Success Story: सिविल इंजीनियरिंग के बाद घर की पार्किंग में उगाये मशरूम, मेहनत रंग लाई तो लोग बुलाने लगे 'मशरूम लेडी'
Mushroom Cultivation:अंजनाबेन गामित मशरूम की खेती के साथ-साथ मशरूम के बीजों का भी बिजनेस कर रही है. उन्होंने अपने इस कारोबार में क्षेत्रीय लोगों को भी जोड़ा है और उन्हें रोजगार दे रही हैं.
Mushroom Lady AnjnaBen Gamit: भारत में बागवानी फसलों का चलन बढ़ता जा रहा है. कम खर्च में बंपर उत्पादन देने वाली ये फसलें अब किसानों के साथ-साथ नौकरी-पेशे वाले युवाओं को भी अपनी तरफ खींच रही हैं. ऐसी ही एक बागवानी फसल है मशरूम. शहरों में इसकी डिमांड और खपत बढ़ती जा रही है. इसे उगाना बेहद ही आसान है. यही कारण है कि अतिरिक्त कमाई के लिये किसान और पढ़े-लिखे युवा भी अब 6*6 के कमरे लेकर बड़ी-बड़ी यूनिट लगा रहे हैं. ऐसी ही एक महिला किसान हैं गुजरात की अंजनाबेन गामित, जिन्होंने सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद मशरूम उत्पादन शुरू किया और आज देशभर में इनका नाम है. घर की कार पार्किंग में मशरूम की खेती करने वाली अंजनाबेन गामित आज मशरूम के साथ-साथ मशरूम के बीजों का बिजनेस कर रही है.
4 दिन की ट्रेनिंग के बाद उगाये मशरूम
अंजनाबेन गामित ने कई सालों तक सिविल इंजानियर के तौर पर काम किया. एक दिन मशरूम की खेती के बारे में आर्टिकल पढ़ा तो खेती की जिज्ञासा जागी. इसके बाद अंजनाबेन मशरूम की खेती के बारे में जानकारियां जुटाने लगीं. जब मशरूम की खेती का मन बनाया तो 4 दिन की ट्रेनिंग भी ली और साल 2017 में अपने ही घर की कार पार्किंग में मशरूम उत्पादन शुरू किया. अंजनाबेन ने लगभग 11,000 रुपये की लागत से बांस और हरे शेड से मशरूम की यूनिट बनाई और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार स्पॉन (मशरूम बीज), पॉलीथिन बैग और रसायन (कार्बेन्डाजिम और फॉर्मेलिन) जैसी चीजों को जुटाकर मशरूम की खेती शुरू कर दी. यूनिट लगाने के करीब 2.5 महीने के अंदर ही 140 किलो का मशरूम उफजा, जिसे बेचकर 28,000 रुपये की कमाई हुई.
Smt. Anjanaben Gamit: A Civil Engineer-turned-Women Entrepreneur in Mushroom Cultivation.#AatmaNirbharBharat
— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) August 14, 2020
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कड़ी मेहनत के बाद कमाया बंपर मुनाफा
मशरूम की खेती को लेकर शुरूआत में अंजनाबेन गामित ने कई समस्याओं का भी सामना किया. कभी तकनीकी मसला होता तो कभी मशरूम उत्पादन में कुछ समस्या आती. ऐसे धीरे-धीरे चीजों को समझने के बाद अंजनाबेन ने 18 महीने के अंदर अपनी यूनिट का विस्तार कर लिया और 1 लाख 72 हजार रुपये की लागत से बड़े पैमाने पर मशरूम का बिजनेस करने लगीं. अब मशरूम का उत्पादन भी बढ़ा और मुनाफा भी, साल 2017 से 2019 तक अंजानबेन ने 250 किलोग्राम मशरूम बीज डालकर करीब 1,234 किलोग्राम मशरूम की पैदावार ली. इससे उनकी आमदनी भी 88 ,000 से बढ़कर 3 लाख हो गई. अब आस-ास के लोगों के बीच अंजाबेन की पहचान बन गई और लोग उनकी यूनिट विजिट करने आने लगे.
यहां बेचे मशरूम
अंजनाबेन ने मशरूम की खेती को शुरू कर दी, लेकिन इसकी मार्केटिंग कहां करें ये समझ नहीं आया. तभी उन्होंने अपने परिवार और रिश्तेदारों की मदद से मशरूम बेचना शुरू कर दिया. कुछ समय बाद अपनी यूनिट से निकले मशरूम के 100 से 200 ग्राम के पैकेट बनाकर पैकेजिंग शुरू कर दी और बेचने के लिये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, छोटे दुकानदार और सब्जी विक्रेताओं को सपलाई करने लगीं. जब लोगों को मशरूम पंसद आये तो फोन पर ही ऑर्डर मिलने लगे, जिसके बाद होम डिलीवरी कर मशरूम के पैकेज घरों तक पहुंचाये जाने लगे.
जब अंजनाबेन की सफलता जिला प्रशासन की नजर में आई तो कलेक्टर द्वारा शुरू की गई, जैविक बाजार डेस्क के जरिये मशरूम बेचना शुरू कर दिया. आज इसी तरह अंजनाबेन गामित मशरूम की खेती के साथ-साथ मशरूम के बीजों का भी बिजनेस कर रही है. उन्होंने अपने इस कारोबार में क्षेत्रीय लोगों को भी जोड़ा है और उन्हें रोजगार दे रही हैं. मशरूम और मशरूम स्पॉन उत्पादन की खेती और कृषि क्षेत्र में अंजनाबेन गामित के सफल प्रयासों के लिये भारत सरकार ने भी सम्मानित किया है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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