Kharif Crop Cultivation: भारत में खरीफ फसलों (Kharif Crop Cultivation) की खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर करती है, लेकिन इस बार मानसून (Monsoon 2022) में देरी के कारण किसानों को धान की रोपाई (Paddy Cultivation) में काफी समस्यायें आ रही थीं. कई किसानों ने दलहनी फसलों (Pulse Crop) की खेती छोड़कर सब्जियों की बुवाई करना शुरु कर दिया. हाल ही में जारी ताजा मौसम पूर्वानुमान (Weather Forecast)और मौसम की चाल के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों तक मौसम हल्की बारिश से फलीभूत रहेगा. ऐसी स्थिति में किसान को जल्द से जल्द धान की रोपाई, दलहनी फसलों की खेती और सब्जियों की रोपाई(Vegetable Farming) का काम निपटा लेना चाहिये.


जल्द शुरु करें धान की रोपाई
मौसम आधारित कृषि सलाह के मुताबिक आने वाला मौसम किसानों के हित में रहेगा, इसलिये किसान बेफिक्र होकर धान की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. जिन किसानों की नर्सरी तैयार है, वे रोपाई का काम जारी रखें. नर्सरी के लिये उन्नत और अच्छी पैदावार देने वाले बीजों का चयन करें और बीजोपचार के बाद ही नर्सरी में बीजो को लगायें. धान की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों में पूसा सुगंध 5, पूसा सुगंध 4 (पूसा 1121), पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1637, पूसा बासमती 1401, पूसा 44, पूसा 1718, पंत धान 4, पंत धान 10 आदि शामिल हैं.



अरहर की बुवाई
जिन किसानों ने इस साल दलहन की खेती के लिये आस छोड़ दी थी, वे अब निश्चिंत होकर अरहर की बुवाई का काम कर सकते हैं. अरहर की बुवाई के लिये खेत में अच्छी नमी बनायें, जिससे फसल का सही अंकुरण हो सके. बुवाई से पहले बीजों का उपचार कर लें, जिससे फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना खत्म हो जाये. अरहर की प्रमुख उन्नत किस्मों में पूसा अरहर-16, पूसा 2001, पूसा 2002, पूसा 991, पूसा 992, पारस तथा मानक आदि शामिल है, जो अधिक और स्वस्थ पैदावार देती हैं. 


मूंग और उड़द की बुवाई
मूंग और उड़द का उत्पादन बढ़ाने के लिये उन्नत बीजों से ही बुवाई का काम करें. बेहतर उत्पादन के लिये मूंग और उड़द की बुवाई से पहले बीजोपचार का काम कर लें. ध्यान रखें कि दलहनी फसलों की खेती के लिये जमीन में नमी का होना बहुत जरूरी है, जिससे फसल अंकुरण में आसानी रहे. मूंग की बुवाई के लिये पूसा-1431, पूसा-1641, पूसा विशाल, पूसा-5931, एस एम एल-668, सम्राट आदि किस्मों का प्रयोग कर सकते हैं. वहीं उड़द की खेती के लिये उड़द- टाईप-9, टी-31, टी-39 से अच्छा उत्पादन मिलता है.




सब्जियों की फसल में कृषि कार्य
जून-जुलाई के बीच का मानसून अगेती सब्जियों की खेती के लिये सबसे उत्तम है. इस समय किसान फूलगोभी, टमाटर, हरी मिर्च और बैंगन की नर्सरी तैयार कर  सकते हैं. 



  • सब्जियों की नर्सरी लगाते समय नाईलॉन की जाली का प्रयोग करें, जिससे कीड़े और बीमारियां से पौधे सुरक्षित रहें.

  • नर्सरी को ऊंचाई पर बनायें, जिससे पौधों में पानी भरने का खतरा न रहे.

  • बुवाई से पहले बीजों को थीराम से उपचारित कर लें और पौधों को उचित दूरी पर लगायें.

  • इस समय भिंडी की फसल में माईट, जैसिड और हॉपर का खतरा बना रहता है, इनकी निगरानी और जैविक कीट नियंत्रण करें.

  • खेत में खाद-उर्वरक डालने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करवायें.


फसलों में रोक दें छिड़काव
आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR_IARI) द्वारा जारी मौसम आधारित कृषि सलाह (Weather Based Agriculture Advisory) के मुताबिक, बारिश का मौसम फसलों की बुवाई और रोपाई के लिये तो बेहतर रहता है, लेकिन इस मौसम में फसलों पर छिड़काव नहीं करना चाहिये. अच्छी बारिश के अनुमान के चलते खेतों में जल निकासी की व्यवस्था जरूर कर लें, जिससे खड़ी फसल में पानी भरने से बचाया जा सके. इसके लिये खेतों में नालियां और मेड़ें बनायें.


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