Poultry Farming in Home Backyards: पहले रोजगार की तलाश में लोग ग्रामीण परिवेश (Poultry Farming in Rural area)  से निकलकर शहरों की तरफ पलायन करते थे, लेकिन आज गांव में ही रहकर खेती के साथ-साथ दूसरे कृषि कार्य करके किसान दोगुना आमदनी अर्जित कर रहे हैं. चाहे खेती के साथ पशु पालन (Animal Husbandry) हो, मछली पालन (Fish Farming) हो, मुर्गी पालन (Poultry Farming) हो या खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से जुड़े काम ही क्यों ना हो. हर काम बहुत ही कम खर्च में किसानों को बेहतर आमदनी लेने में मदद करता है. इन्हीं कामों में शामिल है घर के बैकयार्ड में मुर्गी पालन (Poultry Farming in Backyards)  के काम, जिसके जरिये किसान छोटे खर्च में अच्छी आमदनी ले सकते हैं.


जीरो निवेश में पैसा डबल  
ग्रामीण परिवेश में मुर्गी पालन जैसे काम करना बेहद आसान है, क्योंकि घर के बैकयार्ड की ज्यादातर जगह कच्ची और खाली पड़ी होती है, जिसमें साफ-सफाई करके मुर्गी पालन के लिये तैयार कर सकते हैं. इसमें अलग से खर्च करने की जरूरत नहीं पडेगी. बस मुर्गियों के लिये कच्चे बाड़े तैयार करना है और उनके आहार के लिये दाने की व्यवस्था करनी हो, जिसकी इंतजाम खेत की उपज से ही हो जायेगा. इसमें एक पैसे का खर्च होगा और ना ही किराये भाड़े का. बस शुरुआत में 4 से 5 मुर्गियों खरीदकर सालभर अंडों की बिक्री से बढ़िया आमदनी हो जायेगी.


मुर्गियों की ये उन्नत किस्नें पालें (Advanced Varieties for Poultry Farming) 
मुर्गी पालन व्यवसाय से अच्छी कमाई करने के लिये जरूरी है कि उन्नत नस्ल की मुर्गियां पाली जायें और अंडे बेचने के साथ-साथ चूजों के लिये प्रबंधन  कार्य किये जाये, जिससे 5 मुर्गियों की संख्या को बढ़ाकर 15 कर सकें. इस मामले में विशेषज्ञ भी कुछ नस्लों का सुझाव देते हैं. इनमें सील, कड़कनाथ, ग्रामप्रिया, स्वरनाथ, केरी श्यामा, निर्भीक, श्रीनिधि, वनराजा, कारी उज्जवल और कारी आदि मुर्गियां शामिल है.


कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत मुर्गी पालन  (Poultry Farming through Contract Farming)
किसान चाहें तो कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत मु्र्गी पालन भी कर सकते हैं. कई कांट्रेक्ट फार्मिंग करवाने वाली कंपनियां ऐसे ही किसानों की तलाश में होती है, जो स्थान और समय देकर बढिया क्वालिटी के अंडे और मांस का उत्पादन कर सकें. इसके लिये कंपनियां ट्रेनिंग कार्यक्रम भी चलाती हैं और ट्रेनिंग के बाद कांट्रेक्ट के तहत किसानों को चूजे और मुर्गियां देती है. इस एवज में किसानों से टोकन राशि ली जाती है. इतना ही नहीं, ये कंपनियां किसानों को मुर्गी बाड़े तैयार करके भी देती हैं. इसी के साथ कुछ मात्रा में मुर्गी दाना भी देती है, जिसके बाद किसानों को सिर्फ प्रबंधन कार्य करके मांस और अंडे का उत्पादन करके देना होता है.


सब्सिडी और कमाई (Income & Subsidy from Poultry Farming)
आज के समय में मुर्गी पालन (Poultry Farming) सबसे आसान व्यवसाय है, क्योंकि 1 दिन के चूजों की कीमत 30 से 60 रुपये होती है, जिसमें 5 से 10 चूजों से मुर्गी पालन व्यवसाय शुरु करने पर सिर्फ 600 रुपये तक का खर्च आयेगा. ये चूजे सालभर में वयस्क देसी मुर्गी बन जाते हैं, जिनसे 160 से 180 अंडों का उत्पादन (Egg Production)  ले सकते हैं. 



  • केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही नेशनल लाइव स्टॉक मिशन स्कीम (National Livestock Mission) या नाबार्ड लोन (NABARD Loan for Poultry Farming) का लाभ लेने पर मुर्गी पालन की लागत और भी कम हो जाती है. बता दें कि इस योजना के तहत किसानों को खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन करने के लिये करीब 50 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है. 

  • इस मामले में अधिक जानकारी के लिये https://dahd.nic.in/schemes/programmes/national_livestock_mission पर जानकारी ले सकते हैं.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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