Sweet Potato: भारत खेती बाढ़ी में विश्व में अलग मुकाम रखता है. देश की फसलों को विदेशों में काफी पसंद किया जाता है. मांग अधिक होने के कारण केंद्र सरकार भी एक्सपोर्ट को प्रोत्साहित करती है. भारत के अलग अलग क्षेत्रों में अलग फसलों का उत्पादन किया जाता है. आज ऐसी ही खेती के बारे में जानकारी लेने की कोशिश करेंगे. जिसे लोग देश में तो खाना पसंद करते ही हैं. विदेशा मं भी इस फसल का बोलबाला है. फसल उत्पादन से किसानों की इनकम भी लाखों में होती है.
शकरकंद एक्सपोर्ट में छठे नंबर पर भारत
भारत के शकरकंद की दुनिया दिवानी है. विश्व के कई देशों में शकरकंद का निर्यात किया जा रहा है. अंदाजा लगा सकते हैं कि शकरकंद को एक्सपोर्ट करने में दुनिया में छठे स्थान पर है. भारत सरकार भी बढ़ते एक्सपोर्ट को देखते हुए इसको प्रमोट कर रही है. जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार जिस तरह से शकरकंद को बढ़ावा दे रही है. उससे आने वाले सालों में भारत निर्यात में नंबर वन बन सकता है.
शकरकंद की उपज के लिए मिट्टी कैसी चाहिए
अच्छी उपज पाने के लिए सही मिट्टी का चयन होना जरूरी है. यदि आप शकरकंद की खेती करने की सोच रहे हैं तो मिट्टी अधिक कठोर व पत्थरीली नहीं होनी चाहिए. ऐसी जगह खेती बिल्कुल न करें, जहां पर जलभराव की स्थिति हो. मिट्टी का पीएच मान 5.8 से 6.8 के बीच होना चाहिए.
कब होती है शकरकंद की बुआई
शकरकंद की पैदावार के लिए 25,000-30,000 कटी हुई बेलों या 280-320 किलो कंदों की प्रति एकड़ जरूरत होती है. जनवरी-फरवरी, अप्रैल से जुलाई के महीने में फसलों की बुआई की जाती है. अच्छी उपज के लिए अच्छे उर्वरकों का प्रयोग करें. समय पर सिंचाई करते रहें. आर्गेनिक खाद के तौर पर गोबर का प्रयोग किया जाता है. फॉस्फोरस, नाइट्रोजन को भी शकरकंद की खेती के लिए उपयोगी माना जाता है.
कितनी हो जाती है कमाई
शकरकंद की खेती अच्छे मुनाफे वाली है. विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रति हेक्टेयर किसान आसानी से 25 से 30 टन शकरकंद की पैदावार हो जाती है. एक हेक्टेयर में 70 से 75 हजार रुपये तक की लागत आती है. जबकि कमाई की बात करें तो यदि 10 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम शकरकंद बिक रही है तो 2 से 3 लाख रुपये तक में बाजार में चली जाएगी. दो से सवा दो लाख रुपये प्रति हेक्टेयर आसानी से कमा सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.