Stubble Management: पराली आने वाले दिनों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के लिए बड़ा संकट बन सकता है. पराली के जलने से निकलने वाले धुएं से कई स्टे्टों के लोगों का दम घुटने लगता है. अस्थमेटिक पेशेंट की हालत खराब हो जाती है, जिन्हें सांस की दिक्कत नहीं है. वह भी परेशान रहने लगते हैं. धान कटकर मंडी पहुंच चुका है. खेतों में पराली पड़ी हुई है. सभी स्टेट गवर्नमेंट को आशंका है कि चारों स्टेट में लाखों बीघा में पड़ी पराली को दवाओं से घोलकर गलाया नहीं जा सकता है. किसान इन्हें खेत में ही जला सकता है और यदि जलाने की बारी आई तो फिर से इस smog का संकट गहरा जाएगा. इसी को लेकर अब यह सरकार पराली की टेंशन ही खत्म करने जा रही है. यह स्टेट MSP पर पराली (Stubble On MSP) खरीदने की योजना पर काम कर रहा है. आइए जानते हैं इसी के बारे में


Haryana Government उठाने जा रही कदम
हरियाणा एमएसपी पर 14 फसलों की खरीद करता है. इसमें धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, सूरजमुखी और मूंग आदि शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक Haryana Government पराली के लिए परमानेंट समाधान खोजने को लेकर काम कर रही है. स्टेट गवर्नमेंट अब एमएसपी पर धान की पराली खरीदने की भी योजना बना रही है. सरकार इसपर भी चर्चा कर रही है कि पराली खरीद के लिए मिनिमम रेट क्या रखा जाए. गवर्नमेंट के इस कदम से किसानों की एक्स्ट्रा इनकम भी शुरू हो जाएगी.


इतने आए Stubble Burning Case
पंजाब में अब तक 767 पराली जलाने के सामने आए हैं. जबकि 2020 में इन मामलों की संख्या 2957 थी. और 2021 में यह केस 828 रहे. इसी तरह हरियाणा में इस साल 83 केस मिले हैं. वर्ष 2021 में यह 247 और 2020 में 411 रहे. उत्तर प्रदेश में अभी तक सिर्फ 80 केस सामने आए हैं, जबकि 2020 में 214, 2021 में यह 178 रहे. राजस्थान में अभी तक 10 केस सामने आए हैं. इतने ही केस 2021 में आए थे. 2020 में पराली जलाने के 146 मामले मिले.


ऐसे किया जा रहा पराली मैनेजमेंट
इस साल किसानों को पराली मैनेजमेंट के लिए 7,146 मशीनें दी गई हैं. पिछले चार वर्षों में किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर और निजी तौर पर 72,777 दी हैं. सीटू प्रबंधन के तहत 23 लाख मीट्रिक टन फसल अवशेष का उपयोग विभिन्न मशीनों और डीकंपोजर के माध्यम से किया जाएगा.



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