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Success Story: 'लोग साथ आते गये, कारवां बनता गया'....70 साल के किसान से प्रेरणा लेकर पूरे गांव ने की फूलों की खेती, करोड़ों का मुनाफा

Flower Cultivation In Mahog: अकेले फूलों की खेती से इस गांव के किसान सालाना 40 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं. ये गांव आज देसी-विदेशी सैलानियों के साथ-साथ कृषि के लिये आकर्षण का केंद्र बन चुका है.

Floriculture: हिमालय की गोद में बसे कई गांव आज फूलों और बागवानी फसलों की खेती (Horticulture) से तरक्की कर रहे हैं. ऐसा ही एक गांव है, हिमाचल प्रदेश का महोग. यहां के 70 वर्षीय किसान आत्म स्वरूप ने 30 साल पहले फूलों की खेती (Flower Cultivation) शुरू की और देखते ही देखते इस गांव के करीब 70 फीसदी हिस्से पर किसान फूलों की खेती (Floriculture in Mahog) करने लगे.

वैसे तो हिमाचल प्रदेश के चायल जिले में स्थित इस गांव में पारंपरिक फसलों की खेती भी होती है, लेकिन अकेले फूलों की खेती से इस गांव के किसान सालाना 40 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं. ये गांव आज देसी-विदेशी सैलानियों के साथ-साथ कृषि के लिये आकर्षण का केंद्र बन चुका है. यहां से हर तीन दिन में एक फूलों से भरा ट्रक दिल्ली भी आता है. इस तरह सालों पहले सफल किसान आत्म स्वरूप (Farmer Aatm Swaroop)  के एक छोटे से आइडिया ने पूरे गांव की तस्वीर बदल दी है.

राजघराने से मिला आइडिया
इस गांव में फूलों की आधुनिक खेती (Flower Cultivation in Polyhouse)  करने वाले किसान आत्म स्वरूप बताते हैं कि पहले गांव में सिर्फ सब्जी और पारंपरिक अनाज की खेती होती थी. इसी पर किसान परिवारों की आजीविका निर्भर करती थी. यहां के कई लोग शहरों में भी नौकरी करते थे. इसी तरह महोग गांव का एक माली महाराज पटियाला के महल में काम करता था. उसी ने 70 वर्षीय किसान आत्म स्वरूप को फूलों की खेती का आइडिया दिया.

फूलों की खेती
सफल किसान आत्म स्वरूप बताते हैं कि जगह-जगह से जानकारी इकट्ठा करनेके बाद ग्लैडियस फूल की कलमों से कुछ पौधे लगाये, जब फूलों की पैदावार अच्छी हुई तो उन्होंने अपनी पूरी जमीन पर फूलों की खेती करने का फैसला किया. अपने पूरे परिवार को उन्होंने अनाज और सब्जी की जगह फूलों की खेती करने के लिये मनाया. फिर क्या, कम देखभाल में  ही फूलों से काफी अच्छी पैदावार मिलने लगी, लेकिन अब फूलों की मार्केटिंग की समस्या पैदा हो गई. 

पूरे गांव को जोड़ा
फूलों की अच्छी पैदावार लेने के बाद आत्म स्वरूप और उनके परिवार को फूलों की बिक्री में समस्यायें आने लगीं. ये फूल बसों की छत से लेकर ट्रेनों में भरकर दिल्ली फूल मंडी पहुंचाये जाने लगे. कई बार लंबे सफर में फूलों की सारी उपज खराब भी हो जाती. अब मार्केटिंग की समस्या हल करने के लिये उन्होंने गांव के दूसरे किसानों को भी फूलों की खेती से जोड़ा और जब उपज बढ़ने लगी तो ये फूल ट्रकों में पैक करके दिल्ली पहुंचाये जाने. रिपोर्ट्स की मानें तो आज चायल के महोग गांव से हर तीन दिन के अंदर एक ट्रक दिल्ली की तरफ रवाना होता है. आत्म स्वरूप ने अपनी सूझ-बूझ से किसानों की आमदनी तो बढ़ाई ही, साथ ही हजारों किसानों को फूलों की खेती करने के लिये ट्रेनिंग भी दी. 

पॉलीहाउस से मिला अच्छा प्रॉडक्शन
आज आत्म स्वरूप के खेतों में किसानों, यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कई नामी लोग घूमते आते हैं. पहले तो आत्म स्वरूप खुले खेतों में ही फूलों की खेती करते थे, लेकिन हॉलेंड वैज्ञीनिक ने उन्हें खुले खेतों के बजाय प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन यानी पॉलीहाउस में खेती करने की सलाह दी. इसके बाद फूलों की खेती की लागत कम होने लगी. पॉलीहाउस में फूलों की क्वालिटी तो अच्छी रहती ही, साथ ही बीमारियों की संभावना भी कम हो गई. आत्म स्वरूप के अन्हीं नवाचारों को लेकर 100 से भी ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं. उनके अनुभव के लिये आईसीआर के नेशनल एडवाइज़री कमेटी का सदस्य रहने का भी मौका मिला.

20 तरह के फूलों की करते हैं खेती
आज हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के चायल जिले की वादियों में स्थित महोग गांव में 20 तरह के फूलों की खेती (Flower Cultivtion) होती है. गांव के लोग कारनेशन, लिलीयम, ब्रेसिका केल, जिप्सोफिला, गुलदावरी जैसे फूलों को उगाकर दिल्ली जैसे बड़े-बड़े शहरों में निर्यात करते है. इसके बाद इन्हीं फूलों से होटलों, मंदिरों और तमाम पार्टियों में सजावट के साथ-साथ पूजा-पाठ के काम में भी लिया जाता है. आज यहां के युवा भी शहरों में नौकरी करने के बजाय गांव में रहकर फूलों की खेती करना पंसद करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अकेले हिमाचल प्रदेश से सालाना 200 करोड़ के फूलों का कारोबार (Flower Business) होता है. आत्म स्वरूप जैसे कई किसान आज कृषि में नवाचारों को बढ़ाकर दूसरे किसानों को भी प्रोरित कर रहे हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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