Precautions in Monsoon: भारत में रिमझिम बारिश के साथ मानसून सीजन का आगाज़ हो चुका है. मानसून की बारिश कुछ फसलों के लिये बेहतर उत्पादन का पैगाम लेकर आती है. लेकिन कई बागवानी फसलों पर इसका बुरा असर भी देखने को मिल रहा है. खबरों की मानें तो देश के ज्यादातर इलाकों में बारिश के कारण केले और फलों के बागों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. मूंग की फसल के लिये भी जरूरत से ज्यादा बारिश हानिकारक होती है. जाहिर है कि भारत में खेती काफी हद तक मौसम पर निर्भर करती है, लेकिन मौसम की अनिश्चितताओं के कारण किसानों को नुकसान भी झेला पड़ जाता है. ऐसे में कृषि विशेषज्ञ कुछ सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं. आइये जानते हैं इनके बारे में-



  • खेतों में बारिश के कारण होने वाले जलभराव को रोकना बेहद जरूरी है, नहीं तो फसलें गलकर सड़ने लगती हैं. इसके लिये बारिश से पहले ही जल निकासी का प्रबंधन कर देना चाहिये. इसके लिये खेतों के बीच से गहरी नालियां निकालें, जिससे कि पानी खेतों के बाहर चला जाये.

  • मानसून सीजन में कृषि विशेषज्ञ फसलों की नर्सरी यानी पौधशाला तैयार करने की सलाह देते हैं, जिससे शुरुआती अवस्था में फसल को बारिश की मार से बचाया जा सके.

  • ध्यान रखें कि फल और सब्जियों की खेती मौसम के अनुसार ही करें, जिन सब्जियों को ज्यादा पानी की जरूरत हो, उन्हें ही मानसून में बोयें.

  • ज्यादा बारिश वाले इलाकों में फल और सब्जियों की बागवानी से बचना चाहिये.

  • आमतौर पर फल और सब्जियों की बागवानी ऊंचे स्थान पर करना फायदेमंद रहता है, क्योंकि यहां पानी के भरने की समस्या नहीं रहती. सुविधा के लिये मेड़ बनाकर ही सब्जियों की खेती करना चाहिये.

  • फसल में ज्यादा बारिश पड़ने से फफूंद और विषाणु फैलने की संभावना बनी रहती है, ये पानी और हवा के जरिये पूरा फसल पर फैल जाते हैं.

  • इसके समाधान के लिये जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार रसायनिक कीटनाशक और फफूंदीनाशक का प्रयोग करें.

  • अकसर मानसून के समय सफेद मक्खी का प्रकोप फसलों पर देखा जाता है, ये फसलों पर चिपककर पौधों की बढ़वार को रोक देती हैं.

  • इसके समाधान के लिये 5 किलो नीम की खली का पानी में घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें.

  • किसान चाहें तो मौसम की अनिश्चितताओं को रोकने के लिये ग्रीन हाउस और पॉलीहाउस में भी खेती कर सकते है. इससे उत्पादन बढ़ता है और खेती की लागत कम हो जाती है.

  • खेतों में पहले ही जीवामृत के घोल का छिड़काव करते रहें, जिससे फसलों को पोषण मिलता रहेगा और कीड़े-बीमारियों की आतंक भी खत्म करने में मदद मिलेगी.


रिसर्च की मानें तो इस साल भारत में रिकॉर्ड बारिश का अनुमान है, जिससे सिंचाई के लिये भरपूर मात्रा में पानी का इंतजाम हो सकता है. इसलिये किसान बारिश का पानी बचाने के लिये तालाबों की खुदाई का काम भी कर लें.


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