Success Story: गेहूं-धान की भेड़ चाल छोड़, बैंगन से लाखों कमाता है ये किसान, इस तरीके से मिली रिकॉर्ड पैदावार
Vegetable Farming: धान-गेहूं की पैदावार और विदेशी निर्यात से देश काफी मजबूत हुआ है, लेकिन इन फसलों में बढ़ते जोखिम को देख अब किसान बागवानी फसलों की तरफ रुख करके कम लागत में अच्छा पैसा कमा रहे हैं.
Brinjal Cultivation: पिछले कुछ सालों में पारंपरिक खेती (Traditional Farming) से किसानों को कापी नुकसान हुआ है. बड़ी उत्पादन लागत खर्च करने के बावजूद जलवायु परिवर्तन, मौसम की मार और कीट-रोगों के प्रकोप के कारण फसलें बर्बाद हो रही हैं. यही कारण है कि अब किसान कम लागत में टिकाऊ आमदनी कमाने के लिये बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crops) की तरफ बढ़ रहे हैं. इन्हीं किसानों में शामिल हैं रीवा, मध्य प्रदेश के नृपेंद्र सिंह, जो आईटीआई प्रोफेशनल है, लेकिन ना मिलने के कारण खेती की तरफ रुख किया.
शुरुआत में धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की खेती भी की. इससे उपज को अच्छी हुई, लेकिन मेहनत के मुताबिक आमदनी ना मिलने के कारण इन्होंने बागवानी फसलों की तरफ रुख किया. विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा किया तो इसके कई फायदे पता लगे. फिर क्या साल 2019 में ही बैंगन, फूल गोभी, बंद गोभी के साथ-साथ गाजर और मूली की खेती शुरू कर दी. इन सब्जी फसलों (Vegetable farming) से कम लागत में अच्छा मुनाफा मिलने लगा और अब नृपेंद्र सिंह सालाना 6 लाख रुपये तक आमदनी ले रहे हैं.
इस तरीके से की बैंगन की खेती
जाहिर है कि कम कृषि लागत के चलते बैंगन जैसी बागवानी फसलों का रकबा बढ़ रहा है. नृपेंद्र सिंह ने भी जोखिमों के डर को कम करने के लिये सब्जियों की खेती शुरू कर दी. फिलहाल नृपेंद्र अकेले 1 एकड़ खेत में बैंगन की फसल ले रहे हैं. इसके लिये खास तरीके से खेत की तैयारी करते हैं. सबसे पहले खेत में गहरी जुताईयां लगाकर रोटावेटर ने मिट्टी को भुरभुरा बना देते हैं.
इसके बाद मेड़ मेकर मशीन से मेड़ और क्यारियां बनाते हैं. बुवाई से पहले मेड़ों पर डिएपी का छिड़काव किया जाता है. इसके बाद ही नर्सरी में उन्नत बीजों से तैयार पौधों की रोपाई की जाती है. उनका मानना है कि मेड़ बनाने पर मिट्टी की सतह तो गर्म रहती है, लेकिन मेड़ पर लगे पौधों के लिये नमी कायम रहती है. इससे बैंगन के फल भी तेजी से बढ़ते हैं.
गोल बैंगन है ज्यादा मुनाफेदार
नृपेंद्र सिंह बताते है कि बाजार में लंबे और काले बैंगन के मुकाबले गोल बैंगन जल्द बिकते हैं. उतनी ही मेहनत में उगने वाले गोल बैंगनों का दाम भी ज्यादा होता है. जहां लंबे बैंगन 10 से 15 रुपये के भाव बिकते हैं. वहीं गोल बैंगनों की बिक्री 15 से 18 रुपये किलो के दाम पर होती है. नर्सरी में भी बुवाई के बाद 25 दिन के अंदर गोल बैंगन के पौधे तैयार हो जाते हैं, जिसके बाद 45 से 50 दिन के अंदर फलों की पैदावार हो जाती है.
इस तरह ये फसल 120 दिन तक सब्जियों की पैदावार देती है. बता दें कि लंबे बैंगन में बीज और कीड़े लगने की संभावना ज्यादा रहती है. वहीं गोल बैंगन में कीट-रोग कम ही लगते हैं. सिर्फ समय-समय पर निराई-गुड़ाई और खाद-पानी का प्रबंध करने पर अच्छी फसल मिल जाती है. अगर कीट-रोगों की संभावना रहती भी है, तो 10 से 12 दिन के अदंर कीटनाशकों का छिड़काव कर दिया जाता है.
एक बार लगाओ, चार बार फल पाओ
नृपेंद्र सिंह ने बताया कि बैंगन की खेती (Brinjal Cultivation) करने पर शुरुआती दिनों में ज्यादा पैदावार नहीं मिलती थी, लेकिन फसल की देखभाल करने पर 60 दिन के अंदर फल लगना शुरू हो गये और 70 दिन के बाद रोजाना फलों की तुड़ाई होने लगी. अब नृपेंद्र सिंह बैंगन की फसल से रोजाना 7 से 8 रुपये की आमदनी ले रहे हैं. इससे सालाना 3 से 4 लाख रुपये की कमाई हो जाती है.
इसके अलावा बाकी जमीन पर फूल गोभी की खेती (Cauliflower Cultivation) से 50 हजार रुपये, बंद गोभी की खेती (Cabbage Cultivation) से 80 हजार रुपये, मूली की खेती (Radish Cultivation) से 60 हजार रुपये और प्याज (Onion Farming) जैसी दूसरी सब्जियों की फसल (Vegetable Crops) से भी अच्छा पैसा मिल जाता है. अब नृपेंद्र सिंह को फसलों से अच्छी पैदावार हासिल करने के लिये पहचाना जाने लगा है. रीवा के नृपेंद्र सिंह अब सीजन के हिसाब से 10 एकड़ में धान और गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) भी कर लेते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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