स्ट्रॉबेरी जितना देखने में सुंदर होता है खाने में भी उतना ही स्वादिष्ट होता है. इसका स्वाद थोड़ा खट्टा और मीठा होता है. बाजार में स्ट्रॉबेरी की डिमांड पूरे साल बनी रहती है, यही वजह है कि इसकी खेती करने वाले किसान हमेशा मुनाफे में रहते हैं. भारत में इस फल की खेती ज्यादातर रबी के सीजन में की जाती है क्योंकि यह फसल ठंडे मौसम में ही अच्छे से उपजती है. यह फसल ज्यादातर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में होती है. लेकिन अब तकनीक का इस्तेमाल कर कई किसान इसे भारत के कोने कोने में उगा रहे हैं. अगर आप भी स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं और इससे मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो यह आर्टिकल ध्यान से पढ़ें.


अन्य राज्यों में कैसे कर रहे हैं किसान इसकी खेती


तकनीक के इस्तेमाल से आजकल क्या कुछ नहीं हो रहा है. खेती किसानी में भी इसका इस्तेमाल जोरो से हो रहा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी किसान अब ठंडे प्रदेशों में उगने वाली स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. दरअसल, यह किसान स्ट्रॉबरी की खेती करने के लिए पॉलीहाउस का इस्तेमाल करते हैं. पॉलीहाउस में खेती करने के लिए पहले मिट्टी को बारीक कर लेना होता है और फिर डेढ़ मीटर चौड़ी और 3 मीटर लंबी क्यारियां बना दी जाती हैं और इन्हीं में स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए जाते हैं.


एक एकड़ में कितनी हो सकती है खेती


स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को सबसे पहले सही मिट्टी की पहचान होनी चाहिए. अगर आप स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं तो आपके जमीन की मिट्टी बलुई दोमट होनी चाहिए. वहीं अगर 1 एकड़ में आप लगभग 22000 स्ट्रॉबेरी के पौधे लगा सकते हैं. हालांकि, इन पौधों की सिंचाई करने के लिए आपको ड्रिप सिंचाई का सहारा लेना पड़ता है और 40 से 50 दिनों में ही है पौधे फल देने लगते हैं.


इस वजह से डिमांड में रहता है ये फल


स्ट्रॅाबेरी के पूरे साल डिमांड में बने रहने के पीछे दो वजहे हैं. एक तो ये देखन और खाने में अच्छा है और दूसरा ये कि इस फल में कई ऐसे गुण हैं जो आपको हेल्दी रखते हैं. दरअसल, स्ट्रॉबेरी में विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन के के साथ केल्सियम, मैग्नीशियम, फोलिक ऐसिड, फास्फोरस और पोटेशियम पाया जाता है. इसके इस्तेमाल से कील मुंहासों से छुटकारा पाया जा सकता है और यह आंखों की रौशनी और दांतों के लिए भी फायदेमंद है.


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