Success Story: हरियाणा में कश्मीरी केसर उगा रही दो भाईयों की जोड़ी, इस Innovative Technique से कमा लिया लाखों का मुनाफा
Saffron Farming: आइए जानते हैं हरियाणा के नवीन सिंधु और प्रवीन सिंधु की सफलता की कहानी. इन दोनों भाईयों ने ईरान और इजराइली कृषि तकनीक की मदद से एक कमरे में कश्मीरी केसर से लाखों का मुनाफा कमाया है.
Kesar Ki Kheti: केसर को दुनिया का सबसे महंगा मसाला कहते हैं. भारत में कश्मीर की वादियां केसर की खेती और इसके क्वालिटी प्रोडक्शन के लिए फेमस है. आज देश-दुनिया में पहचान बनाने के कारण कश्मीरी केसर को जीआई टैग (GI Tag Kashmiri Kesar) भी मिला हुआ है. अभी तक तो केसर की खेती सिर्फ पहाड़ों और सर्द इलाकों तक ही सीमित थी, लेकिन अब हरियाणा में भी केसर की खेती जोरों-शोरों से हो रही है. यहां दो भाइयों ने मिलकर केसर की खेती के लिए इनोवेटिव आइडिया अपनाया है. दोनों भाई इजरायल और ईरान की लोकप्रिय कृषि तकनीक (Farming Technique) से केसर का बंपर प्रोडक्शन ले रहे हैं. आइए जानते हैं इनकी सफलता की कहानी कि कैसे इन दोनों भाइयों ने कश्मीर की उत्तम क्वालिटी के केसर का हरियाणा में क्वालिटी प्रोडक्शन कैसे लिया और किस तरह ये दोनों भाई लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.
हरियाणा में केसर की खेती
ये कहानी है हरियाणा के हिसार जिले के आजाद नगर स्थित कोथकला गांव में रहने वाले नवीन सिंधु और प्रवीण सिंधु की. कोरोना महामारी के समय बाकी लोगों की तरह ये दोनों भाई ही बेरोजगार थे और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते थे. तब ही यूट्यूब से मिले आईडिया और सोशल मीडिया से मिली जानकारी के आधार पर नवीन सिंधु और प्रवीण सिंधु इस आपदा को अवसर में बदलने का निर्णय लिया. इन दोनों ने अपने घर की छत पर खाली पड़े कमरे में केसर की खेती करने का निर्णय लिया.
इसके लिए दोनों भाइयों ने ईरान और इजरायल की मशहूर एयरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Farming) का सहारा लिया. केसर की खेती के लिए कम तापमान की जरूरत होती है, इसलिए दोनों भाइयों ने अपनी छत के 15 बाई 15 फीट के कमरे को एक लैब में तब्दील कर दिया. यहां शीशे की रैक लगाकर अलमारियां बनाईं और तापमान नियंत्रित करने के लिए AC का भी इंतजाम किया. केसर का सही प्रॉडक्शन लेने के लिये कुछ तकनीकी यंत्र भी लगाए.
पहली फसल से कमाये 9 लाख
प्रवीन और नवीन ने अपने घर की छत पर ही कश्मीरी केसर उगाने का सेटअप बना लिया. इसके बाद कश्मीर से 250 रुपये किलो के हिसाब से 100 किलोग्राम केसर के बीज खरीदकर ले आये. जब सिर्फ एक एक्सीपेरिमेंट के तौर पर खेती शुरू की तो अच्छी देखभाल और सावधानियों के आधार पर दोनों भाइयों की मेहनत रंग लाई. अगस्त से लेकर नवंबर 2020 के बीच एक्सपेरिमेंट सफल हुआ और शुरुआत में डेढ़ किलो केसर का प्रोडक्शन मिल गया. इस केसर को बेचकर सिंधु भाईयों ने 6 लाख से 9 लाख की पहली कमाई हासिल की.
20 लाख तक कमा सकते हैं किसान
हरियाणा में कश्मीरी केसर उगाने वाले सिंधु भाई बताते हैं कि घर पर कश्मीर केसर उगाने के लिए 7 से 10 लाख रुपये का शुरुआती खर्च आता है. यह प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए कई तरह की मशीनों और केसर की उन्नत क्वालिटी के बीजों का प्रयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं, कमरे में तापमान नियंत्रित करने के लिए भी व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि केसर की खेती के लिए दिन का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास होना चाहिये. इस बीच 90% ह्यूमिडिटी में केसर के पौधों का अच्छा विकास होता है. केसर की क्वालिटी मेंटेन करने के लिए हल्की धूप की भी जरूरत होती है, जिसके लिए एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस इनोवेशन को देखने के लिये कई लोग आज हरियाणा स्थित इन दोनों भाईयों के चार दीवारी खेत में पहुंच रहे हैं.
5 साल तक केसर का प्रोडक्शन
नवीन सिंधु और प्रवीण सिंधु ने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि अब आधुनिक तकनीकों के आ जाने से किसान भाई भी एक कमरे को लैब में तब्दील करके कश्मीरी केसर उगा सकते हैं. इसमें कश्मीरी केसर की गोल्ड फसल लगाकर अगले 5 साल तक मोटा प्रोडक्शन लिया जा सकता हैं. शुरुआत में इसके 100 किलो बीच काफी रहते हैं. इसी के साथ पूरा सेटअप लगाकर खेती के लिए 5 लाख से 7 लाख का खर्च आता है.
कमरे में कश्मीरी केसर उगाने के लिये कई सावधानियां बरतना भी जरूरी है. इस बीच ध्यान रखना होता है कि कमरे में लगा लैंप और बाकी चीजें बैक्टीरिया फ्री हों. किसान चाहें तो केसर उगाने के लिए थर्माकोल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अच्छी साफ सफाई और फसल की सही देखभाल करके केसर का अच्छा प्रॉडक्शन ले सकते हैं. देश-दुनिया में केसर की मांग (Kashmiri Kesar) बनी रहती है, इसलिये अच्छी क्वालिटी का केसर हाथोंहाथ बिक भी जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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