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Success Story: खेतों में मजदूरी करके दादी मां बन गईं एक्सपर्ट, कर दिखाया वो काम कि मिलने लगे अवॉर्ड्स

Mixed Farming: खेतों में मजदूरी करके कोईला देवी ने अपनी आजीविका चलाई, लेकिन आज खुद मिश्रित खेती करके गांव के लोगों को खेती की बारिकियां सिखाती हैं और महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं.

Successful Women Farmer: आज कृषि में महिलाओं की भूमिका बढ़ती जा रही है. घर संभालने से लेकर महिलाएं अब खेत-खलिहानों में भी काम कर रही हैं. पशुओं को चराने से लेकर फसलों की बुवाई देखभाल और कटाई तक का सारा काम अब महिलाओं अकेले कर लेती हैं. एक ही एक महिला किसान हैं, गोरखपुर की कोईला देवी, जिन्होंने अपना पूरा जीवन खेतों में मजदूरी करके निकाल दिया. अपने जीवनकाल में कोईला देवी ने खेती को समझा, कई बारीकियां भी सीखीं.

आज वो गांव के तमाम लोगों को खेती की खास विधियां सिखा रही हैं और महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रही हैं. कभी दूसरे के खेतों में मजदूरी करने वाली कोईला देवी ने अपनी मात्र 4 डिसमिल जमीन पर मिश्रित खेती कर मिसाल कायम की है. कोईला देवी के कभी हार ना मानने वाले जज्बे ने सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में उनके पहचान दिलाई है. आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी

मजदूर से बनीं किसान
उत्तर प्रदेश, गोरखपुर स्थित जंगल कौड़िया के राखूखोर गांव की रहने वाली कोइला देवी को आज सफल महिला किसान के नाम से जानते हैं. कोईला देवी ने खेती में अपने जीवन की शुरुआत बतौर मजदूर की. खेतों में मजदूरी करके रोजी-रोटी कमाई, लेकिन कभी हार नहीं मानी. हमेशा कुछ सीखने और नया करने का जुनून उन्हें मिश्रित खेती की तरफ खींच कर ले गया.

इतने साल मेहनत-मजदूरी करके आज कोईला देवी ने खुद की चार डिसमिल जमीन बना ली है. कोईला देवी अपनी जमीन पर सावां, मडुआ, टागुन, सब्जी, हल्दी  की मिश्रित खेती करती हैं. शुरुआत में खुद की जमीन पर खेती करने में भी 65 साल की कोईला देवी ने काफी परेशानियां झेली. बता दें कि उनका गांव काफी लंबे समय तक बाढ़ ग्रस्त रहा. खेतों में पानी भरने के कारण उपज कम हो गई. 


Success Story: खेतों में मजदूरी करके दादी मां बन गईं एक्सपर्ट, कर दिखाया वो काम कि मिलने लगे अवॉर्ड्स

यहां सीखी वैज्ञानिक खेती
जब नई शुरुआत करने के बाद भी मुसीबतें आने लगीं तो कोईला देवी की हिम्मत भी जवाब दे गई. कोईला देवी समाधान ढूंढ ही रहीं थी कि  उन्हें गोरखपुर एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप (जीईएजी) के बारे में पता चला. यहां कोईला देवी जैसे कई किसानों को ढ़ाल-आधारित फसल प्रणाली, समय तथा स्थान प्रबंधन, बहु-स्तरित खेती, उपयुक्त फसल संयोजन, कम लागत वाले लघु सुरंग आधारित बड़े पॉली हाउस और मौसम की जानकारी का सही इस्तेमाल सिखाया गया.

यहां किसानों को एक साल में 20 फसलों की मिश्रित खेती करने की विधियां भी सिखाई गईं. फिर क्या गांव वापस लौटकर कोईला देवी फिर से अपनी खेती में जुट गईं और इस बार उत्पादन 30 प्रतिशत तक बढ़ गया. कोईला देवी ने गोरखपुर एन्वायरमेंटल ऐक्शन ग्रुप से जैविक खाद, मटका खाद, वर्मीकम्पोस्ट बनाना भी सीखा. आज कोईला देवी खुद तो खेती करती ही हैं, साथ ही जैविक खाद बनाकर दूसरे किसानों को भी बेचती हैं.

महिला स्वयं सहायता समूह बनाया
कोईला देवी जल्द विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के डीएसटी कोर सपोर्ट परियोजना से भी जुड़ गई. इनकी मदद से कोईला देवी ने गांव की महिलाओं के साथ जुड़कर माँ वैष्णो देवी स्वयं सहायता समूह बनाया. आज इस महिला स्वयं सहायता समूह में 13 महिलाएं है. इस समूह में सिर्फ उन्हीं महिलाओं को शामिल किया गया है, जिनके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है. ये सभी महिलाएं कोईला देवी के साथ मिलाकर बैंक में जामपूंजी भी करती हैं.

बैंक में जमा इस पैसे का इस्तेमाल एक दूसरे की मदद के लिए किया जाता है. पहले महिलाएं 50 रुपये महीने बचाती थीं, आज 100 रुपये महीने की बचत के साथ इन महिला किसानों ने कोईला देवी के साथ मिलकर 56,000 रुपये की बचत की है. इस जमापूंजी से बंटाई पर 2 बीघा जमीन भी ली गई है, जिस पर कोईला देवी के साथ  माँ वैष्णो देवी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मिलकर धान, मूंगफली, गेहूं और सरसों की खेती करती हैं. 

गेहूं की खेती कर पाई सफलता
अभी तक कोईला देवी ने मिश्रित खेती करके गांव में पहचान बना ली थी, लेकिन साल 2019-2020 में कोईला देवी ने करण वंदना प्रजाति के गेहूं की वैज्ञानिक खेती का मन बनाया. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र से बीज भी मिले. इन बीजों को सिर्फ 266 वर्गमीटर जमीन में लगाया, जिसके बाद 220 किग्रा. गेहूं की पैदावार मिल गई. धीरे-धीरे गेहूं की फसल का दायरा बढ़ाया तो प्रति हेक्टेयर 82.52 क्विंटल तक उत्पादन मिलने लगा.

बेशक कोईला देवी ने गांव के किसानों के साथ मिलकर कम जमीन पर करण वंदना गेहूं की खेती की, लेकिन इसके परिणाम काफी अच्छे रहे. गेहूं की उन्नत प्रजाति की वैज्ञानिक खेती और जबरदस्त पैदावार हासिल करने के लिए 24 अगस्त, 2019 को इंदौर (मध्य प्रदेश) में आईसीएआर इंदौर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ व्हीट एवं बार्ली रिसर्च, करनाल ने कोईला देवी को 'उत्कृष्ट किसान सम्मान' से भी नवाजा है. 


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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें- आप थोड़ा अलग सोचिए.....70 साल के किसान ने विलुप्त होने से बचाईं सब्जियां, सरकार ने दिए 11 नेशनल अवॉर्ड

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