Baby Corn Cultivation: पारंपरिक फसलों की खेती में नुकसान के कारण कई किसान कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं. भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण ये समस्या बनी रहती है. इन्हीं संघर्षों से निकलकर कंवल सिंह चौहान ने सफल किसान, फादर ऑफ बेबी कॉर्न और बेबी कॉर्न के बादशाह का खिताब हासिल किया है. हरियाणा के सोनीपत जिले में अटेरना गांव के निवासी कंवल सिंह चौहान को बेबी कॉर्न की खेती और इससे जुड़े नवाचारों के लिये भारत सरकार से पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है. आज खेती के साथ-साथ प्रोसेसिंग करके दौलत-शोहरत कमाने वाले कंवल सिंह चौहान कभी धान की खेती में हुए नुकसान के कारण कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे थे कि तभी उन्होंने समस्या का समाधान निकालने के लिए बेबी कॉर्न की खेती शुरू की. 


जब कंवल सिंह चौहान के खेतों से बेबी कॉर्न का पहला उत्पादन मिला तो दिल्ली की आजादपुर मंडी से लेकर आईएनए मार्केट, खान मार्केट, सरोजनी मार्केट और फाइव स्टार होटलों तक में जाकर बेबी कॉर्न बेचने लगे. साल 1999 में ऐसा समय भी आया, जब बेबी कॉर्न को कोई खरीदना नहीं चाहता था. ऐसे टाइम पर उन्होंने खुद की फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाई और स्वीट कॉर्न के साथ मशरूम, टमाटर और मक्का से तरह-तरह के फूड़ प्रॉडक्ट बनाने लगे. आज भी कंवल सिंह चौहान बेबी कॉर्न की खेती के साथ-साथ उसकी प्रोसेसिंग कर रहे हैं. 


अकेले शुरू की बेबी कॉर्न की खेती
कंवल सिंह चौहान ने साल 1998 में अकेले ही बेबी कॉर्न की खेती की, लेकिन जब धीरे-धीरे बेबी कॉर्न की खेती से अच्छा मुनाफा होने लगा तो कंवल सिंह की सफलता को देखते हुए आसपास के कई किसान इनसे जुड़ने लगे और आज करीब 400 मजदूर उनके खेतों में और प्रोसेसिंग यूनिट में काम करते हैं. सफल किसान कंवल सिंह अपने खेती के साथ-साथ प्रोसेसिंग बिजनेस के जरिए हजारों लोगों को रोजगार दे चुके हैं.


बता दें कि बेबी कॉर्न की प्रोसेसिंग के लिए मक्के को अविकसित यान फर्टिलाइज पौधे से प्राप्त किया जाता है. इस मक्के को फसल में रेशमी बाल उगने के 2 से 3 दिन के अंदर ही निकाल लेते हैं, इसलिए यह काफी सॉफ्ट होता है. इसको तोड़ने के लिए समय का काफी ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि इसकी अच्छी क्वालिटी कम उम्र पर ही निर्भर करती है. यह कम कैलोरी वाला आहार है, जिससे सूप सलाद, अचार, कैंडी, पकोड़ा, कोफ्ता, टिक्की, बर्फी, लड्डू, हलवा और खीर आदि बनाए जाते हैं .


बेबी कौन से बनाए फूड प्रोडक्ट 
आज के आधुनिक दौर में लोगों को नई और विदेशी सब्जियां खूब भा रही हैं. इन्हीं सब्जियों में शामिल है बेबी कॉर्न, जिसकी डिमांड शहरों में काफी है. यह सब्जी दिखने में जितनी लजीज होती है. सेहत के लिए होती फायदेमंद होती है, इसलिये रेस्त्रां से लेकर कैफे और फाइव स्टार होटल तक में बेबी कॉर्न की खपत काफी बढ़ गई है. इसी तरह खेती से बाजार की तलाश में कंवल सिंह चौहान ने बेबी कॉर्न की प्रोसेसिंग शुरू की. धीरे-धीरे मुनाफा होने लगा तो टमाटर, मशरूम, स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ स्वीट कॉर्न की खेती के साथ-साथ इनकी प्रोसेसिंग करके तमाम उत्पाद भी बनाने लगे.


देश-विदेश में बेबी कॉर्न का निर्यात 
आज कंवल सिंह चौहान की प्रोसेसिंग यूनिट से निकले बेबी कॉर्न के प्रॉडक्ट देश-विदेश में निर्यात किए जा रहे हैं. उन्होंने बाजार की समस्या को हल करने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाई थी और आज उनकी प्रोसेसिंग यूनिट में बनी टमाटर और स्ट्रॉबेरी की प्यूरी, बेबी कॉर्न, मशरूम बटन, स्वीट कॉर्न और मशरूम स्लाइस अदि प्रॉडक्ट इंग्लैंड और अमेरिका तक में निर्यात किए जा रहे हैं. उनका मानना है कि युवाओं को खेती में आगे आना चाहिये. खेती के साथ-साथ युवाओं को इसके व्यवसायीकरण के लिये प्रोसेसिंग पर भी ध्यान देना होगा. अपने खेतों से निकले उत्पादों को तैयार करके बाजार में बेचना चाहिए. इसके लिए किसान समूह बनाकर भी खेती कर सकते हैं.


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