Milky Mushroom Farming Process: खेती किसानी में आधुनिक तकनीकों (Agriculture Technology) के आ जाने से लागत कम और मुनाफा बढ़ता जा रहा है. अब किसान भी बड़े-बड़े खेत-खलिहानों से निकलकर बेहद कम जगह में खेती करके अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. इसी तरह की खेती में शामिल है मिल्की मशरूम(Milky Mushroom Cultivation), जो किसानों की आमदनी का नया जरिया बन चुका है. बाजार में इसकी डिमांड साल भर बनी रहती है, लेकिन मार्च और अप्रैल के बाद इसकी खेती (Milky Mushroom Farming) करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. दरअसल मिल्की मशरूम की खेती के लिये 28 से 38 डिग्री तक तापमान होना चाहिये, लेकिन खेती के कुछ खास फॉर्मुला अपनाकर अब गर्म मौसम में भी मिल्की मशरूम की अच्छी पैदावार (Milky Mushroom Production) ले सकते हैं.


मिल्की मशरूम की लिये आवश्यक सामग्री
गर्म मौसम में मिल्की मशरूम यानी दूधिया मशरूम की खेती के लिये एक अंधेरा कमरा, मशरूम स्पॉन या मशरूम का बीज, धान की पुआल, भूसी या गन्ना की खोई, हाइड्रोमीटर, स्प्रेयर मशीन, वेट मशीन, चारा कटर मशीन, प्लास्टिक के ड्रम और बाविस्टीन और फॉर्मलीन दवा, पीपी बैग या प्लास्टिक बैग्स और रबड़ बैंड आदि सामान का इंतजान कर लें. किसान चाहें तो अपनी सहूसलियत के हिसाब से कमरे में अच्छा मशरूम उत्पादक ढांचा (Milky Mushroom Unit) भी बना सकते हैं.


इस तरह उगायें मशरूम
सबसे पहले 10 किलोग्राम धान की पुआल, भूसी या गन्ने की खोई को लेकर 90 लीटर पानी में भिगो देना चाहिये. इसके लिये सीमेंट की टंकी और प्लास्टिक ड्रम का इस्तेमाल कर सकते हैं.



  • अब एक साफ बाल्टी में 10 लीटर पानी लेकर 10 ग्राम वेबिस्टीन और 5 मिली फार्मलीन दवाओं को डालकर घोल बनायें. 

  • फिर दवाओं के इस घोल को ड्रम में डाल दें, जिससे भुसी, धान की पुआल, गन्ने की खोई को ठीक प्रकार से उपचारित किया जा सके. 

  • इन सभी चीजों को मिलाकर ड्रम को 12 से 16 घंटे के लिये ढंककर रख दें और ऊपर से वजनदार सामान रख दें.

  • निश्चित समय के बाद उपचारित भूसा बाहर निकालें और ठीक तरह से सुखाकर मशरूम की खेती में इस्तेमाल करें.

  • ध्यान रखें कि दुधिया मशरूम की खेती के लिये 80 से 90 प्रतिशत तक नमी की जरूरत होती है, लेकिन बेहतर उत्पादन के लिये भूसी को ठीक प्रकार से सुखाकर ही इस्तेमाल करना चाहिये.


मशरूम की बुवाई
मशरूम की बुवाई के लिये कल्चर, स्पॉन या बीज की जरूरत होती है. एक अनुमान के मुताबिक, 1 किलोग्राम उपचारित भूसी में मशरूम का 40 से 50 ग्राम बीज डालते हैं. 



  • पीपी बैग या पॉलीबैग में मशरूम कल्चर तैयार करके पॉलीबैग को बैग को ठीक प्रकार से बांधकर अंधेरे कमरे में रख देना चाहिये.

  • मशरूम के अंकुरण के लिये अंधेरे कमरे में 2 से 3 सप्ताह तक 28-38 डिग्री तक तापमान बनायें. ध्यान रखें कि नमी का स्तर 80-90 प्रतिशत तक होना चाहिये.

  • कुछ दिन बाद ही मशरूम का बैग कवक जाल से भर जाता है, जिसके बाद केसिंग का काम किया जाता है. 

  • मशरूम यूनिट में केसिंग (Casing in (Milky Mushroom Unit) करने के लिये वर्मीकंपोस्ट या पुरानी गोबर की खाद इस्तेमाल की जाती है. इसी के साथ-साथ नमी कायम रखने के लिये पानी का हल्का स्प्रे भी किया जाता है. 


मशरूम उत्पादन- लागत और कमाई
पीपी बैग्स में मशरूम की लंबाई 5 से 7 सेंटीमीटर पहुंचने पर इसकी तुड़ाई की जाती है और इसे टोकरियों में पैकिंग (Milky Mushroom Processing) के लिये रख लिया जाता है. 



  • इस तरह सिर्फ एक किलोग्राम भूसी में 50 ग्राम तक बीज डालकर 1 किलोग्राम तक ताजा मशरूम का उत्पादन (Milky Mushroom Production) ले सकते हैं. 

  • बता दें कि 1 किलोग्राम मशरूम को उगाने में सिर्फ 20 से 25 रुपये तक का खर्च आता है, जिसकी बिक्री के बाद 200 से 400 रुपये (Price of Milky Mushroom)  तक की आमदनी हो जाती है.

  • इस तरह दूसरी बागवानी फसलों के मुकाबले  मिल्की मशरूम की खेती (Milky Mushroom Cultivation) बेहद किफायती और मुनाफेदार सौदा साबित हो सकती है.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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