Vegetable Grandma in Tamilnadu: बुढ़ापा जीवन का अंतिम पड़ाव होता है, जब हर इंसान अपनी जिम्मेदारियों से फ्री होकर अपनी रिटायरमेंट इंजॉय करता है, लेकिन तमिलनाडु की रहनेवाली वेजिटेबर अम्मा (Vegetable GrandMaa) बढ़ती उम्र के बीच लोगों को किचन गार्डनिंग (Kitchen Gardening) की वैल्यू समझा रही है.


83 साल की एस. नंजाम्मल अम्मा खुद तो किचन गार्डनिंग करती ही हैं, साथ ही गांव के दूसरे लोगों को भी ताजा-जैविक सब्जियों की गार्डनिंग (Vegetable Gardening) के लिए प्रेरित कर रही हैं.


आज उनके किचन गार्डन की सब्जियों से ज्यादा शुद्ध और सुरक्षित ही शायद कुछ होगा. बता दें कि सब्जीवाली दादी ने अपने किचन गार्डन में 17 किस्म के पेड़-पौधे लगाए हैं, जिनमें रोजाना इस्तेमाल होने वाली मिर्च, टमाटर, बैंगन, लौकी, तोरी, करी पत्ता, सहजन फल्ली और पत्तेदार सब्जियों से लेकर अमरूद और पपीता जैसे फल-फूलों के पेड़ तक शामिल है. इनकी गार्डनिंग में इस्तेमाल होने वाली जैविक खाद-उर्वरक और कीटनाशक भी नंजाम्मल (S. Nanjammal) अम्मा खुद ही तैयार करती हैं.


आज ये अम्मा अपने किचन गार्डन से ना सिर्फ हरी सब्जियों और फलों का उत्पादन ले रही है, बल्कि अपने गार्डन में पौधे और बीज उगाकर गांव के दूसरे लोगों में बांटती भी हैं. किचन गार्डनिंग के शौकीन या जरूरतमंद लोग अब अम्मा के पास जाकर किचन गार्डनिंग और सब्जियों की बागवानी सीख रहे हैं.  


गांव को समझाई किचन गार्डनिंग की अहमियत


आज एस नंजाम्मल अपने इस किचन गार्डनिंग को अपने बेटे भारती चिन्नासमी के साथ लोगों को जागरुक कर रही है. उनका मानना है कि भारत के हर परिवार को अपनी साग-सब्जियां उगानी आनी चाहिए. इसी उद्देश्य के साथ कुछ साल पहले तक वो गांव के लोगों में फल-सब्जियों के पौधे और बीजों को बांटती थी. जब लोगों ने पौधों की केयर नहीं और बीजों को फेंक दिया तो उन्होंने इन अभियान को नये तरीके से चलाने का निर्णय लिया.


अब वेजिटेबल ग्रैंडमां अपने घर के पीछे पड़ी खाली जगह में पौधे और बीजों की रोपाई करने लगीं. इस बीच लोगों ने अम्मा का खूब मजाक उड़ाया, लेकिन लोगों को इस काम की अहमियत समझाने के लिए वो जुटी रहीं. सुबह जल्दी उठकर पौधे की देखभाल करना, पौधों में नीम कीटनाशक का छिड़काव करना. खाद-पानी देना और पौधों की देखभाल वो खुद ही करती थी. जब ये पौधे तैयार हुए तब लोगों के घर जाकर किचन गार्डन बनवाये और परिवार के दूसरे लोगों को पौधों की देखभाल करने का तरीका बताती रही.


जब नंजाम्मल अम्मा की मेहनत से फल और सब्जियों का उत्पादन मिलने लगा तो लोग खुद ही इस काम को करने लगे. जब धीरे-धीरे लोगों को किचन गार्डनिंग से फायदा मिलने लगा तो अम्मा के पास जाकर पौधों और बीजों की डिमांड करने लगे. अगर लोगों को गार्डनिंग में समस्या आती तो अम्मा खुद सप्ताहभर में गार्डन का जायजा लेने पहुंच जातीं. इस तरह तमिलनाडु के थोप्पमपट्टी में अम्मा का किचन गार्डनिंग अभियान राज्यभर में मशहूर हो गया.  






गांव में लगाये सार्वजनिक किचन गार्डन


अब एस. नंजाम्मल अम्मा का ये अभियान सिर्फ घरों तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके प्रयासों से सार्वजनिक पार्क और बगीचों में भी फल और सब्जियों के पौधो लगाने की कवायद शुरू हो गई. उन्होंने लोगों को साथ  मिलकर किचन गार्डनिंग करने के लिये प्रेरित किया और इन सार्वजनिक बगीचों से निकली उपज भी लोगों ने आपस में बांटना शुरू कर दिया. तभी से आज तक वो घरेलू महिलाओं से लेकर, बढ़े-बूढों और बच्चों को तक किचन गार्डनिंग के गुर सिखा रही है.


उनका मानना है कि खाली वक्त का सही इस्तेमाल करने के लिए इससे अच्छा काम कुछ हो ही नहीं सकता. वेजिटेबल अम्मा अब बुजुर्गों को औषधीय गार्डनिंग करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इससे बुजुर्गों की सेहत अच्छी रहेगी और साथ ही उनका अकेलापन भी दूर होगा. 


7 साल की उम्र से शुरू की खेती


किसान परिवार में पली बड़ी नंजाम्मल अम्मा ने 7 साल की उम्र से ही खेती-बाड़ी शुरू कर दी. बहुत ही कम उम्र में अपने पिता को खोने के बाद वो अपनी मां के साथ खेतों में साग-सब्जियां उगाने लगीं.


जब शादी हुई तो परिवार आर्थिक तंगी में था. ऐसे में बच्चों और परिवार का पालन पोषण करने के लिए 1 एकड़ से भी कम जमीन पर दोबारा सब्जियों की बागवानी शुरू कर दी. आज उनके संघर्षों से लेकर उनके प्रयासों ने कई गांव की तस्वीर बदल दी है. लोग उन्हें यूंही वेजिटेबल अम्मा नहीं बुलाते, सब्जियों को उगाने में एस.नंजाम्मल को खास महारथ हासिल है. 


मनरेगा से जोड़ना चाहती है किचन गार्डनिंग


नंजाम्मल अम्मा के किचन गार्डनिंग अभियान से गांव-गांव में जागरुकता बढ़ रही है. ढलती उम्र में ही वेजिटेबल अम्मा (Vegetable GrandMaa)  का जुनून कम नहीं हुआ है. उनके भविष्य को लेकर भी कई सपने हैं. वो चाहती हैं कि उनके इस अभियान में प्रशासन भी योगदान दे और लोगों को किचन गार्डनिंग (Kitchen Gardening) के प्रति जागरुक करने के लिए सब्जियों के पौधे और बीजों का मुफ्त वितरण करे.


इसके अलावा नंजाम्मल अम्मा अपने इस किचन गार्डनिंग के अभियान को मनरेगा योजना (MANREGA Yojana) से जोड़ना चहाती हैं, ताकि देश के हर गांव-कस्बे में निजी और सामुदायिक सब्जियो के बगीचे (Vegetable Garden)  लगाए जा सकें. इस तरह रसायनमुक्त सब्जियां उगाकर लोगों को फायदा होगा ही, साथ ही मजदूरों के लिये रोजगार के नए अवसर खुलेंगे.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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