Spiny Gourd Farming: बीहड़ के वीरान इलाकों में हरियाली फैला रही है ये सब्जी, खेती के लिये ये खास तरीका अपना रहे हैं किसान
Kakoda Ki Kheti:ककोड़ा एक प्राकृतिक फसल है, जो जंगली इलाकों में खुद ही उग जाती है. वैसे तो कम उपजाई और कम पानी में इसकी बेलें खूब फैलता हैं, लेकिन बारिश पड़ने पर ही इसकी अच्छी पैदावार ले सकते हैं.
Spiny Gourd farming in Barren Lands: डकैतों का राज और बंदूकों के खेल से मुक्त होकर आज बीहड़ (Beehad of Chambal) में सफलता की नई गाथा लिखी जा रही है. जिस जमीन को लोग किसी काम का नहीं समझते थे. आज वही जमीन किसानों को अन्नदाता बन चुकी है. हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड (Bundelkhand) और उत्तर प्रदेश के बीहड़ों (Beehad of Uttar Pradesh) की, जहां किसानों ने बाजरा और सरसों के बाद ककोड़ा की खेती (Spine Gourd Farming) करके इतिहास बदल दिया है.
कंटोला और वन करेला के नाम से मशहूर से सब्जी बरसात में बंपर उपज देती है. इसकी खेती के जरिये बीहड के बंजर और जंगली इलाकों का भी सही इस्तेमाल हो रहा है. बता दें कि बुंदेलखंड की मंडियों में इस सब्जी की भारी डिमांड रहती है. करेला जैसे गुणों वाली इस सब्जी का इस्तेमाल भी औषधी के रूप में भी किया जाता है.
क्यों जरूरी है ककोड़ा की खेती
चंबल के सूखे इलाकों में ककोड़ा की खेती करना किसानों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है. बेलों पर उगने वाला करेले जैसे इस फल को सब्जी, अचार और आयुर्वेदिक दवायें बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. रोजाना इसका सेवन करके डायबिटीज तथा ब्लड प्रेशर जैसी समस्यायें कंट्रोल रहती हैं.
इसके सेवन से आंखों की कम होती रौशनी, सर का दर्द, बालों के झड़ने, पेट के इंफैक्शन, खांसी, कानों के दर्द और पीलिया जैसी बीमारियों में काफी राहत मिलती है. इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर शरीर को पोषण देकर बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं.
हल्की बारिश में ककोड़ा का अंबार
ककोड़ा एक प्राकृतिक फसल (Natural Vegetable) है, जो जंगली इलाकों में खुद ही उग जाती है. वैसे तो कम उपजाई और कम पानी में इसकी बेलें खूब फैलता हैं, लेकिन बारिश पड़ने पर ही इसकी अच्छी पैदावार ले सकते हैं.
- शुरुआत में फसल लगाने पर इसके फल थोड़ा देरी से लगते हैं, लेकिन बारिश होने पर इसकी बढ़वार और फलों का उत्पादन (Spiny Gourd Production) तेजी से होता है.
- वैसे तो हर तीन महीने में ककोड़ा की तुड़ाई (Spiny Gourd Harvesting) कर सकते हैं. सालभर में कई उत्पादनों के बीच इसे बाजार में 90 से 100 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेचा जाता है.
- एक बार खेती के बाद ककोड़ा की फसल (Spiny Gourd crop in Beehad) से अगले 8 से 10 साल तक फलों का उत्पादन ले सकते हैं. किसान चाहें तो इस वन करेला की सह-फसल खेती भी कर सकते हैं.
- प्रति हेक्टेयर खेत पर ककोड़ा, कंटोला या वन करोला की जैविक खेती (Organic Farming of Spiny Gourd) करके करीब 250 से 300 क्विटल तक फलों का उत्पादन ले सकते हैं.
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