Stubble Burning Pollution: हरियाणा में पराली जलाने के 32 नए मामले दर्ज हुए है और इसी के साथ साल 2022 में हरियाणा में 3,491 पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद पराली जल रही है और प्रदूषण बढ़ रहा है. लाजमी है कि आने वाले समय में किसानों को ही इसका हर्जाना भुगतना होगा. अभी भी राज्य सरकार ने किसानों से कुल 26 लाख रुपये का फाइन वसूला है.
आंकड़ों की मानें तो पिछले साल हरियाणा में पराली जलाने की 6,464 मामले दर्ज हुए थे. इस साल इन मामलों में 46 प्रतिशत गिरावट देखी गई है. राज्य में सबसे ज्यादा फसल अवशेष जलाने की घटनाएं फतेहाबाद से सामने आई हैं. यहां कुल 742 मामले देखे गए हैं, जबकि दूसरे नंवबर पर कैथल में 664 पराली जलाने के एक्टिव केस दर्ज हुए हैं. 13 नवंबर तक हरियाणा में 3,000 घटनाएं दर्ज हो चुकी थीं, लेकिन अब पिछले साल से यह आकंड़ा आधा हो गया है.
पंजाब में बिगड़ रहे हालात
पंजाब में अब पराली जलाने की कुल घटनाएं 49,000 को पार गई हैं. बिना रुके धड़ाधड जल रही पराली को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है सीजन के अंत 30 नवंबर तक ये मामले 55,000 को भी पार कर सकते हैं. साल 2022 में पंजाब के किसानों ने कुल 49,382 घटनाओं को अंजाम दिया है. साल 2020 में 15 सितंबर से लेकर 20 नवंबर तक पंजाब में कुल 75,986 पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड हुई हैं, जबकि पिछले साल-2021 में इस अवधि तक 70,711 बार पराली जल चुकी थी.
अब इस साल रोकथाम के उपाय करने और जागरुकता बढ़ाने के बाद 49,382 मामले ज्यादा दर्ज हुए हैं. अधिकारियों का मानना है कि किसान धीरे-धीरे इसके नुकसान समझ रहे हैं, लेकिन अभी इस समस्या को जड़ से खत्म करने में कुछ साल और लग सकते हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
पराली जलाने की घटनाओं पर आंकड़े चौंकाने वाले है. पंजाब राज्य ने साल 2021 में 71,304, साल 2020 में 76,590, साल 2019 में 55,210, साल 2018 में 50,590 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब में खाद्यान्न उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. गेहूं से लेकर धान के उत्पादन में पंजाब का नाम अग्रणी राज्यों की लिस्ट में आता है, लेकिन पराली जलाने के मामलों में भी पंजाब ही आगे रहा है.
साल 20202 में पंजाब ने कुल 31.13 लाख हेक्टेयर पर धान की खेती की थी, जिससे 19.76 मिलियन टन धान के फसल अवशेषों का उत्पादन मिला, लेकिन इसका सही इस्तेमाल करने के बजाए किसानों ने पराली जलाने को ज्यादा सीधा समाधान माना है. इसके खिलाफ लगातार कार्रवाई भी की जा रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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