Fruits Cultivation: अप्रैल तक बदल जायेगी किसानों की जिंदगी! इस तकनीक से करें स्ट्रॉबेरी की खेती, होगी 12 लाख रुपये की आमदनी
Strawberry Farming: स्ट्रॉबेरी फलों में उसका आकार और रंग आकर्षण का केंद्र होता है, लेकिन किसानों के बीच स्ट्रॉबेरी उगाने की तकनीकें वाहवाही लूट रही हैं.
Strawberry Cultivation for Better Income: स्ट्रॉबेरी एक विदेशी फल है, जिसकी खेती (Strawberry Cultivation) भारत में कई सालों से की जा रही है. स्ट्रॉबेरी की फसल किसानों को पांरपरिक फसलों अधिक मुनाफा देती है, जिसके कारण अब किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं. स्ट्रॉबेरी फलों में उसका आकार और रंग आकर्षण का केंद्र होता है, लेकिन किसानों के बीच स्ट्रॉबेरी उगाने (Strawberry Farming) की तकनीकें वाहवाही लूट रही हैं.
इन लोकप्रिय तकनीकों में पॉलीहाउस (Strawberry Farming in Polyhouse) और हाइड्रोपॉनिक्स विधि (Strawberry Farming in Hydroponics Technique) शामिल है, जिसके जरिये किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. ये तकनीकें सामान्य विधियों के मुकाबले कई गुना ज्यादा मुनाफा कमाकर देती हैं, स्ट्रॉबेरी एक नाजुक बागवानी फसल है, इसलिये इसकी खेती करते समय कई सवाधानियां बरतना भी जरूरी हो जाता है.
ये राज्य उगा रहे हैं स्ट्रॉबेरी (Strawberry Farming in India)
स्ट्रॉबेरी की खेती रबी सीजन में ठंडे इलाकों में की जाती है. खासकर भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में इसकी खेती की जाती है, लेकिन आधुनिक तकनीकों की मदद से कम ठंडे मैदानी इलाकों में भी सर्दियों के मौसम में इसकी खेती कर सकते हैं. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान भी सर्दियों मे स्ट्रॉबेरी उगा सकते हैं.
स्ट्रॉबेरी की उन्नत किस्में (Advanced Varieties of Syawberry)
दुनियाभर में स्ट्रॉबेरी की 600 से भी अधिक किस्में उगाई और खाई जाती है, लेकिन भारत में कमारोसा, चांडलर, ओफ्रा, ब्लैक मोर, स्वीड चार्ली, एलिस्ता और फेयर फॉक्स जैसी किस्में व्यावसायिक खेती करने वाले किसानों की पहली पंसद हैं. भारत की जलवायु के हिसाब से इन किस्मों को सिंतबर से लेकर अक्टूबर कके समय बोया जाता है. बलुई दोमट और लाल मिट्टी में स्ट्रॉबेरी की खेती करके अधिक पैदावार और मिठास से भरपूर उत्पादन ले सकते हैं.
इस तरह उगायें स्ट्रॉबेरी (Process of Stawberry Cultivation)
स्ट्रॉबेरी की खेती करना बेहद आसान है. किसी सामान्य फल या सब्जी की खेती की तरह स्ट्रॉबेरी के बीज लगाने से पहले जैविक विधि से खेतों की तैयारी करें
- खेतों में गहरी जुताईयां लगाकर जीवांश और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर वर्मीकंपोस्ट (vermicompost for Strawberry Farming) की खाद मिलायें, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ सके.
- इसके बाद खेत में ऊंचाई पर बेड़ बनायें और इनके बीच 1 से 2 फुट की दूरी रखें, जिससे फसल की देखभाल का काम कर सकें.
- खेत में सिंचाई के लिये ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई (Drip Irrigation for Strawberry Farming) का इंतजाम करें और खेत में नमी का खास ख्याल रखें.
- इसके बाद अच्छी क्वालिटी की प्लास्टिक मल्चिंग (Strawberry Farming in Plastic Mulching) को बेड़ पर बिछा दें और बीजों की बुवाई के लिये 30 सेमी. की तय दूरी पर प्लास्टिक मल्चिंग में छेद भी करें.
स्ट्रॉबेरी फसल की देखभाल और कमाई (Management & Income from Strawberry Farming)
स्ट्रॉबेरी की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिये खेत में अच्छी मात्रा में जैविक खाद (Organic Fertilizer) का प्रयोग करें, जिससे जल्दी-जल्दी पौधों का विकास हो सके.
- खेतों में स्ट्रॉबेरी की बिजाई-रोपाई करने के डेढ़ महीने के अंदर फल आने लगते हैं, जिससे अगले चार महीने तक बंपर फलों का उत्पादन ले सकते हैं.
- इस प्रकार एक एकड़ खेत में स्ट्रॉबेरी के 22 हजार पौधे लगा सकते हैं, जिनसे हर दिन 5 से 6 किलो फलों की उपज मिल जोयेगी.
- एक एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने पर हर पौधे (Stawberry Plants) से 500 से 700 ग्राम का उत्पादन ले सकते हैं.
- इससे एक सीजन में 80 से 100 क्विंटल तक फलों का उत्पादन (Strawberry Production) ले सकते हैं, जिससे 6 लाख से 12 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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