Success Story: मातृभूमि के लिये छोड़ी साउथ अफ्रीका की नौकरी, अब ड्रैगन फ्रूट उगाकर लाखों कमा रहे हैं कुलदीप राणा
Dragon Fruit Cultivation: विदेश जाने से पहले कुलदीप राणा ने साल 2019 में ड्रैगन फ्रूट की बागवानी के ट्राइल के लिये कुछ पौधे भी अपने खेतों में लगाये थे. जब सफलता मिली तो इसे ही अपना पेशा बना लिया.
Success Story of Dragon Fruit: मातृभूमि-देश प्रेम और मिट्टी के प्रति लगाव होता ही ऐसा है कि दुनिया की किसी भी कोने में बैठे इंसान को घर लौटने पर मजबूर कर देता है. आज के समय में कई युवा ऐसे है, जो विदेशी नौकरियां छोड़कर भारत लौट रहे हैं और यहां खुद का स्टार्ट अप (Agriculture Startup) करके रोजगार के अवसर खोल रहे हैं. इन दिनों खेती-किसानी की लोकप्रियता भी बढ़ती जा रही है, जिसके प्रति आकर्षित होकर कई युवाओं ने पढ़ाई और डिग्रियां लेकर नौकरी-पेशा करने के बजाय कृषि-बागवानी में हाथ आजमाया है.
यह एक ऐसा व्यवसाय (Agri Business) बन चुका है, जो कमाई के साथ-साथ सुकून भी दे रहा है. ये पूरी तरह से फसल पर निर्भर करता है. जैसे इन दिनों विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit farming) का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. कैक्टस प्रजाति का ये पौधा, बेहद कम खर्च में फलों की पैदावार देता है और इससे किसानों को काफी अच्छा मुनाफा दे रहा है. यही कारण है कि विदेशी नौकरी और लाखों से पैकेज को छोड़कर अब कई युवा किसान ड्रैगन फ्रूट की बागवानी में जुट गये हैं. ऐसे ही एक युवा है करनाल, हरियाणा के कुलदीप राणा, जिन्होंने अपने 1.5 एकड़ खेत में ड्रैगन फ्रूट के बाग (Dragon Fruit Farm in India) लगाये हैं और अभी तक 15 लाख तक की कमाई ले चुके हैं.
इंजीनियरिंग के बाद विदेश में की नौकरी
32 साल के कुलदीप सिंह राणा (Progressive Farmer Kuldeep Singh Rana, Karnal) ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, जिसके बाद विदेशी में नौकरी का सुनहरा अवसर मिलने पर वो जनवरी 2018 में साउथ अफ्रीका चले गये. वहां नौकरी और सैलरी दोनों ही अच्छी थी, लेकिन मिट्टी के प्रति उनका लगाव बार-बार वापस लौटने के लिये मजबूर कर रहा है. साउथ अफ्रीका में रहकर ही ड्रैगन फ्रूट की खेती का आइडिया आया और कुलदीप नवंबर 2021 में वापस भारत लौट आये.
Kuldeep Rana of Haryana left his electrical engineering job in Africa and preferred farming in his motherland. Now he is earning around 15 lakhs annually from dragon fruit cultivation in Karnal.#agrigoi #organicfarming #naturalfarming #agriculture pic.twitter.com/ZBIgZn4BSY
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) September 20, 2022
बता दें कि ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर कुलदीप ने साल 2018 में ही काम शुरू कर दिया था. बीच-बीच में विदेशी से छुट्टी लेकर वो भारत आते थे तो ड्रैगन फ्रूट की बागवानी को लेकर किसानों और विशेषज्ञों से बातचीत करते रहते थे. इतना ही नहीं, विदेश जाने से पहले कुलदीप राणा ने साल 2019 में ड्रैगन फ्रूट की बागवानी के ट्राइल के लिये कुछ पौधे भी अपने खेतों में लगाये थे. जब इस प्रयास में सफलता मिली तो उन्होंने अपने गांव घरौंदा लौटने का फैसला किया और ड्रैगन फ्रूट की खेती को ही अपना पेशा बना लिया.
इस तरह करते हैं खेती
आधा एकड़ खेत से ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Cultivation) शुरू करने के बाद आज 3 साल बाद 2 एकड़ जमीन पर इसका विस्तार कर लिया है. इससे सालाना 7 से 8 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. करनाल स्थित इनका ड्रैगन फ्रूट का फार्म इतना फेमस हो चुका है कि अब देश-विदेश से लोग इनके बागों को देखने और कुलदीप से ड्रैगन फ्रूट की खेती की ट्रेनिंग (Dragon Fruit Farming Training) लेने आते हैं. कुलदीप भी ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिये जैविक विधि अपनाते हैं. इन बागों में रसायनों का इस्तेमाल ना के बराबर होता है, जिसक चलते शानदार क्वालिटी वाले फलों का उत्पादन (Dragon Fruit Production) मिलता है. इसके एक ही फल का वजन 300 से 400 ग्राम तक होता है, जो 80 से 100 रुपये किलो तक बिकता है. सबसे अच्छी बात यह है कि ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) में कीट-रोगों की संभावना ही नहीं रहती, जिसके चलते कीटनाशकों का खर्चा भी बच जाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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