Agriculture Tourism in Jhunjhunu: भारत में पिछले कुछ समये से कृषि पर्यटन यानी एग्रीकल्चर टूरिज्म (Agriculture Tourism) का चलन बढ़ता जा रहा है. अब किसान खेती, बागवानी, मछली पालन, और पशुपालन जैसे काम तो कर रहे हैं, साथ ही खेतों के बीचोंबीच देसी पिकनिक स्पॉट भी बसा देते हैं, जिसे फार्म हाउस, मॉडर्न गांव या एग्रो टूरिज्म (Agro-Tourism) भी कहते हैं. इसके जरिये किसानों को खेती-किसानी से तो आमदनी होती ही है, पर्यटन से जुड़कर अतिरिक्त आमदनी भी मिल जाती है.


ऐसा ही एक मॉडल तैयार किया है राजस्थान के झुंझुनूं में रहने वाले जमीन पठान और उनके इंजीनियर बेटे जुनैद पठान ने, जिन्होंने बुढाना गांव (Budhana Village) स्थित अपने खेत-खलिहानों के बीच फाइव स्टार सुविधा वाली देसी झोपडियां बनाकर मॉडर्न गांव बसाया है. अब ये मॉडर्न गांव भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है.  


फलों की बागवानी से बदली किस्मत


राजस्थान के झुंझुनू में बसे एक मॉर्डन गांव (Modern Village) के पीछे पिता-पुत्र की जोड़ी ही है, जिन्होंने बेहद कम समय में बड़ी सफलता हासिल कर ली है. साल 2021 में सेना से रिटायर्ड होने के बाद जमील पठान और उनके इंजीनियर बेटे जुनैद पठान ने एग्रो टूरिज्म की तर्ज पर फार्म हाउस बनाया है. इससे पहले इस जमीन पर पारंपरिक और बागवानी फसलों की खेती की जा रही थी. धीरे-धीरे बागवानी फसलों के बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए साल 2008 में आंवला, जामुन, लेसवा के पेड़ों की रोपाई की गई, जिससे मुनाफा बढ़ने लगे.


इसके बाद फलों की बागवानी की तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुये साल 2016 में किन्नू, मौसमी, नींबू, बील आदि के 15 से 20 हजार पौधे लगाये गये. अकेले 60 बीघा खेत में मौसंबी और किन्नू का बाग तैयार किया गया, जिससे साल 2020 ही 15 लाख रुपये की आमदनी हुई. इस तरह बागवानी फसलों ने जमीn पठान की किस्मत ही बदल दी. इसके बाद ही फलों के बाग के बीच-बीच में जैतून के 700 पौधे (Olive Plants) लगाये और अब सिर्फ फलों से ही सालाना लाखों रुपये की आमदनी मिल रही है.  


यहां से मिला मॉर्डन गांव का आइडिया


जमील पठान को अब बागवानी फसलों से काफी मुनाफा मिलने लगे था, जिसके बाद उन्होंने खुद के और किसानों के आराम के लिये एक साधारण-सा देसी झोंपड़ा बना दिया. इसके बाद दिल्ली से मित्रों की टोली ने एंकात में बसे जमील पठान के बागों की खूब प्रशंसा की और उनके बागों को सुकून की जगह और जन्नत तक बताने लगे. तभी दिमाग में आइडिया आया तो लोगों को सुकून भरी जिदंगी का तोहफा देने के लिये मॉडर्न गांव बसाने का फैसला किया.


उन्होंने बागों के बीचोंबीच ही देसी सुविधाओं वाले करीब 10 फाइव स्टार झोपड़े बनाये, जिसमें करीब 30 लाख रुपये खर्च हुये. इन झोंपड़ों में सभी सुख-सुविधायें मौजूद थी. जब धीरे-धीरे उनके इस मॉर्डन गांव (Modern Village, Jhunjhunu) की प्रशंसा होती गई तो विदेशी सैलानी भी सुकून की तलाश में इनके शामियाने का तरफ आने लगे. बता दें कि अभी तक इस मॉर्डन गांव में  फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, कनाडा, अमेरीका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और जापान 600 से 700 देसी-विदेशी सैलानियों ने सुकून पाया है. 


फाइव स्टार मॉर्डन गांव में देसी मेहमानवाज़ी


बता दें कि जमील पठान और उनके बेटे जुनैद के प्रयासों से आज इस मॉर्डन गांव ने काफी प्रसिद्धी हासिल कर ली है. सैलानियों को घर जैसा अनुभव करवाने के लिये झोंपड़े बनाये गये हैं, जहां चूल्हे पर पका खाना सर्व किया जाता है. यहां मेहमानों को खाने के लिये देसी घी से बना खाना, लस्सी, दही के अलावा फलों के बागों से ताजा फल तोड़कर जूस भी तैयार किया जाता है.


इसके अलावा खाने में इस्तेमाल होने वाले अनाज, फल और सब्जियां जैविक विधि (Organic Farming) से उगाई जाती है. यहां खाने में सारी चीजें जमील पठान के खेत और बाग की होती है. यहां आकर टूरिस्ट आराम तो फरमाते है ही, साथ ही बाजरा, मक्का और गेहूं की खेती भी करते हैं. इस तरह सुकून के साथ मनोरंजन भी होता है. इसके लिये यहां घुड़सवारी (Horse Riding) की सुविधा भी है, जिसके लिये घोड़ा पालन किया जा रहा है. 


फोन पर मिलते हैं फलों के ऑर्डर


फलों की बागवानी(Fruit Gardening), पारंपरिक खेती और एग्रो टूरिज्म (Agro-Tourism) का ये शानदार मेल आज दुनियाभर में फेमस हो रहा है. एग्रो टूरिज्म के अलावा जमीन पठान के बागों ने निकले फलों को शेखावटी मार्केट (Shekhawati Market, Jhunjhunu) में बेचा जाता है, जो इन्होंने ही बनाई है.


इसके अलावा झुंझुनू, सीकर, चिड़ावा और नवलगढ़ के साथ जयपुर की मंडियों में फलों की  बिक्री होती है. जमील पठान (Jameel Pathan, Jhunjhunu)को इस शानदान मॉडल के ऊपर काम करने के लिये अब ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, बल्कि फलों के ऑर्डर भी फोन पर ही मिल जाते हैं. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़ें:-


Wheat Cultivation: गेहूं की अगेती खेती करने पर बंपर पैदावार देती हैं ये किस्में, पंजाब-हरियाणा में खूब होती है बुवाई


Paddy purchase: यह सरकार एक नवंबर से 1.1 करोड़ टन खरीदेगी धान, जानिए यहां