Chinese Virus in Paddy: खेती-किसानी एक अनिश्चितताओं का व्यवसाय है, जिसमें किसानों को आये दिन नये जोखिमों का सामना करना पड़ता है. मौसम की मार हो या फिर कीट-रोगों का प्रकोप ही क्यों ना हो, कई बार किसान को मजबूरी में आकर खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद करना पड़ जाता है. आज पंजाब (Chinese Virus in Punjab)  के किसान भी कुछ ऐसी ही गंभीर परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. बता दें कि करीब पंजाब के करीब 14 जिलों में खतरनाक चाइना वायरस ने धान की फसल (Chinese Virus in PAddy) को अपनी चपेट में ले लिया है. हालात ये हैं कि अन्नदाताओं को खुद ही ट्रैक्टर चलाकर धान की फसलों (Disease in Paddy Crop) को नष्ट करना पड़ रहा है. 


क्या है पूरा मामला
कृषि विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के 14 जिलों में साउदर्न साइड ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (Southern Side Black Streaked Dwarf Virus) यानी एसआरवीएसडीवी चाइना वायरस (SRVSDV Chinese Virus) लगने के कारण 34 हजार 374 हेक्टेयर में लगी धान की फसल पर बुरा असर पड़ रहा है. इस बीमारी के कारण ज्यादातर धान की फसल के पौधे बौने ही रह जाते हैं, जिनसे चावल का उत्पादन लेना लगभग नानुमकिन हो जाता है.


रिपोर्ट्स की मानें तो इस चाइना वायरस के कारण किसान तो परेशान है हीं, साथ ही फसल बर्बाद होने के कारण धान का उत्पादन 4.8 प्रतिशत तक गिर सकता है. इस समस्या के कारण समराला के गांव टोड़पुर में दो किसानों ने 15 एकड़ धान की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिये. इन किसानों ने जमीन को ठेके पर लेकर धाषन की फसल लगाई थी.


फसल नष्ट करना अब किसानों की मजबूरी
साल 2022, शुरूआत से ही किसानों के लिये काफी निराशाजनक रहा, जहां कम बारिश के कारण धान की बुवाई में काफी गिरावट दर्ज की गई, तो वहीं दूसरी तरफ नरमे का घटिया बीज मिलने के कारण फसलों पर सुंडी का भी हमला हो गया, जिसके कारण फसल का उत्पादन काफी हद कम हो गया.  


अब पंजाब में धान की फसल पर बढ़ते चायना वायरस के प्रकोप के कारण ज्यादातर किसान कलेजे पर पत्थर रखकर अपनी फसलों पर ट्रेक्टर चला रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जारी प्रमाणित बीज की किस्म पीआर 131 पर चाइना वायरस का प्रकोप अधिक देखने को मिला रहा है. यह नुकसान इतना बड़ा है कि धान की फसल में हुये नुकसान को लेकर किसान अब मुआवजे की मांग कर रहे हैं.


20 प्रतिशत तक फसलों हुईं बर्बाद 
जाहिर है कि पंजाब  को धान का बड़ा उत्पादक राज्य कहते हैं. यहां ज्यादातर किसान खरीफ सीजन के दौरान अपने खेतों में धान की फसल लगाते हैं, जिससे देश और दुनिया की जरूरतें पूरी होती हैं, लेकिन राज्य के किसानों को नुकसान के साथ-साथ निराशा का भी सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुरूआत में धान की फसल में चाइना वायरस का प्रकोप काफी कम था, जिसके कारण किसान और वैज्ञानिकों ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया.


यही कारण है कि समस्या बढ़ने पर अमृतसर से लेकर, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, गुरदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, पटियाला,  पठानकोट, रोपड़, संगरूर, मोहाली और नवांशहर जिलों में धान की फसलें 15 से 20 प्रतिशत तक बर्बादी की मार झेल रही है. शुरूआत में बीमारी की पहचान का हो पाने के कारण किसानों ने कीटनाशकों का छिड़काव (Pesticides in Paddy)  किया, लेकिन मामला गंभीर होने पर किसान अपनी फसलें खुद ही नष्ट करने लगे, ताकि फसल चक्र पर बुरा असर ना पडे.


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