Silk Farming: कम समय में मालामाल होंगे किसान, शहतूत की खेती के साथ करें रेशम कीट पालन, यहां लें पूरी जानकारी
Integrated farming: जो किसान शहतूत की खेती के साथ रेशम की कीट पालन का काम करते हैं, उन्हें रेशम की खेती का सही मायनों में ज्यादा फायदा मिलता है.
Silkworm farming in Mulberry Garden: भारत में रेशम की खेती (Silk Farming) यानी रेशम कीट पालन को काफी प्रोत्साहित किया जा रहा है. ये किसानों के साथ ग्रामीण महिलाओं को भी आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करता है. केंद्र सरकार भी किसानों को रेशम कीट पालन और रेशम उद्योग (Silk Industry) लगाने के लिये किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. यही कारण है कि आज भारत में 60 लाख से ज्यादा किसान, महिलायें और ग्रामीण लोग रेशम कीट पालन (Silkworm Farming) के जरिये अपनी आजीविका कमा रहे हैं. रेशम से जुड़े काम इसलिये भी खास हैं, क्योंकि इनसे कम समय और कम मेहनत में ही अच्छी आमदनी मिल जाती है. खासकर जो किसान शहतूत की खेती(Mulberry Farming) के साथ रेशम कीट पालन करते हैं, उन्हें इसका ज्यादा फायदा मिलता है.
इन राज्यों में है रेशम की खेती का क्रेज
दक्षिण भारत में रेशम कीट पालन और इससे जुड़े उद्योग काफी लोकप्रिय हैं. खासतौर पर कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल के किसानों के लिये रेशम की खेती अतिरिक्त आमदनी का जरिया है. वहीं झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में भी बड़े पैमाने पर रेशम कीट पालन किया जा रहा है.
कैसे करें रेशम की खेती
अच्छा उत्पादन लेने के लिये तीन तरीके से रेशम कीट पालन किया जाता है, जिसमें शहतूत के बाग में रेशम कीट पालन, जिसे मलबरी सिल्क कहते हैं. दूसरा टसर खेती और तीसरा एरी खेती.
- मलबरी सिल्क खेती के तहत शहतूत और अर्जुन के पत्तों पर रेशम के कीड़ों को पाला जाता है, जो शहतूत और अर्जुन के पत्ते खाकर जीवित रहते हैं.
- रेशम के कीड़ों की उम्र सिर्फ 2-3 दिन की होती है, जिनसे कोकून लेने के लिये इन्हें पत्तियों पर डाला जाता है.
- रेशम के मादा कीड़े अपने जीवन काल में 200-300 अंडे देती है, जिसमें से अगले 10 दिनों लार्वा निकलता है.
- ये लार्वा अपने मुंह से लार निकालता है, जिसमें तरल प्रोटीन मौजूद होता है.
- हवा लगने पर ये लार्वा धीरे-धीरे सूखकर धागे का रूप ले लेता है और रेशम के कीड़े (Silkworm) इस धागे को अपने चारे ओर लपेट लेते हैं.
- रेशम के कीड़ों के ऊपर लिपटे हुये इस धागेनुमा पदार्थ को कोकून (Cocoon) कहते हैं, जो रेशम बनाने में काम आता है.
- बता दें कि एक एकड़ जमीन पर रेशम की खेती(Silk Farming) करने पर करीब 500 किग्रा रेशम के कीड़ों का उत्पादन मिलता है.
सिल्क प्रोसेसिंग
रेशम के कीड़े से कोकून लेने के बाद कीड़े को गर्म पानी में डालकर नष्ट कर दिया है. इसके बाद कोकून का 20 डिग्री या इससे कम तापमान पर स्टोर किया जाता है. बाद में इससे धागा बनाकर कपड़ा और रेशम के उद्योगियों को बेच दिया जाता है. आज भी रेशम कीट पालन कई गाँवों की खुशहाली का जरिया है.
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