Areca Nut Farming from Nursery Method: दुनियाभर में करीब 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सुपारी की बागवानी (Areca Nut Farming) की जाती है, जिससे 10 लाख सुपारी का उत्पादन (Areca Nut Production) मिलता है. भारत को सुपारी का सबसे बड़ा उत्पादक देश कहते हैं, यहां करीब 50 प्रतिशत सुपारी का उत्पादन होता है. तटीय और आर्द्रता वाले उष्णकटीबंधीय इलाकों में सुपारी की खेती (Areca Nut Cultivation) करके बेहतर उत्पादन ले सकते हैं.
देश में पश्चिम बंगाल (West Bengal), केरल (Kerala), महाराष्ट्र के कोंकण (Konkan of Maharashtra) और कर्नाटक (Beach sides of Maharashtra) के तटीय इलाकों में काली मिर्च (Black Pepper), इलायची(Cardamom), नारियल (Coconut) और सुपारी (Areca Nut) की खेती की जा रही है.
सुपारी की उपयोगिता (Uses of Areca Nut)
सुपारी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधी (Areca Nut in Ayurveda) को रूप में किया जाता है. बाजार में भी सुपारी को पान मसाला और दूसरे कंफेश्नरी प्रॉडक्ट के रूप में बेचा जाता है. भारत में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ और ज्योतिष में सुपारी को काफी शुभ मानते हैं. इसकी तुड़ाई के बाद सबसे अव्वल दर्जे की सुपारी के महाराष्ट्र में बेचा जाता है और निम्न दर्जे की सुपारी की गुजरात के बाजार में बिक्री की जाती है. मध्यम दर्जे की सुपारी को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में प्रोसेसिंग के लिये बेच दिया जाता है.
सुपारी की खेती(Areca Nut Cultivation)
वैसे तो सुपारी की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट चिकनी मिट्टी में इसका बेहतर क्वालिटी का उत्पादन लेना आसान रहता है.
- नारियल की तरह सुपारी के पेड़ की लंबाई 50 से 60 फीट होती है, जिनके साथ काली मिर्च और इलायची को सह फसल के रूप में उगाया जाता है.
- एक बार रोपाई के बाद सुपारी का पेड़ अगले 5 से 8 साल में परिपक्वव हो जाता है और अगले 70 साल तक मोटा उत्पादन दे सकता है.
- इसकी बागवानी के लिये सुपारी के बीजों से नर्सरी में पौधे तैयार किये जाते हैं, जिसके तहत बीजों की बुवाई क्यारियों में होती है.
- सुपारी की खेती के लिये अच्छी नमी की जरूरत होती है, लेकिन अधिक जल भराव भी सुपारी के बागों के लिये हानिकारक है.
- ऐसे में जल निकासी की व्यवस्था करते हुये बागों में नालियां बनायें, जिससे अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल सकें.
- जुलाई-अगस्त का महीने सुपारी के लिये सर्वोत्तम रहता है, क्योंकि इस दौरान खेतों में आर्द्रता के साथ-साथ नमी भी होती है, जो सुपारी के पौधों के विकास में सहायक होती है.
- इसके बागों को पूरी तरह जैविक विधि से तैयार करना चाहिये, जिससे सुपारी का क्वालिटी उत्पादन मिल सके.
- सुपारी के पत्तों और फलों में फंगी जैसे रोगों की संभावना काफी ज्यादा होती है. ऐसे में समय-समय पर निगरानी और कटाई-छंटाई का काम भी करते रहें,
- इसका तीन-चौथाई हिस्सा पकने पर ही फलों की तुड़ाई का काम किया जाता है.
सुपारी की खेती से आमदनी (Income From Areca Nut Cultivation & Processing)
सुपारी की बागवानी करके किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. बाजार में भी सुपारी की काफी डिमांड होती है, जिसके कारण एक किलोग्राम सुपारी को 400 रुपये से लेकर 600 रुपये के भाव पर बेचा जाता है. बागवानी फसलों की व्यावसायिक खेती(Commercial Farming of Areca Nut) करने पर अधिक मुनाफे की संभावना होती है. उसी प्रकार सुपारी को निजी और व्यावसायिक रूप से उगाकर बेहतर उत्पादन और अच्छी आमदनी ले सकते हैं.
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