Straw Managment: इस तरह से खेत के लिए वरदान बनी पराली, बढ़ाएगी 10% तक उपज
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने ऐसे ही रिसर्च की है जिससे पराली के लिए किसी घोल या दवा की जरूरत नहीं पड़ेगी.
Straw In Field: पराली की समस्या से परेशान किसानों के लिए अच्छी खबर है. पराली उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब के लिए संकट का विषय रहा है. इसके धुएं से दिल्ली यूपी के लोगों का दम घुटने लगता है. स्मॉग के कारण आसमान में अंधेरा छा जाता है. उत्तर प्रदेश में पश्चिम से लेकर पूर्व तक लोग परेशान हो जाते हैं. साइंटिस्ट पराली गलाने के लिए घोल वाली दवा तैयार कर रहे हैं, कैप्सूल भी बनाए जा रहे हैं. अब पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने रिसर्च की है जिससे पराली के लिए किसी घोल या दवा की जरूरत नहीं पड़ेगी. उलटे पराली के चलते 10 परसेंट से ज्यादा की उपज फसलों की हो जाएगी.
क्या हुआ रिसर्च में
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के फल विज्ञान विभाग ने लुधियाना और अबोहर में किन्नू के बागों में परीक्षण किया. रिसर्च में सामने आया कि जिन जगहों पर किन्नू में मल्चिंग (पराली को काटकर डालना) की गई. वहां पर पराली गल गई और नेचुरल तरीके से किन्नू को खाद मिल गया.
10 फीसदी तक बढ़ गया प्रोडक्शन
रिसर्च करने वाले लगातार पराली के रिजल्ट पर नजर बनाए हुए थे. सामने आया कि एक तो पेड़ों में फ्रूट ड्रॉप यानि फलों के गिरने की समस्या काफी कम हो गई, दूसरे किन्नू में मिठास बढ़ गई. फल का खट्टापन काफी हद तक खत्म हो गया. विशेष बात यह रही प्रोडक्शन में 5 से 10 परसेंट तक बढ़ोतरी दर्ज की गई.
खरपतवार का The END
खेतों में फसलों के साथ खरपतवार भी उग आती है. इसका नुकसान यह होता है कि बाद में खरपतवार ही रह जाती है, फसल नहीं हो पाती क्योंकि खरपतवार मुख्य फसल को उगने नहीं देती. जब पराली को फैलाकर डाला गया तो उस स्थान पर खरपतवार नहीं हो पाई. ऐसे में किसान को खेतों में होने वाली खरपतवार से भी निजात मिल जाएगी. खरपतवार के कारण खेती का तापमान बढ़ जाता है. जब खेत से खरपतवार खत्म हो जाएगी तो तापमान भी कूल रहेगा. इससे फसल का प्रोडक्शन बढ़ेगा.
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