Stubble Burning: खेत में खड़ी पराली जलाना केंद्र और राज्य के लिए हमेशा पराली जलाना टेेंशन का विषय रहा है. किसान कटाई के बाद खेत में खड़े अवशेष को जला देता है. इससे पॉल्यूशन बढ़ने का खतरा बहुत अधिक हो जाता है. पॉल्यूशन के बढ़ने से लोगोें को स्वाथ्य संबंधी समस्याएं अधिक होने लगती है. इसको लेकर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से गंभीर कदम उठाए जाते हैं. लेकिन पराली जलाना किसानों की जेब पर भी चोट दे सकता है. 


15 हजार रुपये तक लग सकता है जुर्माना


यदि किसान खेत में पराली जलाने की सोच रहे हैं तो सतर्क रहें. इससे जहां किसान पर्यावरण को दूषित करने के जिम्मेदार माने जाएंगे. वहीं, राज्य सरकार की ओर से उनपर मोटा जुर्माना लगाया जाएगा. पराली जलाने की छोटी से लेकर बड़ी घटना पर जुर्माना तय है. अधिकारियों के अनुसार, जांच में पराली जलाए जाने की पुष्टि होने पर 2500 से 15000 रुपये तक जुर्माना हो सकता है. 


एनजीटी के ये है नियम


पराली जलाए जाने की घटना के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) गंभीर है. एनजीटी के अनुसार, एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए नया आयोग (सीएक्यूएम) नियम 2023 बनाया गया है. इसमें दो एकड़ से कम जोत वाले किसान पर 2500 रुपये का मुआवजा देना होगा. इसे बढ़ाकर 5 हजार किया जा सकता है. वहीं, अधिक जोत होने पर जुर्माना 15 हजार रुपये तक हो सकता है. 



सख्ती से होता है पालन


एनजीटी के नियमोें का सख्ती से पालन किया जाता है. एक अधिकारी ने बताया कि इसे अपराधिक कृत्य के तौर पर वर्ष 2021 के सीएक्यूएम अधिनियम में ही हटा दिया गया था,. लेकिन पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के अधिरोपण का प्रावधान है. इसी को देखते हुए ही किसानों पर जुर्माना लगाया जाता है. 


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