Stubble Management: खरीफ की फसल कटकर मंडी पहुंच गई है. किसानों ने फसल अवशेष को पराली के रूप में खेतों में छोड़ दिया था. किसान मंडी में फसल को बेचकर वापस अपने खेतों में लौट रहा है. कुछ किसान पराली का निस्तारण मशीन या दवाओं से कर रहे हैं. जबकि काफी किसानों ने इसे जलाना शुरू कर दिया है. पराली जलाने की घटनाएं हर रोज बढ़ती जा रही हैं. अच्छी बात यह है कि पिछले सालों की तुलना में पराली जलाने के केस कम हुए हैं. लेकिन अभी भी काफी पराली खेतों में पड़ी हुई है. यदि किसान ने मनमानी कर जलाने की कोशिश तो हवा में प्रदूषण फैलकर श्वसन समेत अन्य अंगों पर अटैक कर सकता है.
पंजाब में 14 हजार, हरियाणा में 1925 जगह जलती मिली पराली
सबसे अधिक पराली जलाने के केस पंजाब में सामने आ रहे हैं. स्टेट गवर्नमेंट किसानों पर लगातार सख्ती कर रही है. जुर्माना लगा रही है और एफआईआर भी दर्ज की जा रही है. बावजूद इसके किसान बाज नहीं आ रहे हैं. वहीं, हरियाणा में पराली जलाने को लेकर स्थिति थोड़ी बेहतर है. हरियाणा स्टेट गवर्नमेंट के अनुसार, किसानों को अवेयर करने के साथ ही पराली जलाने वालों पर एफआईआर और जुर्माना लगाया जा रहा है. हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं काफी कम हुई हैं. 2022 में अब तक पराली जलाने की 1925 मामले सामने आए हैं.
पराली मैनेजमेंट को सरकार दे रही 1000 रुपयेे प्रति एकड़
हरियाणा में पराली न जलाने, उसके मैनेजमेंट के लिए धान पर 100 रुपये प्रति क्विंटल या 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का प्रॉविजन है. किसानों को पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. पराली मैनेजमेंट से जुड़े उपकरणों को सब्सिडी दी जा रही है. किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण पर 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेन्टर पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है.
पोर्टल से ले सकते हैं मदद
हरियाणा सरकार ने पराली खरीदकर उसे उद्योगों तक पहुंचाने के लिए नया पोर्टल बनाया है. पोर्टल पर पराली खरीदने वाले ठेकेदार और उद्योगों की सभी डिटेल मौजूद होगी. जो किसान पराली बेचना चाहेगा. वो पोर्टल से ठेकेदार से संपर्क कर सकेगा. उसके बाद पराली बेचने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.