Stubble Burning: हरियाणा में 31% कम जली पराली! इन 11 उपायों से जंग जीत गई सरकार
Stubble Management: हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए सब्सिडी योजनाओं से लेकर इनसेंटिव, नकद पुरस्कार, जुर्माना और कार्रवाई तक की जा रही है.
Crop Residue Management: हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान हरियाणा के कृषि मंत्री किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल (JP Dalal) ने बताया कि राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में 31 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई है. यहां पराली प्रबंधन (Stubble Management) करने के लिए किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. साथ ही, पराली जलाने से रोकने के लिए सब्सिडी योजनाओं से लेकर इनसेंटिव, नकद पुरस्कार, जुर्माना और कार्रवाई तक की जा रही है.
सरकार ने पराली को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Stubble MSP) पर खरीदने के लिए कमेटी का भी गठन कर लिया है, जिसके बाद अब किसानों को पराली बेचकर आमदनी भी हो पाएगी.
सरकार ने किये कारगर उपाय
बेशक हरियाणा में पराली जलाने की घटनायें पूरी तरह से थमी नहीं है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले इन मामलों को कम करने के लिए कई उपाय किया जा रहे हैं. हरियाणा सरकार ने दावा किया है कि इन उपायों से किसानों की आमदनी तो बढ़ी ही है, साथ ही पराली के निपटाने के लिए मशीनीकरण को बढ़ावा मिला है.
- पराली न जलाने के लिए हरियाणा सरकार ने किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया है.
- राज्य में उचित प्रबंधन कर पराली बेचने वाले किसानों को 50 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से इनसेंटिव दिया जा रहा है.
- फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों-उपकरणों पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी गई है.
- पराली को समेटकर गट्ठर-बंडल बनाने वाले बेलर यंत्रों पर भी सब्सिडी का प्रावधान है.
- कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए भी राज्य सरकार 80 प्रतिशत तक सब्सिडी मुहैया करवा रही है.
- पराली के बंडल बनाकर इथेनॉल संयंत्रों को बेचते हैं तो किसानों को 2,000 रुपये प्रति एकड़ मिलते हैं.
- गौशालाओं को पराली देने पर 1,500 रुपये का प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
- पराली प्रबंधन करने वाली मशीनों के परिचालन के लिए भी आर्थिक सहायता का प्रावधान है.
- पराली ना जलाने वाली पंचायतों को राज्य सरकार ने 50 हजार से 1 लाख तक का नकद पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया है.
- बायोमास बिजली परियोजनाओं में भी लाखों टन धान की भुसी का इस्तेमाल किया जा रहा है.
- पराली को गलाने के लिए 25 लाख एकड़ जमीन के लिए पूसा डी-कंपोजर के छिड़काव की सुविधा और डीकंपोजर कैप्सूल की 2.5 लाख किट वितरित की गई है.
- धान के अलावा दूसरी फसलों की वैकल्पिक खेती करने के लिए भी सरकार ने 7,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता का प्रावधान किया था.
मुख्यमंत्री श्री @mlkhattar के कुशल नेतृत्व की ही बानगी है कि हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है।
— CMO Haryana (@cmohry) November 6, 2022
हरियाणा सरकार की कारगर नीतियों ने न सिर्फ़ किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम किया है बल्कि उन्हें जागरूक भी किया है। pic.twitter.com/fZCeU7mV1r
हरियाणा में कितनी जली पराली
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि इस साल राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है.
- यहां साल 2016 में पराली जलाने की 15,686 घटनाएं दर्ज की गई थीं.
- साल 2017 में पराली जलाने के मामले कुछ कम हुए और 13,085 घटनायें हुईं.
- साल 2018 में भी पराली जलाने की करीब 9225 घटनायें दर्ज की गईं.
- साल 2019 में 6364 मामले और साल 2020 में करीब 4202 पराली जलाने की घटनाएं देखी गईं.
- अब साल 2022 में पराली प्रबंधन के लिए कारगर उपाय करने पर सिर्फ 2377 घटनाएं दर्ज की गई हैं.
पंजाब के मुकाबले हरियाणा में पराली जलाने की घटनायें 10 प्रतिशत तक कम हैं. राज्य में लगातार किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ पराली जलाने की घटनाओं पर कार्रवाई भी की जा रही है. अभी तक हरियाणा में 1601 किसानों पर 37.85 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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