Stubble Management: पराली जलाने की घटनाएं हर साल इसी दौरान आती हैं. खरीफ की फसलों के अवशेष को किसान काटने के बाद खेत में ही छोड़ देते हैं. केंद्र सरकार व राज्य सरकार पराली न जलाने के लिए किसानों को मोटिवेट कर रही हैं. पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्ती भी बरती जा रही है. खुद किसान भी पराली नहीं जला रहे हैं. इसका असर अब पराली जलाने वाले आंकड़ों पर देखने को मिल रहा है. आंकड़ों देखकर समझा जा सकता है कि देश के किसान पराली न जलाने को लेकर सुधर रहे हैं.


एक साल में घट गए 25 हजार पराली के मामले


केंद्र सरकार ने पराली जलाने के आंकड़े जारी किए हैं. इनसे काफी राहत मिली है. आंकड़ों के अनुसार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के एनसीआर जिलों में पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल  78,550 दर्ज की गई थीं. इस साल यह घटकर 53,792 रह गई है. एक साल में 31.5 प्रतिशत कम पराली जली मिली है. पराली जलाने के आंकड़े घटने से केंद्र सरकार, राज्य सरकार संतुष्ट जरूर हैं, मगर सरकार की कोशिश इस आंकड़े को जीरो पर लाने की है. 


पराली मैनेजमेंट को जारी किए 3062 करोड़ रुपये


केंद्र सरकार पराली जलाने के केसों की संख्या कम करने के लिए स्टेट गवर्नमेंट की आर्थिक मदद भी कर रही है. पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार सीआरएम योजना के तहत पंजाब सरकार, एनसीआर राज्य सरकारों और जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) को 2018-19 से 2022-23 के पांच साल के पीरियड के लिए 3062 करोड़ रुपये जारी किए हैं. इसमें से पंजाब को करीब 1430 करोड़ आवंटित हुए हैं. राज्य सरकारों को यह धनराशि पराली मैनेजमेंट पर ही खर्च करनी होगी. इसका पूरा ब्यौरा भी रखना होगा. 


कहां, कितनी जली पराली


पराली जलाने की घटनाओं का राज्यवार ब्यौरा केंद्र सरकार ने जुटाया है. यह आंकड़ा सेटेलाइट की मदद से बनाया गया है. हरियाणा में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले घटे हैं. यहां 3661 घटनाएं दर्ज की गईं. पिछले साल से यह करीब 75 प्रतिशत कम है. उत्तर प्रदेश में 198 जगह पराली जलती मिली. पिछले साल यह 252 थीं. पंजाब में इस साल आग की घटनाओं की संख्या 50 हजार से नीचे आ गई हैं. पिछले साल यह आंकड़ा 71 हजार से अधिक था. केंद्र सरकार ने सीआरएम योजना के तहत हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश को पराली से निपटने के लिए करीब 2 लाख मशीनें उपलब्ध कराई हैं. इनमें पंजाब को एक लाख बीस हजार, हरियाणा को लगभग 73 हजार, उत्तरप्रदेश को साढ़े 7 हजार हैं. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें: क्या है नई एग्रीकल्चर पॉलिसी जिसे पंजाब के किसानों के लिए लेकर आ रही है सरकार