Taiwani Papaya Farming: आज के दौर में खेती करने का तरीका ही बदल गया है. एक फल को उगाने के लिए एक्सपर्ट्स ने कई तकनीकें इजाद कर ली हैं. हर तकनीक के अपने ही फायदे हैं. इनसे फलों का उत्पादन बढ़ता ही है, जोखिम के बावजूद क्वालिटी भी मेंटेन रहती है. देशभर में बागवानी करने वाले किसान इन तकनीकों से फल-सब्जियों का उत्पादन ले रहे हैं. इन्हीं किसानों में शामिल हैं बिहार के भागलपुर जिले के किसान गुंजेश गुंजन, जो आज अपनी पुश्तैनी खेती में नए-नए बदलावों को स्थान दे रहे हैं. बता दें कि गुंजेश ताइवानी पपीता की खेती कर रहे हैं, जिसके नई तकनीक से उन्नत किस्मों को विकसित किया गया है और इससे आज लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. आइए जानते हैं इस इनोवेटिव किसान की सफलता की कहानी.


पपीते की फसल में किया इनोवेशन


गुंजेश गुंजन आज देश के इनोवेटिव किसानों को शामिल हो चुके हैं. खेती उनका पुश्तौनी बिजनेस है. कभी उनके दादा जी भी पारंपरिक विधि से पपीता की खेती करते थे, लेकिन मेहनत के मुताबिक उन्हें मुनाफा नहीं मिला. न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, गुंजेश बताते हैं कि उन्होंने पपीते की खेती का रंग-ढंग ही बदल दिया और मुनाफेदार खेती की तरफ रुख करने लगे. उन्होंने नई तकनीक से तैयार पपीते के बीज खरीदे और उनसे खेती करके अपनी किस्मत बदल ली. दरअसल गुंजेश ने ताइवानी कंपनी से पपीता के बीज मंगवाए, जो पुणे से डिलीवर किए गए थे.


उद्यान विभाग की स्कीम से मिली मदद


ताइवानी पपीते की खेती के लिए गुंजेश ने उद्यान विभाग की स्कीम में आवेदन भी किया, जिससे के पौधे मंगवाने के बाद 75% आर्थिक सहायता मिल गई है. बता दें कि बिहार उद्यान विभाग कई प्रकार के फल-सब्जियों की खेती के लिए सब्सिडी योजनाएं चलाता है. पपीते की खेती पर 75 फीसदी सब्सिडी भी इन्हीं योजनाओं में से एक है. गुंजेश बताते हैं कि उद्यान विभाग के पास तमाम किस्म के बीज मौजूद है. विभाग ने कई कंपनियों के साथ टाइअप भी किया है, जिससे किसानों को कम लागत में आधुनिक खेती के लिए मदद मिलती है.


शुरुआती खूब पापड़ बेलने पड़े


भारत में बेशक खेती आधुनिक हो गई है, लेकिन जागरुकता का अभाव भी है. आज भी कई बाजारों में साधारण सब्जी और ऑर्गेनिक सब्जियां एक ही दाम पर बिक रही हैं. फलों को लेकर कुछ ऐसा ही है. फलों की किस्म को लेकर खास जागरुकता नहीं है, जिसका असर मार्केटिंग पर भी पड़ता है. गुंजेश को भी कुछ इसी तरह का संघर्ष करना पड़ा. शुरुआत वो खुद पपीतों को लादकर मंडी ले जाते, लेकिन जब व्यापारियों ने इस फल को परखा तो आगे से डिमांड करने लगे. आज कई व्यापारी खुद गुंजेश के यहां से ही पपीता खरीदकर ले जाते हैं. आज इसी पपीता की खेती करके गुंजेश जैसे कई किसान 4 से 5 लाख का मुनाफा कमा रहे हैं. गुंजेश बताते हैं कि फलों की प्रदर्शनी में उन्हें कई बार सम्मानित किया गया है. 


ऐसा क्या खास है ताइवानी पपीता में


ताइवानी पपीता को गाइनोडेइशियस पद्धति का फल भी कहते हैं, जो बाकी किस्मों के मुकाबले ज्यादा मीठा होता है. सिंदूरी लाल रंग का ये पपीता जब पक जाता है तो कई दिनों तक खराब नहीं होता. तेजी पपीता की तुलना में ताइवानी पपीता की परत मोटी होती है, जिसकी मदद से यह ज्यादा दिन तक चलता है.  ताइवानी किस्म के हर पौधे में पपीता का गुच्छा बनता है, जिसके पल्प कुछ हार्ड होता है. अच्छी बात यह भी है कि ये पपीता बिना किसी खराबी के कई दिनों तक स्टोर किया जा सकता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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