Success Story: पारंपरिक खेती से हुआ मोहभंग, अब फलदार पौधों से 8 लाख कमाते हैं बाप-बेटे
Successful farmer: यहां फलदार पौधों की दो दर्जन से अधिक और सजावटी पौधों की भी 130 उन्नत किस्में कारीगर और मजदूरों की मदद से तैयार की जा रही हैं, जिससे मुनाफे के साथ-साथ रोजगार का भी सृजन हो रहा है.
Horticulture Nursery: आज कृषि में भी इनोवेशन को महत्व दिया जा रहा है. नये-नये प्रयोगों के जरिए मुनाफा तो होता ही है, दूसरे किसानों भी नया करना के लिये प्रेरित होते है. ऐसे ही नवाचारों के लिये प्रेरणा बनकर सामने आये हैं भूना, फतेहाबाद के किसान जोगिंदर लीखा और उनके बेटे योगेश लीखा, जो पेशे से तो इंजीनियर है, लेकिन अब अपने पिता के साथ मिलकर खेती में नये प्रयोग कर रहे हैं.
दरसअल, बीए पास किसान जोगिंदर लीखा कई सालों तक पारंपरिक खेती (Traditional Farming) कर रहे थे. खेती की लागत बढ़ते और मुनाफा ना मिलने के बाद उन्होंने खेती छोड़ दी और अपने बेटे के साथ मिलकर बागवानी नर्सरी तैयार करने का फैसला किया. दोनों पिता-पुत्र मिलकर नर्सरी में फल, फूल और दूसरी प्रजातियों के पेड़-पौधे तैयार करने लगे. आज इनकी नर्सरी साढ़े चार एकड़ में फैली है, जिससे सालाना 5 से 8 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. है.
देश-दुनिया में मिले सम्मान
आज जोगिंदर लीखा और उनके इंजीनियर बेटे योगेश लीखा की न्यू श्री राम नर्सरी को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (National Horticulture Board) से मान्यता भी मिल चुकी. इनकी नर्सरी की सबसे खास बात ये है कि यहां पौधों के विकास के लिये बेहद कम पानी और ना के बराबर रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. इससे खर्च तो बचता ही है, साथ ही उन्नत क्वालिटी के पौधों की बिक्री अच्छे दाम पर होती है. कृषि में कम लागत और अधिक आय वाले इसी नवाचार के लिये पिता-पुत्र की जोड़ी को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है.
सबसे पहले साल 2017 में हरियाणा उद्यान विभाग (Haryana Horticulture Department) ने उनकी नर्सरी को मान्यता दी, जिसके बाद उद्यान विभाग की तरफ से आयोजित मेलों में पिता-पुत्र की आवाजाही बनी रहती थी. इसके बाद तमाम प्रदर्शियों और कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेकर नर्सरी में नया बीज और नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया. इससे नर्सरी के व्यवसायीकरण में काफी मदद मिली. प्रगतिशील किसान जोगिंदर पाल लीखा और उनके बेटे योगेश लीखा को खेती में बेहतर प्रदर्शन के लिये जिला और राज्य स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा गया है. इतना ही नहीं. अब कृषि विभाग के अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक भी इनकी नर्सरी में गुणवत्ता का जायजा लेने के लिये आते रहते हैं.
पौधों से लाखों की कमाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रगतिशील किसान जोगिंदर लीखा बताते हैं कि उनकी नर्सरी में कई तरह के देसी पौधों पर कलम चढ़ाकर अच्छी क्वालिटी के पौधे तैयार किये जाते हैं. यही पौधे बाद में स्वादिष्ट फलों का बंपर उत्पादन देते हैं. यही कारण है कि इनकी नर्सरी में हिसार सफेद और हिसार सुरखा अमरूद के अलावा शान-ए-पंजाब के साथ-साथ नकटिन, प्रताप अरलीग्रेड आडू, सतलुज पर्पल, ब्लैक अंवर आलूबुखारा, केसर आम, मौसमी चवन्नी छाप, माल्टा रेड वर्ल्ड, कीनू, अंजीर, अनार, नींबू, पपीता, अंगूर, ग्रीन और गोल्डन सेब, कटहल आदि फलदार पेड़ों की कलम से पौधे तैयार किये जाते हैं. इनके पास फलदार और सजावटी पौधों की भी 130 उन्नत किस्में मौजूद हैं. यहां फलों की दो दर्जन से अधिक किस्मों के पौधों को खुद कारीगर और मजदूर तैयार करते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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