथ बाग की मिट्टी डाली जाती है.

  • खेत में नमी बनाये  रखने के लिये संसाधनों को बचाने वाली ड्रिप सिंचाई तकनीक का प्रयोग करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है. 

  • बाजार में बीज सहित और बीज रहित दोनों तरह की नींबूओं की मांग रहती है, लेकिन मंडियों में बीज रहित नींबू हाथोंहाथ बिक जाते हैं.




नींबू फसल की देखभाल
नींबू के बागों से अच्छी पैदावार के लिये फरवरी, जून और सिंतबर के बीच पौधों की जड़ों में वर्मी कंपोस्ट डालकर मिट्टी चढ़ाने का काम किया जाता है. 



  • शुरुआत में इसकी टहनियों की कटाई-छंटाई करते रहना चाहिये, जिससे शाखाओं का विकास हो सके और कीट-रोग की संभावना ना रहे. 

  • मानसून के आसपास नुकसान से बचने के लिये नींबू के खेत में जल निकासी की व्यवस्था और कीट-रोग प्रबंधन करना जरूरी है, जिसके लिये जैव कीटनाशकों का प्रयोग कर सकते हैं.


सह-फसल खेती से डबल आमदनी
आधुनिकता के दौर में खेती में लागत कम करके आमदनी डबल करने के लिये सह-फसल खेती (Co-cropping of Lemon) करने की सलाह दी जाती है. किसान चाहें तो नींबू की बागवानी (Lemon Gardening) के साथ भी मटर, फ्रेंच बीन्स, मटर जैसी अन्य सब्जी फसलों की खेती करके अतिरिक्त आमदनी ले सकते हैं. 




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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