Eco Friendly Mushroom Farming: अब मिट्टी के घड़े में उगेंगे ऑयस्टर मशरूम, जानें किफायती तकनीक
Mushroom Cultivation: ऑयस्टर मशरूम की खेती करने के लिये प्लास्टिक के बैग की जगह मिट्टी के घड़े का इस्तेमाल करने से इको-फ्रेंडली खेती करने में खास मदद मिल रही है.
Eco Friendly Mushroom Farming: देश में प्लास्टिक के इस्तेमाल से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में प्लास्टिक के स्थान पर दूसरे विकल्पों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऑयस्टर मशरूम की खेती करने के लिये भी किसान अब प्लास्टिक के बैग की जगह मिट्टी के घड़े का इस्तेमाल करने लगे हैं. इससे इको-फ्रेंडली खेती करने में खास मदद मिल रही है. अब आप जब चाहें घर पर ही पड़े पुराने मिट्टी के घड़े यानी घड़े में ऑयस्टर मशरूम उगा सकते हैं. मसरूम उत्पादन की ये तकनीक जितनी सस्ती है, उतन ही टिकाऊ भी है.
राजस्थान में हुआ आविष्कार
राजस्थान के श्रीगंगानगर में स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने घड़े के अंदर ऑयस्टर मशरूम उगाने की तकनीक इजाद की है. वैज्ञनिकों ने इसे ज़ीरो वेस्ट तकनीक का नाम दिया है, जिससे अपनाने पर डबल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. श्री गंगानगर स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र में अब किसानों को इस तकनीक से ऑयस्टर मशरूम उगाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. जिससे किसान इस तकनीक को अपनाकर अच्छी आमदनी कमा सकें.
जानें पूरी प्रक्रिया
घड़े में ऑयस्टर मशरूम उगाने की ये तकनीक बेहद आसान है, इसके तहत प्लास्टिक के पॉलीबैग की जगह मिट्टी के घड़े का इस्तेमाल किया जाता है. जो पूरी तरह इको-फ्रेंडली है, इसमें खेती करने से ओयस्टर ऑयस्टर मशरूम की क्वालिटी भी बेहर बनती है.
- घड़े लेने के बाद इनमें ड्रिल मशीन से छेद कर दिया जाता है
- अच्छी गुणवत्ता के ऑयस्टर मशरूम के बीज या स्पॉन को इस्तेमाल किया जाता है.
- पानी में फंगीसाइड़ डालकर भूसे को 12 घंटे के लिये भीगो लिया जाता है.
- पानी से भूसे को निकालने के बाद सुखा दिया जाता है और सूखने के बाद इसे घड़े में भरा जाता है
- घड़े के किनारे पर स्पॉन लगाकर उसका मुंह बंद कर दिया जाता है.
- मटके पर किये गये छेदों को रुई औऱ टेप की मदद से ढंककर घड़ों को 24 घंटे के लिये अंधेरे कमरे में रखा जाता है.
- 10-15 दिनों बाद जब स्पॉन मटके में फैल जाये तो चेद खोल दिये जाते हैं और ऑयस्टर मशरूम बाहर निकलने लगते हैं
ऑयस्टर मशरूम की मांग
आमतौर पर ऑयस्टर मशरूम की मांग दिल्ली, कलकत्ता, मुंबई और बैंगलोर जैसे बड़े शहरों में होती है. वहीं दूसरे मशरूम उत्पादन के मुकाबले ऑयस्टर मशरूम की खेती किफायती खर्चे में अच्छी कमाई का साधन है. प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और कैल्शियम की मात्रा से भरपूर मशरूम में कैंसर से लड़ने की क्षमता होती है. इसकी इको-फ्रेंडली खेती किसानों के लिये कमाई का जरिया बन सकती है.
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