Black Turmeric Farming: पीली हल्दी नहीं, इस मानसून में करें काली हल्दी की जैविक विधि, बरतें ये सावधानी
Herbal Farming:खेतों में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था और समय पर फसल में कृषि कार्य किये जायें, तो काली हल्दी की अच्छी पैदावार मिल जाती है.
Organic Farming of Black Turmeric: भारतीय किसान खेती से ही दोगुना आमदनी कमाने के लिये ऐसी तकनीकों पर काम कर रहे हैं, जिनमें कम खर्च में ही अधिक पैदावार हासिल हो सके. परंपरागत फसलों के साथ औषधीय फसल(Herbal Farming) उगाकर किसानों का ये सपना भी पूरा हो सकता है. इसके लिये सरकार भी औषधीय फसलों(Medicinal Plant) की खेती के लिये उचित दरों पर आर्थिक अनुदान देती है, जिससे खर्च का बोझ किसानों पर न पड़े. कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा देने वाली औषधीय फसलों में काली हल्दी (Black Turmeric) का नाम शामिल है, जिसे खरीफ फसल चक्र(Kharif Crop season) के दौरान उगाया जाता है.
काली हल्दी
चमत्कारी औषधीय गुणों से भरपूर काली हल्दी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा, कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स के साथ रोगनाशक दवाइयां बनाने में भी किया जाता है. वैसे तो इसकी खेती के लिये गर्म जलवायु बेहतर रहती है, लेकिन इसकी फसल में पाला सहने की शक्ति भी होती है. विशेषज्ञों के मुताबिक खरीफ फसल चक्र में जून-जुलाई के दौरान काली हल्दी की खेती करने के अलग ही फायदे होते हैं. बस खेतों में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था और समय पर फसल में कृषि कार्य किये जायें, तो काली हल्दी की अच्छी पैदावार मिल जाती है.
काली हल्दी की खेती
- काली हल्दी की खेती के लिये सबसे पहले खेत की तैयारी करें और मिट्टी में गहरी जुताईयां लगायें.
- आखिरी जुताई से पहले मिट्टी को पोषण प्रदान करें और 10-12 टन पुराने गोबर की सड़ी खाद को खेत में डालें.
- कुछ दिनों के लिये खेत का सौरीकरण होने दें और बाद में पानी का पलेवा कर देना चाहिये.
- पलेवा के बाद खेत की मिट्टी सूख जाने पर दोबारा तिरछी जुताईयां करें और पाटा चलाकर समतलीकरण का काम कर दें.
- ध्यान रखें कि बारिश के समय पानी भरने से काली हल्दी की क्वालिटी खराब हो जाती है, इसलिये खेत में पहले ही जल निकासी की व्यवस्था कर लें.
काली हल्दी की नर्सरी
- काली हल्दी की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिये अच्छी और उन्नत किस्मों के कंदो का इस्तेमाल करें.
- एक हेक्टेयर खेत में काली हल्दी उगाने के लिये 20 क्विंटल कंदों का प्रयोग करें.
- खेत में रोपाई से पहले कंदों को धोकर सुखा लें और इसका बीजोपचार करें.
- बीजोपचार के लिये बाविस्टिन का 2% घोल बनाकर उसमें कंदों को 15-20 मिनट के लिये छोड़ दें.
- अब पॉलीबैग या ट्रे में काली हल्दी के कंदों को बोकर पौधे तैयार करें.
- इसकी नर्सरी पहले से ही तैयार कर लें, क्योंकि मानसून की बारिश में ही इसकी रोपाई की जाती है.
बारिश के समय करें रोपाई
- काली हल्दी (Black Turmeric) के पौधों की रोपाई के समय खेत में नमी का होना बहुत जरूरी है.
- काली हल्दी के पौधों को मिट्टी में 7 सेमी. की गहराई में लगायें.
- रोपाई के समय कतार से कतार के बीच 1.5-2 फीट की दूरी और पौधों में 20-25 सेमी. की दूरी रखनी चाहिये, इससे बढ़वार के दौरान निराई-गुड़ाई में आसानी रहती है.
- अगर मेड़ों पर काली हल्दी की सह-फसली(Co-Croping) खेती कर रहे हैं, तो सवा फुट की मेड़ बनाकर हर पौधे को 25-30 सेमी. की दूरी पर लगायें.
- खेत में पौधों की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई (Irrigation) का काम कर दें.
- मौसम के ज्यादा गर्म रहने पर 10-12 दिनों के बीच सिंचाई कर देनी चाहिये.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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